तुलसी-मोदी की मुलाकात क्या अमरीकी राष्ट्रपति चुनावों पर असर डालेगी

punjabkesari.in Thursday, Oct 03, 2019 - 12:53 AM (IST)

अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए डैमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी की दौड़ में शामिल प्रथम हिन्दू महिला सांसद के अभियान में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के बाद नई हलचल पैदा हो गई है क्योंकि वहां बसे ङ्क्षहदुओं का समर्थन भी अपने आप में महत्वपूर्ण माना जाता है।

सांसद तुलसी गबार्ड कुछ वर्ष पूर्व दिल्ली में यमुना किनारे विकसित सनातन संस्कृति संकुल अक्षरधाम का अवलोकन करने विशेष रूप से आई थीं। इस भव्य संकुल के निर्माण के लिए लगभग 20 वर्ष पूर्व जिन 151 यजमानों ने शिला पूजन किया था, उनमें से नरेन्द्र मोदी विश्व वंदनीय संत प्रमुख स्वामी जी महाराज के पास मौजूद रहे।

जून 2016 में जब प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी अमरीका गए तो संसद के संयुक्त सत्र को सम्बोधन करने के लिए स्थापित मंच तक तुलसी गबार्ड उन्हें लेकर गई थीं। जब मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री का पद 2014 के चुनाव के बाद संभाला, तब तुलसी उन्हें बधाई व शुभकामनाएं देने में अग्रणी रहीं। प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी की प्रथम अमरीका यात्रा के दौरान हुई मुलाकात में तुलसी ने उन्हें श्रीमद् भागवत गीता की प्रति भेंट की थी। दोनों के बीच भारत-अमरीका संबंध बेहतर बनाने के लिए हुए वार्तालाप के बाद हवाई क्षेत्र का संबंध गोवा से व्यापार के लिए जुडऩा शुरू हुआ।

चार बार चुनाव जीता
तुलसी हवाई जिला-2 क्षेत्र का अमरीकी संसद में नेतृत्व करती हैं। उन्होंने चार बार चुनाव जीत कर कीर्तिमान स्थापित किया। नकारात्मक प्रचार का सामना करते हुए वह सैनिक की ड्यूटी निभाने के लिए मोर्चे पर भी जाती हैं लेकिन हर सभा में यही कहती हैं कि युद्ध विकास में बाधक है, विनाश का कारण है। इक्कीसवीं सदी में सर्वत्र शांति स्थापित हो और भारत व अमरीका के संबंध प्रगाढ़ बनें-इन सूत्रों पर उनकी मोदी से मुलाकात केन्द्रित रहती है। आखिर क्यों लोग धर्म, जाति, वर्ग के नाम पर घृणा फैलाते हैं, यह सवाल वह अनेक संगोष्ठियों में उठाती हैं।

अब जब ‘हाऊडी मोदी’ कार्यक्रम में 50 हजार लोगों को सम्बोधित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमरीका पहुंचे तो तुलसी गबार्ड ने विशेष हार पहनाकर उनका स्वागत किया। भारतीय व अमरीकी ङ्क्षहदुओं के एक मंच पर एकत्र होने की प्रसन्नता उन्होंने सांझी की। पहली बार किसी हिन्दू महिला सांसद ने 2020 में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव की होड़ में शामिल होकर भारतीयों में भी उत्सुकता पैदा कर दी है।

जन साधारण से चंदा एकत्र किया
वहां प्रत्याशी के चयन की प्रक्रिया पर भारी राशि खर्च करनी पड़ती है लेकिन तुलसी ने बड़े औद्योगिक एवं व्यावसायिक घरानों से सहायता मांगने की बजाय जन साधारण से चंदा इकट्ठा किया। इनमें महज पांच-पांच डालर देने वालों की संख्या हजारों में है। उसके प्रतिद्वंद्वी कई बार यह अफवाह फैलाने में प्रयत्नशील रहे कि तुलसी फंड की कमी के कारण प्रत्याशी की दौड़ में पिछड़ जाएगी लेकिन उसने हार नहीं मानी और इस माह का लक्ष्य पूरा करके अक्तूबर में होने वाली मंचीय बहस में स्थान पाने का भरसक प्रयास कर रही हैं।

2002 में 21 वर्ष की आयु में विधायक के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरूआत करने वाली तुलसी गबार्ड ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ताजा मुलाकात के बाद कहा, ‘‘हमने भारत-अमरीका संबंधों के बारे में रचनात्मक बातचीत की। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश व एशिया उपमहाद्वीप में अमरीका का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भागीदार है। हमने विचार किया कि पर्यावरण संरक्षण व आॢथक सुधारों की दिशा में ईमानदारी से सांझा प्रयास करें, आणविक युद्ध की आशंका समाप्त करें, आतंकवाद को जड़ से मिटाएं। कश्मीर की स्थिति, मानवाधिकारों की रक्षा, महिला सशक्तिकरण, गरीबी मिटाने व ईरान के साथ तनाव पर अंकुश लगाने जैसे मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। हमारा विश्वास है कि विकासशील देश स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा सुविधाओं के विस्तार पर ज्यादा ध्यान दें। भारत व अमरीका के संंबंध प्रगाढ़ बनाने के सभी सकारात्मक/रचनात्मक अवसर उपलब्ध हैं, इनका नेकनीयती से सदुपयोग होना चाहिए। हम सद्भाव व स्नेह से 21वीं सदी को भरपूर बनाएं। हथियारों की दौड़ से बचें।’’

नया मोड़ ले सकती है स्थिति
तुलसी गबार्ड के अभियान पर नजर रखने वालों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के बाद स्थिति नया मोड़ ले सकती है। भले ही बीते माह यह दुष्प्रचार किया गया कि तुलसी दौड़ में धन के अभाव के कारण पिछड़ गई हैं लेकिन ताजा सर्वेक्षण संकेत दे रहे हैं कि वह अपनी राह के कंकर हटाने के लिए अब नई शक्ति के साथ आगे कदम उठा पाएंगी।-राज सदोष


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