काम आनंद बन जाना चाहिए, न कि कठिन परिश्रम
punjabkesari.in Wednesday, Oct 26, 2022 - 05:46 AM (IST)

यदि आप एक अप्रत्याशित लाभ की प्रतीक्षा कर रहे हैं, तो आप प्रतीक्षा में कब्र पर जा सकते हैं क्योंकि भाग्य उस पुरुष या महिला का साथ देता है जो हर दिन कड़ी मेहनत करता है और वह काम हमारे लिए एक आनंद बन जाना चाहिए, न कि एक कठिन परिश्रम! प्रकाशक और लेखक विलियम फेदर ने कहा था, ‘‘सौ गज की दौड़ में विजेता मैदान से एक दर्जन कदम आगे टेप लाइन को पार नहीं करता। वह इंच से जीतता है। हम इसे सामान्य व्यावसायिक जीवन में पाते हैं। हमारे रास्ते में आने वाली बड़ी चीजें हमारे काम की दैनिक दिनचर्या में लगाए गए बीज का फल हैं।’’
उन्नीसवीं सदी के स्कॉटिश आत्मकथा लेखक सर थियोडोर मार्टिन के लिए, ‘‘कार्य जीवन का सच्चा अमृत है। सबसे व्यस्त आदमी सबसे खुश आदमी है। किसी भी कला या पेशे में उत्कृष्टता कड़ी मेहनत और निरंतर परिश्रम से ही प्राप्त होती है। कभी भी विश्वास न करें कि आप संपूर्ण हैं। जब कोई व्यक्ति वर्षों के प्रयास के बाद भी कल्पना करता है कि उसने पूर्णता प्राप्त कर ली है, तो उसका पतन शुरू हो जाता है।’’ स्कॉटिश निबंधकार और इतिहासकार थॉमस कार्लाइल की राय में, ‘‘एक काम करने वाले व्यक्ति की महिमा, एक प्रभारी कामगार से भी अधिक, कि वह अपना काम अच्छी तरह से करता है, उसकी सबसे कीमती संपत्ति होनी चाहिए, एक सैनिक के सम्मान की तरह, उसे जीवन से भी प्रिय।’’
ऑटोमोटिव क्षेत्र के महान व्यक्तित्व हैनरी फोर्ड का मानना था कि ‘‘कोई भी सीधे नहीं सोच सकता कि कौन काम नहीं करता। आलस्य मन को विकृत करता है। रचनात्मक कार्य के बिना सोचना रोग बन जाता है।’’ लेखक जैकब कोर्सेरेन ने यह सलाह दी, ‘‘यदि आप गरीब हैं, तो काम करें। यदि आप अनुचित जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे हैं, तो काम करें। खुश हो तो काम करो। आलस्य संदेह और भय के लिए जगह देता है। अगर निराशा आती है, तो काम करते रहो। अगर दुख आप पर हावी हो जाता है और आपके प्रियजन सच्चे नहीं लगते, तो काम करें।
अगर स्वास्थ्य को खतरा है, तो काम करें। जब विश्वास डगमगा जाए और तर्क विफल हो जाए, तो बस काम करें। जब सपने चकनाचूर हो जाएं और उम्मीद मरी हुई नजर आए, तो काम करें। ऐसे काम करें जैसे आपकी जान को खतरा हो। यह सचमुच ऐसा है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपको क्या परेशानी है, काम करो। ईमानदारी से काम करें, विश्वास के साथ काम करें। काम मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के कष्टों के लिए उपलब्ध सबसे बड़ा उपाय है।’’
मनोचिकित्सक डब्ल्यू. बेरन वोल्फ ने इसे इस तरह से रखा, ‘‘यदि आप वास्तव में एक खुश आदमी को देखते हैं, तो आप उसे नाव बनाते हुए, सिम्फनी (स्वरसंगति) लिखते हुए, अपने बेटे को शिक्षित करते हुए, डबल डहलिया उगाते हुए, या गोबी रेगिस्तान में डायनासोर के अंडे की तलाश करते हुए पाएंगे। जैसे कि एक कॉलर बटन, जो रेडिएटर के नीचे लुढ़क गया था, वह खुशी की तलाश में नहीं होगा, वह इसके लिए लक्ष्य के रूप में प्रयास कर रहा था। उसे पता चल गया होगा कि वह हर रोज चौबीस घंटे की भीड़-भाड़ वाली जिंदगी जीने के दौरान खुश है।
पूर्व राष्ट्रपति केल्विन कूलिज निश्चित थे कि ‘‘सभी विकास गतिविधि पर निर्भर करते हैं। प्रयास के बिना शारीरिक या बौद्धिक रूप से कोई विकास नहीं होता और प्रयास का अर्थ है काम। काम कोई अभिशाप नहीं, यह बुद्धि का विशेषाधिकार है, मर्दानगी का एकमात्र साधन है और सभ्यता का पैमाना है।’’ और संभवत: यूनानी नाटककार एंटिफेन्स ने इसे संक्षेप में बताया, जब उन्होंने कहा, ‘‘सब कुछ परिश्रम से उपजता है...!’’-दूर की कौड़ीराबर्ट क्लीमैंट्स