नोटबंदी से जमा रकम बनी मुसीबत, RBI ने की बैंकों के साथ बैठक

punjabkesari.in Saturday, Mar 25, 2017 - 01:06 PM (IST)

नई दिल्लीः नोटंबदी से बैंकों की तिजोरी मेें भारी मात्रा में नकदी तो जमा हो गई लेकिन समस्या यह है कि इन्हें ठिकाने किस तरह से लगाया जाए। एक तरफ बाजार में कर्जदार गायब हैं तो दूसरी तरफ बैंकों को इन जमा राशि पर ग्राहकों को भारी भरकम ब्याज देना पड़ रहा है। 

आर.बी.आई. और बैंकों के साथ बैठक
इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए शुक्रवार को वित्त मंत्रालय ने भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) और बैंकों के साथ एक अहम बैठक की। कई विकल्पों पर चर्चा की गई जिसमें बैंकों को अतिरिक्त डिपोजिट सुविधा (स्टैंडिंग डिपोजिट फैसलिटी- एसडीएफ) देना भी था। कई बैंकों ने इस सुविधा से सहमति भी जताई लेकिन अधिकांश बैंकों को इसके कई प्रावधानों से आपत्ति है।

ब्याज दरों को कम करना हो जाएगा मुश्किल 
मौजूदा नियम के मुताबिक बैंकों को एक सीमा तक ही राशि अपने पास रखने की छूट होती है। शेष राशि उन्हें आर.बी.आई. में जमा करानी होती है लेकिन एसडीएफ के तहत बैंक अब इस सीमा से ज्यादा राशि भी अपने पास रख सकेंगे लेकिन इस राशि पर ब्याज की दर क्या होगी यह अभी तय करना होगा। आर.बी.आई. का मानना है कि अगर बैंकों के पास पड़ी अतिरिक्त राशि को खपाने की व्यवस्था नहीं हुई तो आने वाले दिनों में उसके लिए ब्याज दरों को कम करना मुश्किल हो जाएगा।

आर.बी.आई. ब्याज दरों को घटा कर उद्योग जगत को मदद देना चाहता है लेकिन बैंकों का कहना है कि उनके लिए मौजूदा हालात में कर्ज की दरों को घटाना मुश्किल है। वैसे आर.बी.आई. की तरफ से नोटबंदी के बाद जमा राशि को लेकर कोई आंकड़े तो नहीं दिए हैं लेकिन माना जाता है कि बैंकों के पास 14 लाख करोड़ रुपई से ज्यादा राशि आ चुकी है। राशि जमा होने का सिलसिला अभी तक जारी है। 
 


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