एयरटेल-वोडाफोन का आरोप, IUC में कटौती से ‘नई कंपनी’ को फायदा

punjabkesari.in Thursday, Sep 21, 2017 - 09:19 AM (IST)

नई दिल्लीः मोबाइल इंटरकनेक्शन उपयोग शुल्क आई.यू.सी. के मुद्दे पर दूरसंचार कंपनियां एक दूसरे के आमने सामने खड़ी नजर आईं। पुरानी दूरसंचार कंपनियों भारती एयरटेल व वोडाफोन ने आई.यू.सी. में कटौती की आलोचना की और कहा कि इससे कंपनियों की वित्तीय हालत बदतर होगी। वहीं रिलायंस जियो ने उक्त दावों को गलत बताते हुए घटती लागत का फायदा उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाने की बात कही। दूरसंचार नियामक ट्राई के चेयरमैन आर एस शर्मा ने मोबाइल इंटरक्नेक्शन उपयोग शुल्क (आई.यू.सी.) में कटौती के अपने फैसले में अपारर्दिशता के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि लागत की गणना वस्तुनिष्ठ व वैज्ञानिक तरीके से की गई जिसमें किसी कंपनी विशेष की मदद करने या नुकसान पहुंचाने का सवाल ही नहीं उठता।

लगाया यह आरोप
शर्मा ने कहा कि ट्राई ने आई.यू.सी. शुल्क को अंतिम रूप देते समय उपभोक्ताओं व उद्योग के हितों, प्रतिस्पर्धा व प्रौद्योगिकी की दिशा का ध्यान रखा है। उल्लेखनीय है कि ट्राई ने आई.यू.सी. को 14 पैसे से घटाकर 6 पैसे प्रति मिनट कर दिया। नियामक ने यह भी कहा है कि एक जनवरी 2020 से इस शुल्क को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। नियामक के इस फैसले को लेकर खासा विवाद हो रहा है। भारती एयरटेल व वोडाफोन ने नियामक के फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि इसका फायदा केवल एक कंपनी को होगा जबकि दूरसंचार उद्योग की वित्तीय हालत और बिगड़ेगी। वोडाफोन ने ट्राई के फैसले को ‘पीछे जानेवाला नियामकीय कदम’ बताया और कहा कि इसका सबसे अधिक फायदा तो केवल एक नई कंपनी को होने जा रहा है। हालांकि उसने जियो का सीधी तरह से नाम नहीं लिया। वहीं एयरटेल ने आरोप लगाया कि ट्राई ने नई आई.यू.सी. दर ‘पूरी तरह से अपारदर्शी तरीके’ से तय की है।
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ग्राहकों को होगा फायदा
नई दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो ने इन आरोपों का खंडन किया कि मोबाइल इंटरकनेक्शन उपयोग शुल्क (आई.यू.सी.) में कटौती के ट्राई के फैसले से केवल उसे ही फायदा होगा। कंपनी का कहना है कि वायस कॉल की लागत घटकर एक पैसे का कुछ भाग भर रह गई है और इसका फायदा ग्राहकों को होना चाहिए। जियो ने इस मामले में नियामक ट्राई पर निशाना साधे जाने व आई.यू.सी. तय करने के लिए अपनाई गई पद्धति पर सवाल उठाए जाने पर ‘खेद’ जताया है। कंपनी का कहना है कि पुरानी दूरसंचार कंपनियां इस मामले में आधारहीन आरोप लगा रही हैं।


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