उच्चतम न्यायायल ने सहारा प्रमुख से कहा, आप अपनी इच्छा से जेल में हैं

punjabkesari.in Tuesday, Aug 04, 2015 - 09:54 AM (IST)

नई दिल्ली: सहारा समूह के जेल में बंद प्रमुख सुब्रत राय की मानवीय आधार पर रिहाई की मांग पर उच्चतम न्यायालय ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "आप अपनी इच्छा से जेल में हैं।" न्यायालय ने कहा, "एक बात परेशानी की है कि राय एक तरफ तो यह कहते हैं कि उनके पास 1,85,000 करोड़ रुपए की परिसंपत्तियां हैं। जब इसमें से पांचवां हिस्सा देने की बात आती है, तो वह उसे देने में असमर्थ हैं।"

न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "आपको इसमें से सिर्फ पांचवें हिस्से का भुगतान करना है। जिस व्यक्ति के पास इतना पैसा है वह अपनी प्रापर्टी नहीं बेच रहा और जेल रहकर अपनी आजादी गंवा रहा है। आप जेल में अपनी मर्जी से हैं।"

पीठ ने यह निष्कर्ष राय द्वारा पूर्व में किए गए इस दावे पर निकाला जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके पास निवेशकों को देने के लिए काफी संपत्तियां हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत के लिए यह उचित नहीं है कि वे राय को जेल में रखें जबकि उनके खिलाफ अवमानना की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।   

सिब्बल ने कहा कि अन्य बड़े उद्योग घरानों को इस तरह की परेशानी नहीं झेलनी पड़ती है और उनके 1,000 करोड़ रुपए तक के कर्ज को रिजर्व बैंक और बैंकों द्वारा 5 से 10 साल में भुगतान की सुविधा दी जाती है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि राय के लिए जेल में रहते हुए इतनी बड़ी राशि का प्रबंध कर पाना आसान नहीं है और अदालत को मानवीय आधार पर उनको रिहा करने पर विचार करना चाहिए।   

हालांकि, इस पर पीठ ने कहा, "इस बात को समझें हमारी कुछ अड़चनें हैं। इसी न्यायालय द्वारा पूर्व में दिए गए आदेशों को पढ़ें। तब आप जानेंगे कि आपका मुवक्किल जेल में क्यों है। आप पढ़ें तो आप एेसा नहीं बोलेंगे।

इस पर सिब्बल ने कहा कि उन्होंने सभी आदेशों को पढ़ा है और न्यायालय को मानवीय आधार पर राय की रिहाई पर फैसला करना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा, "यदि आपको रिहा भी कर दिया जाए, तो भी तलवार आपके सिर पर लटकती रहेगी। आपको शेष राशि का भुगतान करना होगा। इस मामले पर दिन, सप्ताह या महीनों तक बहस हो सकती है।" इस पर सिब्बल ने तपाक से कहा, "मुझे न्याय मिलेगा।" इस पर पीठ ने कहा, "कोई भी पीठ आपको न्याय देगी। व्यक्ति इसी अवधारणा के साथ चलता है।"

सिब्बल ने कहा कि इस अवधारणा के आधार पर, उनको मानवीय आधार पर रिहा करने पर विचार किया जाएगा। उस समय तक संभावित खरीदारों से बातचीत के लिए जेल में सुविधाएं दी जाएं, तो 16 अगस्त को समाप्त हो रही हैं। पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि समूह के लिए 36,000 करोड़ रुपए की राशि जुटाने को अपनी संपत्तिय को बेचना मुश्किल हो रहा है। राय डेढ़ साल से जेल में हैं और रिसीवर की नियुक्ति कर उनकी परिसंपत्तियों की बिक्री की जा सकती है। सिब्बल ने इसका विरोध किया।   

सेबी के वकील अरविंद दातर और शेखर नफाडे ने कहा कि रिसीवर की नियुक्ति अपरिहार्य है। इस पर पीठ ने कहा, "रिसीवर क्यों नहीं नियुक्त किया जा सकता। संपत्तियों को कब्जे में ले लिया जाए और उन्हें बेचकर रिसीवर के पास जमा कराया जाए। यह साफ हो चुका है कि वे धन जुटाने में अक्षम हैं।"

पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त जज जो सेबी द्वारा सहारा समूह पर की गई कार्रवाई को देख रहे हैं उन्हें रिसीवर का चेयरमैन बनाया जा सकता है। पीठ में न्यायमूर्ति ए आर दवे और न्यायमूर्ति ए के सीकरी भी शामिल हैं। पीठ ने हाल में सहारा समूह की गोरखपुर में 140 एकड़ जमीन बिक्री सौदे को भी अनुमति दी। यह सौदा 152 करोड़ रुपए में हुआ है। उस समय न्यायलय कक्ष एक तरह से नीलामीघर बन गया था जाहां जमीन जायदाद का कारोबार करने वाली दो कंपनियों ने पीठ के समक्ष बढ़ चढ़ कर बोली लगानी शुरू कर दी थीं और गोरखपुर रीयल एस्टेट डेवलपर्स प्रा लि. ने समृद्धि डेवलपर्स की 150 करोड़ रुपए की बोली को पीछे छोड़ यिा था।  


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