आसानी से नहीं उबरेगा कच्चा तेल

punjabkesari.in Thursday, Mar 12, 2015 - 11:35 AM (IST)

जालंधर: विश्व बैंक द्वारा दुनिया की विकास दर के अपने पूर्वानुमान में कटौती के बाद कच्चा तेल बुधवार को 43 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़क गया। इस बीच लगातार हो रही गिरावट के बावजूद तेल उत्पादन देशों का संगठन आर्थिक तेल के उत्पादन में कमी को तैयार नहीं है। 

ऐसे में कच्चे तेल के दाम 30 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़कने का अनुमान लगाया जा रहा है लेकिन तेल के इस उत्पादन के बीच आर्थिक क्षेत्रों में सिर्फ एक ही सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर कच्चे तेल के दाम वापस अपने स्तर पर पहुंचने में कितना समय लेंगे? इसका जवाब इतिहास में छुपा है। वर्ष 1980 के दशक में ‘जमीन’ पर आए कच्चे तेल के उबरने में 5 वर्ष लगे थे।
 
इस वक्त कच्चा तेल 31.82 डॉलर प्रति बैरल के अपने उच्चतम भाव से 69 प्रतिशत लुढ़क कर 9.75 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। यह गिरावट नवम्बर, 1985 और अप्रैल, 1986 के मध्य देखने को मिली थी। उस वक्त 1990 तक कच्चा तेल उबर नहीं पाया था और 1990 में ही तेल के दाम सामान्य हुए थे। एक बार फिर कच्चे तेल के दाम महज 7 महीने में अपने उच्चतम स्तर से 57 प्रतिशत तक गिर चुके हैं और तेल उत्पादक देश कच्चे तेल के दाम को भी ‘पाताल’ में ले जाने पर आमादा हैं।
 
मार्कीट आप्रेटर आई कैप प्रमुख तकनीकी रणनीतिकार वाल्टर जिमरमैन ने कहा कि 1980 में भी सऊदी अरब के तेल उत्पादन देशों के साथ धोखा करते हुए आपूर्ति बढ़ा दी गई थी। सऊदी अरब के इस कदम से तेल की कीमतें जमीन पर आईं तो इसकी तेल की आपूर्ति गड़बड़ा गई। यदि उस वक्त सऊदी अरब ने यह रवैया न अपनाया होता तो मौजूदा समय में ‘शैल विधि’ से बनाए जाने वाले कच्चे तेल में इतना भारी निवेश न देखने को मिलता।
 
इस समय अमरीका में तेल का उत्पादन पिछले 3 दशक में सबसे ज्यादा है जबकि रूस ने सोवियत रूस के समय का कच्चे तेल के उत्पादन का रिकार्ड तोड़ दिया है। ईरान ने दिसम्बर में 1980 के बाद का अब तक का सबसे ज्यादा कच्चा तेल निर्यात किया है। जिमरमैन ने कहा कि यदि तेल उत्पादक देशों ने कीमतें इस प्रकार गिरने दीं तो इससे उनको भारी समस्या होगी क्योंकि कच्चा तेल इतनी जल्दी नहीं उबर पाएगा।
 

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