खाने की जांच करने वाले लैब खुद खस्ताहाल

punjabkesari.in Sunday, Jun 14, 2015 - 05:00 PM (IST)

नई दिल्लीः हालिया मैगी विवाद के बाद भले ही सरकार खाद्य सामग्री को लेकर काफी चौकसी दिखा रही हो लेकिन हकीकत यह है कि इसकी निगरानी के लिए एक मजबूत व्यवस्था अब तक नहीं बनाई जा सकी है। विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्रियों के जटिल परीक्षण के लिए सरकारी लैबरेटीज में काफी सुधार की जरूरत है।

दो साल पहले एक स्कीम तैयार की गई थी जिसका मकसद था कि मिलावट की जांच और खाद्य सुरक्षा एवं मानक को सुनिश्चित करने के लिए परीक्षण सुविधाओं को मजबूत करने में मदद करना था लेकिन अब तक इस स्कीम को शुरू नहीं किया गया। 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकृति देने के बाद इस स्कीम को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

देश भर की लैबरेटरी में कमियों का विस्तृत अध्ययन किया गया था जिसके बाद इस स्कीम को तैयार किया गया था। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ''''स्टडी के दौरान यह पाया गया कि देश भर के सरकारी लैब में 4 आवश्यक घटकों में से एक की कमी जरूर थी। आप हर राज्य में बिल्डिंग तो देखेंगे लेकिन उनमें मैनपावर, परीक्षण सुविधा और परीक्षण के लिए आवश्यक रसायनों होते ही नहीं हैं या आवश्यकता से बहुत ही कम होते हैं।''''

2014 की प्रस्तावित स्कीम में दो खास बातें थीं। पहली तो यह कि 850 करोड़ रुपए के निवेश से एक सेंट्रल सेक्टर की स्कीम का उपयोग फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) के मुख्यालयों, क्षेत्रीय एवं फील्ड कार्यालयों, ई गवर्नेंस एवं फूड सेफ्टी सर्विलांस के सिस्टम को मजबूत करना था। इसमें सेंट्रल लेवल की लैबरेटीज को मजबूत करना और फूड सायेंस ऐंड रिस्क असेसमेंट सेंटर (एनएफएसआरएसी) की स्थापना का प्रस्ताव भी था।

इस स्कीम में दूसरी बात यह थी कि 900 करोड़ रुपए के निवेश से केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित एक स्कीम का उपयोग राज्य स्तर पर फूड सेफ्टी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने, जागरुकता लाने, प्रशिक्षण देने, क्षमता निर्माण एवं शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए किया जाएगा।

सूत्रों ने बताया कि दूसरी स्कीम के लिए वित्तीय सहायता की मंजूरी हासिल करने का प्रस्ताव भी था। अधिकारी ने बताया, ''''लेकिन 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के बाद यह महसूस किया गया कि राज्यों को इस काम के लिए खुद पैसा लगाना चाहिए क्योंकि उनको ज्यादा वित्तीय सहायता मिली है।''''

स्कीम के अनुसार, एफएसएसएआई क्रियान्वयन करने वाली एजेंसी होगी और राज्यों एवं एफएसएसएआई के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बाद राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को फंड जारी किया जाएगा। इसके अलावा कामों को पूरा करने के लिए समयसीमा भी तय की जाएगी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News