नारी ही है ‘जननी’

punjabkesari.in Sunday, Mar 08, 2020 - 04:05 AM (IST)

नारी को जननी का दर्जा दिया गया है। जननी यानी कि निर्माण करने वाली। व्यक्ति, परिवार, समाज तथा राष्ट्र के निर्माण में नारी अहम भूमिका निभाती है, इसे नारी उत्थान का युग कहना गलत न होगा। वर्तमान सरकार महिलाओं को हर क्षेत्र में अपना भविष्य निर्माण करने का मौका प्रदान कर रही है। इसमें कोई शक नहीं कि नारी की दशा में निरंतर सुधार राष्ट्र की प्रगति का मापदंड है। हम सब नारी शक्ति से वाकिफ हैं। मैं आज जिस स्थान पर काबिज हूं उसकी प्रेरक मेरी मां ही है। मां से मैंने सामाजिक सरोकार के बारे में जाना। समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास मुझे मां ने ही करवाया।

राजनीति में आने का मेरा उद्देश्य सामाजिक बदलाव लाना था। मां की वही प्रेरणा आज मुझे कार्य को अंजाम तक पहुंचाने की शक्ति प्रदान करती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से महिलाओं को स्व:निर्भर, मजबूत बनाने का कार्य किया जा रहा है। जिनकी भागीदारी के बिना सामाजिक पुनॢनर्माण के कार्य को पूरा नहीं किया जा सकता। देश में महिला के स्व:निर्भरता के नतीजे सरकार के लक्ष्य वाक्य ‘सबका साथ, सबका विकास’ को दर्शाते हैं। देश की महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देकर उनके ऊंचे स्थान तक पहुंचने की रुकावट दूर करना तथा तीन तलाक जैसी गलत रिवायतों को खत्म करना उसी का एक उदाहरण है। इससे पहले की सरकारों की ओर से ग्रामीण महिलाओं की परेशानियों की ओर देखने की कोशिश नहीं की गई जिसके चलते गर्भवती महिलाओं को कई तरह के दुखदायी दौर से निकलना पड़ता था। 

मोदी सरकार की ओर से कार्यकारी महिलाओं को कम से कम 6 माह के मातृत्व अवकाश की नीति बनाने के साथ-साथ प्रधानमंत्री ‘वंदना योजना’ द्वारा उन महिलाओं को मदद देने का कार्य किया गया जो आर्थिक बदहाली के कारण पोषक तत्वों की जरूरत पूरी करने में असमर्थ थीं। ट्रेनिंग द्वारा औरतों के अंदर छिपे हुए हुनर को निखारने के अलावा उनको उद्यमी बनाने के लिए सरकार एक सहयोगी की भूमिका निभा रही है। इसके लिए महिला ई-हाट में उनके द्वारा तैयार सामान को एक बाजार दिया गया है वहां ‘स्टैंडअप इंडिया’ में एक करोड़ रुपए तक का ऋण देकर उनको उद्यमी बनाने का कार्य किया जा रहा है।

महिलाओं को विकास का सारथी बनाया जा सकता है
वहीं उज्ज्वला योजना ने गरीब महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव ला दिया है। देश में 8 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को नि:शुल्क गैस कनैक्शन देकर केन्द्र ने उनके जीवन से धुंध को मिटाने का कार्य किया। यह सत्य है कि भारत की महिलाएं असीमित सामथ्र्य की मालिक हैं। थोड़ा सा सहयोग तथा समर्थन मिलने पर वे ऐसा कार्य कर सकती हैं जो राष्ट्र के विकास में एक नई राह बनाता है। मेरे पास जब लघु, मध्यम तथा सूक्ष्म मंत्रालय आया तब मैंने उसका बारीकी से अध्ययन किया। मैंने देखा कि इस मंत्रालय द्वारा देश की बहुत सारी महिलाओं को विकास का सारथी बनाया जा सकता है। मैंने तुरंत एम.एस.एम.ई. की जी.डी.पी. की भागीदारी को 29 से 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा तथा नारी सांझेदारी से एम.एस.एम.ई. के कार्य को आगे बढ़ाने की योजना में जुट गया। 

हम खादी को ग्लोबल ब्रांड बनाना चाहते हैं
देश में 80 लाख महिला उद्यमी हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि एम.एस.एम.ई. द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को 500 करोड़ रुपए करने में ग्रामीण महिलाएं आगे आईं। हम तीन मुख्य ङ्क्षबदुओं पर अपना फोकस कर रहे हैं खादी, शहद तथा छोटे उद्योग। देश में खादी का निर्माण करने वाले 4 लाख बुनकरों में महिलाओं की गिनती ज्यादा है। हम खादी को ग्लोबल ब्रांड बनाना चाहते हैं। 

चीनी के स्थान पर चाय में शहद के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा
देश में शहद का उत्पादन बढ़ाने में महिलाओं के योगदान की अहम भूमिका हो सकती है। इसको ध्यान में रखकर ही ग्रामीण क्षेत्रों में एक करोड़ 50 लाख बी-बाक्स बांटे जा चुके हैं। भारत में कृषि कार्यों में महिलाएं बराबरी से कार्य करती हैं। नतीजन हम कृषि क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं को शहद मिशन से जोडऩे का कार्य कर रहे हैं। इसके लिए हमने शहद उत्पादन का वार्षिक बजट 15 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए कर दिया है। हमारा प्रयास यह है कि जिस प्रकार मीठे के लिए चीनी का इस्तेमाल होता है उसकी जगह शहद का इस्तेमाल किया जाए। इसका ज्यादा से ज्यादा प्रयोग हो। इसके लिए हम शहद की ऐसी पैकिंग की कोशिश कर रहे हैं जिसको आसानी से चाय में मिलाकर इस्तेेमाल में लाया जा सकेगा। कृषि क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं के शहद मिशन संग जुडऩे से न सिर्फ शहद का उत्पादन बढ़ जाएगा बल्कि इससे कृषि उत्पादन में भी बढ़ौतरी होगी। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद केन्द्र सरकार इसे प्रगतिशील बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। हमारा मंत्रालय भी आतंक प्रभावित क्षेत्रों में महिलाओं को स्व:निर्भर बनाने की दिशा में अहम कार्य शुरू कर चुका है। अनंतनाग, बांदीपुर, पुलवामा में बुनाई के कार्य से जुड़ी महिलाओं को फिर से काम से जोड़ा जा रहा है।-नितिन गडकरी


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