DHFL के लिए अडाणी ने लगाई सबसे ऊंची बोली, अन्य बोलीदाताओं ने लगाया प्रक्रिया की अनदेखी का आरोप
punjabkesari.in Saturday, Nov 28, 2020 - 03:12 PM (IST)
नई दिल्लीः उद्योगपति गौतम अडाणी की अगुवाई वाले विभिन्न कारोबार से जुड़े समूह ने संकट में फंसी आवास वित्त कंपनी डीएचएफएल के लिए 33,000 करोड़ रुपए की बोली लगाकर अमेरिकी की ओकट्री को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि प्रतिद्वंद्वी बोलीदाताओं का कहना है कि समूह ने कथित रूप से समयसीमा का पालन नहीं किया, अत: वह बोली से हटे।
यह भी पढ़ें- केंद्रीय मंत्री पुरी ने बिल्डरों से कहा- न बिक पाए घरों को जल्द बेचें, इन्हें दबाकर न बैठें
ये कंपनी हुई बोली में शामिल
अडाणी समूह ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि उसने पूरी प्रक्रिया अपनाई और अन्य बोलीदाता साठगांठ कर अधिकतम मूल्य वाली बोली को रोकना चाहते हैं। डीएचएफएल को कर्ज देने वाले संस्थानों और उद्योग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि चार इकाइयों अडाणी समूह, पीरामल समूह, अमेरिकी संपत्ति प्रबंधन कंपनी ओकट्री कैपिटल मैनेजमेंट तथा हांगकांग की एससी लोवी ने अक्टूबर में डीएचएफएल के लिए बोलियां लगाई थी। हालांकि बकाया कर्ज की वसूली के लिए डीएचएफएल की नीलामी कर रहे कर्जदाता चाहते थे कि संभावित खरीदार अपनी बोलियों को संशोधित करें क्योंकि मूल पेशकश काफी कम थी।
यह भी पढ़ें- सरकार ने कैब कंपनियों पर लगाई लगाम, अब नहीं वसूल पाएंगी ज्यादा किराया
पीरामल ने डीएचएफएल के खुदरा संपत्ति के लिए लगाई थी बोली
एक सूत्र के अनुसार अडाणी समूह ने शुरू में डीएएफएल के थोक तथा स्लम रिहैबिलिटेशन ऑथोरिटी (एसआरए) पोर्टफोलियो के लिए ही बोली लगाई थी लेकिन 17 नवंबर को संशोधित पेशकश में पूरी संपत्ति के लिए बोली लगाई। उसने इसके तहत 30,000 करोड़ रुपए के साथ 3,000 ब्याज की पेशकश की। यह ओकट्री की 28,300 करोड़ रुपए की पेशकश से अधिक थी। अमेरिकी कंपनी की बोली इस शर्त पर थी कि वह बीमा दावों को लेकर 1,000 करोड़ रुपए अपने पास रखेगी। सूत्रों के अनुसार पीरामल ने डीएचएफएल के खुदरा संपत्ति के लिए 23,500 करोड़ रुपए जबकि एस सी लोवी ने 2,350 करोड़ रुपए की बोली एसआरए के लिए लगाई थी।
यह भी पढ़ें- GDP पर बोले मुख्य आर्थिक सलाहकार- अर्थव्यवस्था में उम्मीद से ज्यादा तेज रिकवरी
सूत्र के अनुसार अन्य बोलीदाताओं ने कहा कि अडाणी की बोली समयसीमा समाप्त होने के बाद आयी और उसे अपात्र घोषित किए जाने की मांग की है। हालांकि अडाणी ने इस आरोप को खारिज करते हुए बिक्री को देख रहे डीएचएफएल प्रशासक को विस्तृत पत्र लिखा है। इसमें समूह ने कहा कि उसने मूल रूप से पूरे कारोबार तथा थोक एवं एसआरए पोर्टफोलियो के लिए रूचि पत्र जमा किया था। सूत्रों का कहना है कि 22 नवंबर के पत्र में कहा गया है कि अक्टूबर में लगाई बोली केवल थोक और एसआरए संपत्ति के लिए थी क्योंकि उसे उम्मीद थी कि वह पीरामल समूह के साथ सौदा हासिल कर लेगा। पीरामल समूह ने केवल खुदरा संपत्ति के लिए बोली लगाई थी लेकिन नौ नवंबर को जब बोलियां खोली गई, अडाणी ने पाया कि प्रतिद्वंद्वी बोलीदाताओं की बोलियां कंपनी के मूल्य को प्रतिबिंबित नहीं करती और उसने पूरी संपत्ति के लिए बोली लगाने का निर्णय किया। पत्र में अडाणी समूह ने कहा कि उसकी बोली 17 नवंबर को सुबह 10 बजे से पहले जमा हुई और यह बोली दस्तावेज के अनुरूप है।