अनिल अंबानी के अर्श से फर्श पर गिरने की कहानी, जानिए कैसे हुई संकट की शुरुआत?

punjabkesari.in Tuesday, Feb 05, 2019 - 05:06 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः अनिल अंबाना की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस को उस समय बड़ा झटका लगा जब सोमवार को उनकी कंपनी के शेयर पहले 45 मिनट में ही 54.3 फीसदी तक गिर गए आरकॉम के शेयरों की दर 5.3 रुपए के रिकॉर्ड निचले स्तर आ गई थी। कंपनी के लिए बुरी खबर यहीं खत्म नहीं हो जाती। टेलिकॉम इक्विपमेंट कंपनी एरिक्सन सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चेयरमैन अनिल अंबानी की सारी निजी संपत्ति पर दावा करने जा रही है।
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2006 में किया था भाई के साथ बटवारा
RCom धीरूभाई अंबानी के छोटे बेटे अनिल अंबानी के कारोबार का हिस्सा है, जिन्होंने 2006 में बड़े भाई मुकेश अंबानी से कंपनियों का बंटवारा किया था। रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी भारतीय शेयर संस्कृति के प्रतीक थे। 2002 में उनका निधन हुआ तो उस वक्त रिलायंस के करीब 20 लाख शेयर होल्डर्स थे। यह किसी भारतीय कंपनी का सबसे बड़ा निवेश आधार था। 1977 में जब यह शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुआ तो हजारों छोटे निवेशक इसके प्रति आकर्षित हुए। अब तक बाजार में सरकारी वित्तीय संस्थानों का ही दबदबा था। कंपनी की सालाना शेयरहोल्डर्स मीटिंग में इतने लोग आते थे कि इसका आयोजन फुटबॉल स्टेडियम में होता था।
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ऐसे हुई संकट की शुरुआत?
प्राइस वॉर, भारी कर्ज और मुनाफे में कमी ने भारतीय टेलिकॉम सेक्टर को जकड़ लिया। अनिल अंबानी की कंपनी RCom भी इस दबाव को झेल नहीं पाई। मई 2018 में NCLT ने स्वीडिश कंपनी एरिक्शन की ओर से RCom के खिलाफ दायर तीन इन्सॉलवंसी पिटिशन को स्वीकार किया, जिसने 1100 करोड़ रुपए बकाये की मांग की थी। इन्सॉलवंसी ट्राइब्यूनल ने RCom के साथ-साथ इसकी दो अन्य इकाइयों RTL और रिलायंस इन्फ्राटेल को चलान के लिए तीन अलग रेजॉलुशन प्रफेशनल्स नियुक्त किए।
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बड़ा भाई टॉप अमीरों में शामिल
फोर्ब्स की सूची के मुताबिक, 2007 में अनिल अंबानी के पास 45 अरब डॉलर की संपत्ति थी। उनकी सबसे बड़ी संपत्ति रिलायंस कम्युनिकेशंस में 66 फीसदी हिस्सेदारी थी। बड़े भाई मुकेश का नेटवर्थ 49 अरब डॉलर था। लेकिन, 2018 आते-आते दोनों की संपत्ति में बड़ा अंतर आ चुका था। सबसे अमीर भारतीयों की सूची में मुकेश अंबानी 47 अरब डॉलर के साथ टॉप पर थे तो अनिल अंबानी 2.44 अरब डॉलर के साथ 66वें स्थान तक फिसल गए। 2017 में RCom ने ऐसेट बेचने के साथ डेट रेजॉलुशन प्लान की घोषणा की थी। यह एक दशक पुराने मार्केट लीडर का अर्श से फर्श तक गिरना था। 2017 में RCom 17 पर्सेंट मार्केट शेयर के साथ टेलिकॉम सेक्टर की दूसरी बड़ी कंपनी थी। 2016 में बाजार में इसकी हिस्सेदारी 10 फीसदी से कम रह गई थी और यह टॉप कंपनियों में कहीं नहीं थी। बाजार में हिस्सेदारी कम होने के साथ इसका कर्ज बढ़ता गया। 2009-10 में 25 हजार करोड़ रुपये का कर्ज अब बढ़कर 45 हजार करोड़ रुपये का हो गया।


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Isha

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