सरकार ने जारी की सामाजिक आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना

punjabkesari.in Friday, Jul 03, 2015 - 04:44 PM (IST)

नई दिल्ली: देश के ग्रामीण परिवारों में से सिर्फ 4.6 प्रतिशत ही आयकर देते हैं जबकि इन परिवारों में करीब 10 प्रतिशत की आय वेतन से होती है। पिछले 8 दशक में पहली बार जारी सामाजिक आर्थिक और जाति आधारित जनगणना  में यह जानकारी दी गई है।

सामाजिक आर्थिक एवं जाति जनगणना 2011 में कहा गया कि आयकर देने वाले अनुसूचित जाति के परिवारों की संख्या 3.49 प्रतिशत है जबकि अनुसूचित जनजाति के एेसे परिवारों की संख्या मात्र 3.34 प्रतिशत है। जनगणना रिपोर्ट जारी करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज कहा कि इस आंकड़े से सरकार को बेहतर नीति नियोजन में मदद मिलेगी। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ''''योजनाओं की विशालता और हर सरकार की पहुंच को देखते हुए इस दस्तावेज से हमें नीति नियोजन के लिहाज से लक्षित समूह को सहायता पहुंचाने में मदद मिलेगी।'''' उन्होंने कहा कि इस दस्तावेज से भारत की वास्तविकता जाहिर होगी और यह सभी नीतिनिर्माताओं, केंद्र और राज्य सरकार दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।  

गौरतलब है कि 1932 के बाद यह पहली जनगणना है जिसमें क्षेत्र विशेष, समुदाय, जाति एवं आर्थिक समूह संबंधी विभिन्न किस्म के ब्यौरे हैं और भारत में परिवारों की प्रगति का आकलन किया गया है। 

जेतली ने कहा ‘‘1932 की जाति जनगणना के बाद करीब 7-8 दशक के बाद हमारे पास एेसा दस्तावेज आया है। यह एेसा दस्तावेज है जिसमें कई तरह के ब्यौरे हैं, "कौन लोग हैं जो जीवन शैली के लिहाज से आगे बढ़े हैं, कौन से एेसे समूह हैं जिन पर भौगोलिक क्षेत्र, सामाजिक समूह दोनों के लिहाज से भावी योजना में ध्यान देना है।" 

यह जनगणना सर्वेक्षण देश के सभी 640 जिलों में किया गया था। इसमें 17.91 करोड़ ग्रामीण परिवारों का सर्वेक्षण किया गया है। देश में ग्रामीण और शहरी दोनों तरह के परिवार मिलाकर कुल 24.39 करोड़ परिवार हैं। सभी ग्रामीण परिवारों में से उन 7.05 करोड़ या 39.39 प्रतिशत परिवारों को ‘‘बाहर रखे गए परिवार’’ बताया गया है जिनकी आय 10,000 रुपए प्रति माह से अधिक नहीं है या जिनके पास कोई मोटर गाड़ी, मत्स्य नौका या किसान क्रैडिट कार्ड नहीं हैं।  

कुल ग्रामीण परिवारों में से 5.39 करोड़ (30.10 प्रतिशत) परिवार जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं, 9.16 करोड़ (51.14 प्रतिशत) परिवार दिहाड़ी के आधार पर हाथ से किए जाने वाले श्रम से आय कमाते हैं। करीब 44.84 लाख परिवार दूसरों के घरों में घरेलू सहायक के तौर पर काम करके आजीविका कमाते है, 4.08 लाख परिवार कचरा बीनकर और 6.68 लाख परिवार भीख मांगकर अपना घर चला रहे हैं। 


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