6 वर्षों में केंद्रीय योजनाओं के तहत 72 फीसदी खर्च बढ़ा

punjabkesari.in Monday, Oct 10, 2022 - 12:59 PM (IST)

नई दिल्लीः पिछले दो वित्त वर्षों से सरकार केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए अपने बजट लक्ष्य से को पूरा कर रही है लेकिन इस साल उसे उम्मीद है कि 80,000 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्यों द्वारा धन का कम इस्तेमाल और सुस्त खर्च के कारण ऐसा हो सकता है। पिछले छह वित्त वर्षों में केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए बजट आवंटन में 90.0 फीसदी की वृद्धि हुई है जो वित्त वर्ष 17 के 2.31 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 23 में 4.4 लाख करोड़ रुपए हो गया। वित्त मंत्रालय इस वित्त वर्ष के लिए संशोधित बजट अनुमान इसी महीने शुरू कर सकता है।

कुछ मामलों में, नई एकल नोडल प्रणाली के कारण कुछ राज्य खर्च में देरी कर रहे हैं, जो केंद्र से धन वितरण के लिए ऐसी प्रत्येक योजना के लिए एकल नोडल खाता नामित करती है। केंद्र शासित 49 प्रमुख परियोजनाएं हैं और कुछ योजनाओं के लिए धन केंद्र देता है, लेकिन राज्य इसका क्रियान्वयन करते हैं। इसमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, जल-जीवन मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और स्वच्छ भारत मिशन के साथ कई अन्य शामिल हैं। 

राज्य के वित्त पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के विश्लेषण में पाया कि वित्त वर्ष 21 में 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से 11 ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं में अपने आवंटन से अधिक खर्च किया। वित्त वर्ष 20 और वित्त वर्ष 19 में केवल तीन राज्यों ने बजट आवंटन से अधिक खर्च किया था। वित्त वर्ष 20 और वित्त वर्ष 19 में ऐसा भी हुआ था कि केंद्र शासित योजनाओं में बजट आवंटन से खर्च कम हुआ था। मगर राज्यों के प्रदर्शन में कुठ भिन्नताएं हैं। 

वित्त वर्ष 21 में, अरुणाचल प्रदेश और दिल्ली ने बजट आवंटन से क्रमशः 59.3 फीसदी और 51.3 फीसदी अधिक खर्च किया था। पिछले वित्त वर्ष में कर्नाटक (20.9 फीसदी) और हिमाचल प्रदेश (12.9 फीसदी) ने अपने बजट आवंटन से अधिका खर्च किया था। वित्त वर्ष 19 में, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल ने तय बजट आवंटन से क्रमशः 12.2 फीसदी और 8.1 फीसदी अधिक खर्च किया था। विश्लेषण में यह भी पाया गया कि कार्यान्वयन एजेंसियों को जारी धन की राशि वित्त वर्ष 18 में केंद्र प्रायोजित योजनाओं के कुल आवंटन के हिस्से के रूप में दोगुनी होकर वित्त वर्ष 18 में 15.9 प्रतिशत से वित्त वर्ष 22 में 31.5 प्रतिशत हो गई है।

कार्यान्वयन एजेंसी को वित्त वर्ष 22 में 1.09 लाख करोड़ रुपए प्राप्त हुए। हालांकि, बिहार, महाराष्ट्र और तमिलनाडु की एजेंसियों ने वित्त वर्ष 22 में पिछले वित्त वर्ष से जारी किए गए धन में गिरावट देखी है। महाराष्ट्र में सबसे तीव्र गिरावट थी, वित्त वर्ष 21 के 0.33 लाख करोड़ से वित्त वर्ष 22 में 0.04 लाख करोड़।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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