विपक्ष की बाधा डालने वाली आदत से इंडिया इंक नाराज

punjabkesari.in Tuesday, Aug 11, 2015 - 11:14 AM (IST)

मुंबईः इंडिया इंक ने संसद में अहम विधेयकों की राह रोकने के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया है लेकिन उसने सरकार को भी लैंड बिल में अमेंडमेंट और गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जी.एस.टी.) में देरी को लेकर वॉर्निंग दी है। यह बात देश के टॉप 30 सीईओ के सर्वे में सामने आई है।

मानसून सत्र में कानून नहीं बनने से सीईओ मायूस हैं। सर्वे में शामिल ज्यादातर सीईओ का मानना है कि फाइनैंशल इयर 2017 में ही मजबूत इकनॉमिक रिकवरी दिखेगी। उनके मुताबिक, इस फाइनैंशल इयर के आखिर के 6 महीनों में ऐसा नहीं होगा, जिसकी पहले उम्मीद की जा रही थी। हालांकि, उन्होंने यह माना कि रिकवरी की शुरूआत हो चुकी है।

सभी सीईओ ने एक सुर में कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों का रवैया बर्बादी वाला है। उन्होंने कुछ बड़े रिफॉर्म पर कदम पीछे खींचने को लेकर सरकार की आलोचना भी की। वे लैंड बिल में संशोधन के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि इससे प्रॉजैक्ट्स की कॉस्ट बढ़ेगी और उसमें अधिक समय भी लगेगा। जी.एस.टी. में देरी की आशंका को लेकर भी सरकार की आलोचना हुई। सर्वे में शामिल 61 फीसदी सीईओ ने कहा कि इससे इकनॉमिक रिकवरी पर बुरा असर पड़ेगा।

मानसून सत्र बेकार होने जा रहा है। मध्य जुलाई से शुरू हुए इस सत्र में कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष के काम रोक रखा है। सत्र को खत्म होने में सिर्फ 3 दिन बचे हैं और इस दौरान जी.एस.टी. बिल के दोनों सदनों से पास होने की उम्मीद नहीं दिख रही। सरकार ने जी.एस.टी. को 1 अप्रैल 2016 से लागू करने का वादा किया था लेकिन मौजूदा हालात देखकर लगता है कि यह संभव नहीं होगा। कई सीईओ का कहना है कि यह बड़ा झटका है।

2013 लैंड अक्वीजिशन ऐक्ट में सरकार ने संशोधन किया है और इसके बावजूद इसके मानसून सत्र में पास होने की उम्मीद नहीं है। सर्वे में शामिल 74 फीसदी सीईओ को लगता है कि लैंड बिल को कमजोर करने से प्रॉजैक्ट्स की कॉस्ट बढ़ेगी और इसका निवेश पर बुरा असर होगा। सीईओ जहां विपक्ष के रवैये से नाराज हैं, वहीं वे सरकार से भी मायूस हैं। 

सिर्फ 35 फीसदी ने माना कि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजैक्ट्स को रिवाइव करने के लिए पूरा जोर लगा रही है। वहीं, करीब इतने ही सीईओ ने कहा कि अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। 30 फीसदी सीईओ ने कहा कि सरकार को इकनॉमिक रिकवरी के लिए जितना करना चाहिए था, उतना उसने नहीं किया। 44 फीसदी का कहना है कि सरकारी बैंकों को फंड देने का ऐलान देर से हुआ और इतनी रकम से बात नहीं बनेगी। 

इंडिया इंक का कहना है कि हाल में प्रॉफिटेबिलिटी में जो सुधार हुआ है, वह कमोडिटी की कम कीमत के चलते है। 60 फीसदी ने कहा कि अगर पुराना लैंड ऐक्ट लागू रहता है तो वे इन्वेस्टमेंट करेंगे। वहीं, 76 फीसदी का कहना है कि उन्होंने नए प्रॉजैक्ट्स में पैसा लगाना शुरू कर दिया है क्योंकि इकनॉमिक रिकवरी की शुरूआत हो चुकी है।


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