कश्मीर के बागों में सड़ रहे सेब, 35 लाख लोगों को हो रहा नुक्सान
Thursday, Sep 19, 2019 - 04:14 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः दुनिया में सेब पैदा करने वाले सबसे बड़े इलाकों में एक कश्मीर भी है। कश्मीर के सोपोर का बाजार आमतौर पर ट्रकों और सेबों से भरा रहता है। यह समय सेब की फसल तैयार होने का है लेकिन इस साल यहां सन्नाटा पसरा है। बीते महीने केंद्र सरकार ने इस राज्य का विशेष दर्जा (अनुच्छेद 370) खत्म कर दिया। सरकार के इस कदम से उपजी अशांति ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है।
खराब हो रही सेब की फसल
सोपोर और आसपास के पूरे इलाके में पेड़ पर सेब लटक रहे हैं और खराब होकर नीचे गिर रहे हैं। एक स्थानीय व्यापारी हाजी ने कहा, "हम तो दोनों तरफ से फंसे हुए हैं, ना इधर जा सकते हैं ना उधर।" व्यापारियों का कहना है कि ना सिर्फ फल उद्योग बल्कि कश्मीर के दो और अहम सेक्टर पर्यटन और दस्तकारी पर भी बड़ी मार पड़ी है। गर्मियों की राजधानी श्रीनगर में हाउस बोट चलाने वाले एक शख्स कहते हैं कि इस साल सैलानियों के आने का मौसम पूरी तरह से बेकार हो गया। इससे स्थानीय लोगों में नाराजगी है। सेब बगान के मालिक और सेब व्यापारियों का कहना है कि कश्मीर के बाजार भारत और विदेश के खरीदारों से कट गए हैं। लोग घरों में दुबके हैं, ट्रक गराजों में और पेड़ों पर लगे सेब पक कर नीचे गिर रहे हैं।
सेब कारोबार से जुड़े 35 लाख लोग
सोपोर को उसके हरे भरे बागों, बड़े घरों और संपन्नता के कारण स्थानीय लोग "लिटिल लंदन" भी कहते हैं लेकिन इन दिनों यहां शांति देखने को मिल रही है। बागों और घरों के गेट बंद पड़े हैं, लोग बाहर निकलने से डर रहे हैं और कारोबार तो पूरी तरह से ठप है। बीते हफ्ते सुबह की नमाज के लिए मस्जिद की ओर जाते एक व्यापारी ने कहा, "हर कोई डरा हुआ है, कोई नहीं आएगा।" सेब कश्मीर की अर्थव्यवस्था के लिए जीवन का आधार है, इससे कश्मीर के 35 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं यानी करीब आधी आबादी।
धीरे-धीरे पटरी पर आ रही जिंदगी
अगस्त महीने में अचानक राज्य का विशेषाधिकार खत्म कर उसे दो हिस्से में बांटने का एलान कर दिया गया। इसके बाद लोगों की गतिविधियों पर तत्काल रोक लग गई और मोबाइल, टेलिफोन और इंटरनेट का संपर्क भी खत्म हो गया। सरकार का कहना है कि उसकी पहली प्राथमिकता कश्मीर में हिंसा को रोकना है। सरकार का यह भी कहना है कि कश्मीर में जारी पाबंदियों को धीरे धीरे हटा लिया जाएगा।