ई-कॉमर्स फर्मों की विदेशी फंडिंग मामले में ईबे रिटेल चेन के साथ
punjabkesari.in Friday, May 29, 2015 - 12:36 PM (IST)

नई दिल्लीः फिजिकल रिटेल स्टोर्स विदेशी फंडिंग वाली ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसे में इन्हें एक ऐसी कंपनी का सपोर्ट मिला है, जो खुद इंडिया में मार्केटप्लेस ऑपरेट करती है। यह कंपनी है ईबे। अमेजॉन और विदेशी फंडिंग हासिल करने वाली घरेलू कंपनियों फ्लिपकार्ट और स्नैपडील की तरफ इशारा करते हुए ईबे इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर लतीफ नथानी ने कहा, ''''इस मामले में काफी भ्रम है। सरकार को इसमें दखल देना चाहिए। कंपनियों की अपनी लॉजिस्टिक्स सर्विस और वेयरहाऊस हैं। ऐसे में क्या उन्हें मार्केटप्लेस कैटेगरी में रखा जाना चाहिए?''''
पिछले कुछ हफ्ते में फिजिकल स्टोर चलाने वाले रिटेलर्स ने ऑनलाइन रिटेलर्स के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। इनका आरोप है कि ऑनलाइन कंपनियां बंपर डिस्काऊंट देकर पारंपरिक रिटेलर्स को नुक्सान पहुंचा रही हैं। रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इस मामले में सरकार को दिल्ली हाई कोर्ट में घसीट रखा है। उसका कहना है कि सरकार अगर ऑनलाइन कंपनियों में विदेशी फंडिंग की इजाजत दे रही है तो उन्हें इससे क्यों रोका जाता है।
रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया फ्यूचर ग्रुप, रिलायंस रिटेल और शॉपर्स स्टॉप जैसी रिटेल चेन का प्रतिनिधित्व करती है। भारतीय कानून के मुताबिक, विदेशी फंडिंग वाली ऑनलाइन कंपनियां अपने प्रॉडक्ट्स सीधे कस्टमर्स को नहीं बेच सकतीं। इसके तहत विदेशी कंपनियों की सब्सिडियरीज इंडिया में मार्केटप्लेस चला सकती हैं, लेकिन वे इसके जरिये सिर्फ सेलर्स और बायर्स को एक प्लेटफॉर्म अवलेबल कराएंगी। एमेजॉन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसी कई दूसरी कंपनियों में विदेशी निवेश है और वे इंडिया में मार्केटप्लेस चला रही हैं। दिलचस्प है कि स्नैपडील में ईबी का भी माइनॉरिटी स्टेक है।
फिजिकल रिटेलर्स का कहना है कि ऑनलाइन रिटेलर्स नियमों की अनदेखी करके इनवेंटरी-बेस्ड धंधा कर रहे हैं। फ्यूचर ग्रुप के चीफ एग्जिक्यूटिव किशोर बियानी ने ईटी से कहा था, ''''फिजिकल रिटेलर्स की तरह वर्चुअल रिटेलर्स अपने वेयरहाउस में इनवेंटरी रखते हैं। कुछ रिटेलर्स इनवेंटरी को अपनी बैलेंस शीट में दिखाते हैं तो कुछ इसे सप्लायर्स की बैलेंस शीट में। कुछ ऐसे फिजिकल रिटेलर्स भी हैं, जो इनवेंटरी को अपनी बैलेंस शीट में नहीं दिखाते।''''