1,30,000 कंपनियों के पास नहीं है पैन, किया करोड़ो का लेन-देन

punjabkesari.in Friday, Nov 17, 2017 - 10:09 AM (IST)

नई दिल्लीः सरकार ने जिन 2.24 लाख कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया है उनमें से 1.30 लाख कंपनियों के पास स्थायी खाता संख्या (पैन) नहीं है। इसके बावजूद इन कंपनियों ने करोड़ों रुपए का लेन-देन किया। कंपनी मामलों के मंत्रालय की एक जांच में यह बात सामने आई है। सूत्रों ने बताया कि केवल 93,000 कंपनियों के पास ही पैन था। 50,000 रुपए से अधिक के लेन-देन के लिए पैन अनिवार्य होता है और चूंकि इन कंपनियों के पास पैन नहीं था इसलिए उनके लेन-देन का पता लगाना मुश्किल है। सूत्रों ने बताया कि जांच से साफ है कि इन कंपनियों में कुछ गड़बड़ तो जरूर थी। कम से कम इतना तो तय है कि उन्होंने कर का भुगतान नहीं किया।

देश में 11.3 लाख कंपनियां पंजीकृत
कंपनी रजिस्ट्रार का कहना था कि इन कंपनियों ने अपना वित्तीय ब्यौरा दाखिल नहीं किया इसलिए उनका पंजीकरण रद्द कर दिया गया। अब मंत्रालय ने यह अंदाजा लगाना भी शुरू कर दिया है कि कितनी पंजीकृत कंपनियों के पास पैन है। 2.24 लाख कंपनियों का पंजीकरण रद्द होने के बाद भी देश में 11.3 लाख कंपनियां पंजीकृत हैं। मंत्रालय के सामने यह समस्या भी है कि कई बैंकों ने अब तक यह नहीं बताया है कि जिन कंपनियों का पंजीकरण रद्द हुआ है उन्होंने नोटबंदी के बाद कितनी रकम का लेन-देन किया। सूत्रों का कहना है कि भारतीय स्टेट बैंक ने मंत्रालय को इन कंपनियों की लेन-देन की जानकारी मुहैया नहीं करवाई है। बैंक ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की।

नोटबंदी के बाद पैन के आवेदनों में 300 प्रतिशत का उछाल आया 
नोटबंदी के बाद पैन के आवेदनों में 300 प्रतिशत का उछाल आया है। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष सुशील चंद्रा ने कहा था कि पहले जहां हर महीने पैन के लिए 2.5 लाख आवेदन आते थे वहीं पिछले साल नवम्बर में नोटबंदी की घोषणा के बाद यह संख्या 7.5 लाख पहुंच गई है। मंत्रालय ने विभिन्न बैंकों द्वारा मुहैया करवाए गए आंकड़ों में भी अनियमितता पाई है। 13 बैंकों द्वारा दी गई जानकारी का विश्लेषण करने पर पता चला कि नोटबंदी के बाद करीब 4500 करोड़ रुपए जमा करवाए गए और निकाले गए। कई कंपनियों के 100 से अधिक बैंक खाते हैं। एक कंपनी के पूरे 2134 बैंक खाते निकले।  


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