बच्चों को खतरे में डालकर भी हमें डालर चाहिए
punjabkesari.in Tuesday, May 06, 2025 - 05:49 AM (IST)

अपने देश में पिछले दिनों अवैध रूप से रहने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजा जा रहा है। इनमें ऐसे-ऐसे लोग भी पाए गए, जो यहां रहे, पढ़े-लिखे। सालों तक नौकरी भी करते रहे, लेकिन थे वे पाकिस्तानी नागरिक। एक ओर कहा जाता है कि भारत मुसलमानों के लिए सुरक्षित नहीं है, तो दूसरी तरफ ये लोग भारत से जाना ही नहीं चाहते थे। भारत में लगातार बांग्लादेशियों की संख्या बढ़ती जा रही है। बहुत से घुसपैठिए भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण, सारे वैध कागजात बनवा लेते हैं। सारी सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाते हैं। जब भी इन्हें हटाने की बात होती है, तो तरह-तरह की अड़चनें डाल दी जाती हैं।
जहां से आए हैं, वे देश इन्हें लेने को तैयार भी नहीं होते। हों भी क्यों, इनके पास यहां के सारे वैध कागजात जो होते हैं। फिर मानव अधिकार वादी समूह भी सक्रिय हो जाते हैं। एक बार, एक बड़े अखबार ने लिखा था कि सीमाओं पर अवैध रूप से घुसना, एक मुर्गे या शराब की बोतल से भी संभव है। खैर, सच जो भी हो, अपने देश में यह समस्या सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है। लेकिन अवैध घुसपैठियों की समस्या सिर्फ भारत में ही नहीं है। यूरोप के बहुत से देश और अमरीका तथा अमरीका की राजनीति भी इससे बुरी तरह प्रभावित है। डोनाल्ड ट्रम्प की चुनावी मुहिम में अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने के वायदे ने, उन्हें सत्ता सौंपने में प्रमुख भूमिका निभाई। दुनिया के बहुत से लोग अमरीका जाना चाहते हैं। कई साल पहले खबर थी कि दुनिया में 10 करोड़ लोग अमरीका जाना ही नहीं चाहते बल्कि वहां बसना भी चाहते हैं। इसके लिए कानून भी ताक पर रखना पड़े, तो चलेगा। भारत में भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है। उन्हें लगता है कि अगर किसी तरह एक बार अमरीका पहुंच जाएं, तो उनके जीवन की सारी समस्याएं हल हो जाएंगी। डालर बरसने लगेंगे जबकि वास्तव में ऐसा है नहीं।
पिछले दिनों अमरीका से आई एक रिपोर्ट पढ़ रही थी। इसमें बताया गया था कि भारतीय माता-पिता अपने छोटे बच्चों और किशोरों को अमरीका-मैक्सिको बार्डर या अमरीका-कनाडा बार्डर पर अकेला छोड़ देते हैं। इनकी उम्र 6 साल से 17 साल की होती है। इनके पास जरूरत का कुछ सामान और एक पर्ची होती है। इसमें इनका नाम और माता-पिता का फोन नम्बर लिखा होता है। बच्चों को इस तरह की परिस्थिति में बिल्कुल अकेला छोडऩे का काम वे माता-पिता कर रहे हैं, जो खुद भी अमरीका में अवैध रूप से रह रहे हैं। उन्हें लगता है कि मानव अधिकार के कारण अमरीका में इन बच्चों को आने दिया जाएगा। उन्हें उनके माता-पिता के पास भेजा जाएगा। वहां के कानूनों के अनुसार शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मुफ्त मिलेंगी। उन्हें 6-8 महीने में ही ग्रीन कार्ड मिल जाएगा और अंतत: माता-पिता को ग्रीन कार्ड और नागरिकता भी मिल जाएगी। अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि जो लोग इन बच्चों को सीमाओं पर अकेला छोड़ते हैं, वे इन्हें अपना ग्रीन कार्ड मानते हैं। वे नहीं जानते कि जब इन बच्चों को किसी अनजान जगह और कठिन मौसम में छोड़ा जाता है, तो वे कितने डर और असुरक्षा से गुजरते हैं।
यह लगातार बढ़ता जा रहा है। कोरोना में चूंकि आना-जाना बंद हो गया था, तो इनकी संख्या घट गई थी। यू.एस. कस्टम्स एंड बार्डर प्रोटैक्शन की रिपोर्ट में बताया गया था कि अक्तूबर 24 से इस साल के फरवरी माह तक ऐसे 77 बच्चे पाए गए थे। 2022 में 409, 2023 में 730 , 2024 में 517 भारतीय अकेले बच्चे अमरीकी सीमाओं पर मिले। यह संख्या बढ़ती ही जा रही है। अमरीका में 2019 से अवैध रूप से रहने वाले एक दम्पति ने बताया कि वे अपने बच्चे को भारत में ही छोड़ आए थे। तब वह मात्र दो साल का था। ये लोग जब खुद ही अवैध थे, तो अपने बच्चे को कैसे बुलाते। फिर कोरोना में सब कुछ रुक गया था। इस दम्पति के पुरुष ने बताया कि 2022 में उसका चचेरा भाई भी अवैध रूप से अमरीका आ रहा था। अब तक बेटा 5 साल का हो चुका था। मैंने उससे कहा कि मेरे बेटे को भी साथ ले आए और अमरीका की सीमा पर बताए गए स्थान पर छोड़ दे। बच्चे के पास पिता का फोन नम्बर भी लिखकर रख दे। भाई ने ऐसा ही किया। अधिकारियों ने बच्चे के पिता को ढूंढ निकाला और बच्चा उन्हें मिल गया।
यह सब इसलिए हो रहा है कि अमरीका में उदारता है। वहां का लोकतंत्र और कानून बच्चों को अकेला छोडऩे और विपरीत परिस्थितियों में रहने की इजाजत नहीं देता। अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि वहां की सरकार को माता-पिता द्वारा ही अपने बच्चों के इस तरह के शोषण के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। ट्रम्प के आने के बाद समझा जा रहा है कि अमरीका में अवैध प्रवासियों का आना और अपने बच्चों को इस तरह से अकेला छोडऩा, निश्चित रूप से कम हो जाएगा। क्या होता है, यह तो वक्त ही बताएगा। मगर अपने यहां अवैध रूप से रहने वालों और सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई कब होगी।-क्षमा शर्मा