कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए हो सकती हैं यह घोषणाएं

punjabkesari.in Wednesday, Jan 18, 2017 - 02:00 PM (IST)

नई दिल्लीः मोदी सरकार का 2016-17 का बजट खेती-किसानी के लिहाज से एक ऐतिहासिक बजट माना गया क्योंकि उस बजट में ग्रामीण भारत केंद्र सरकार की विकास योजनाओं के केंद्र में था। सरकार ने एक के बाद एक, दर्जनों ऐसी योजनाओं की घोषणा की जिनका उद्देश्य कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर को तेज करना और किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर करना था।

ई-प्लेटफॉर्म का होगा विस्तार 
सरकार ने किसानों की आमदनी को 2022 तक दोगुना करने के अत्यंत महत्वाकांक्षी लक्ष्य की घोषणा की। खास तौर पर यह बजट कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर केंद्रित होगा। लगभग 300 मंडियां पहले ही इससे जुड़े चुकी हैं, लेकिन लेन-देन की लागत के लिहाज से ई-नाम पर हो रहा कारोबार अब भी अपनी पूरी क्षमता से कहीं दूर है। आम बजट 2017-18 में ई-नाम को लेकर कुछ अहम घोषणाएं की जा सकती हैं। इनमें सरकारी और निजी क्षेत्र की 50-50 प्रतिशत की हिस्सेदारी वाली ऐसी कंपनियों के गठन का प्रस्ताव हो सकता है, जिन्हें ई-नाम की सारी जिम्मेदारी दी जाए। फिक्की ने ई-नाम प्लेटफॉर्म पर होने वाले अंतरराज्यीय कारोबार पर लगने वाले शुल्क पर 1 प्रतिशत की अधिकतम सीमा की मांग की है।

प्रधानमंत्री की कई अहम योजनाएं 
कृषि क्षेत्र की सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शामिल है। सरकार को इस योजना से काफी उम्मीदें हैं। कृषि बीमा कंपनियां बजट में इस बारे में कुछ स्पष्ट घोषणाओं की उम्मीद कर रही हैं, जिन्हें बाद में कानून के तहत सुनिश्चित किया जा सके। इसके साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए अहमियत रखने वाले कुछ अन्य संबंधित उद्योगों, जैसे मुर्गी पालन, दुग्ध व्यवसाय, मछली पालन इत्यादि को भी कृषि बीमा के दायरे में लाने की मांग कृषि क्षेत्र की ओर से की जा रही है, जिस पर बजट में कुछ ठोस सुनने को मिल सकता है। बजट में कृषि बीमा को सफल बनाने के लिए ऐसी कई घोषणाएं सामने आ सकती हैं।

सरकार से है यह मांगें
फिक्की की ओर से सरकार को दिए गए प्रतिवेदन में इस लिहाज से पशुचारे और मक्के की कटाई के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीन, धान की बुवाई और 80 एचपी से ज्यादा पावर वाले ट्रैक्टर पर से बेसिक आयात शुल्क, काउंटरवेलिंग ड्यूटी और सेस हटाने की मांग की गई है। भारत सरकार ने दालों का 20 लाख टन बफर स्टॉक रखने की भी घोषणा की है। अनाज भंडारण में एफसीआई के रिकॉर्ड को देखते हुए दालों के स्टॉक मैनेजमेंट में निजी क्षेत्र की भागीदारी हासिल करना जरूरी है। और साथ ही सरकार के लिए यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि दालों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर हो।

कच्चे माल पर हटाया जाए आयात शुल्क
इन उपायों के अलावा सरकार बजट में आईआईएम और आईआईटी की तर्ज पर कृषि क्षेत्र के लिए देश भर में कुछ प्रीमियर इंस्टीट्यूट खोलने की घोषणा कर सकती है। इसके अलावा कीटनाशकों पर एक्साइज ड्यूटी कम करने और उनके कच्चे माल पर आयात शुल्क हटाने की उद्योग जगत की मांग पर भी बजट में कुछ घोषणाएं देखने को मिल सकती हैं। उद्योग जगत की मांग है कि बायो प्रोडक्ट के लिए एक अलग श्रेणी तैयार की जाए।


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