मजीठिया की गिरफ्तारी क्या राजनीतिक उद्देश्यों के लिए राजनीतिक उत्पीडऩ का मामला है?
punjabkesari.in Wednesday, Jul 02, 2025 - 05:28 AM (IST)

कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी हमारे लोकतंत्र की कानूनी, राजनीतिक और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से संबंधित कई सवाल उठाती है। मजीठिया के खिलाफ कथित तौर पर ड्रग्स के साथ उनकी संलिप्तता का मामला पिछले कई वर्षों से पंजाब की राजनीति के केंद्र में रहा है।
उन्हें जेल में रखा गया, जमानत पर रिहा किया गया और अब तक उन पर कोई आरोप साबित नहीं हुआ है, जबकि विभिन्न सरकारों ने ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की है, जो निश्चित रूप से किसी भी समझौते की बात नहीं करती। लेकिन ड्रग्स और ड्रग मनी के खिलाफ लड़ाई पुलिस की शक्तियों के दमनकारी इस्तेमाल के जरिए नहीं बल्कि कानूनी प्रक्रिया, आरोपी के पक्ष में निर्दोष होने के अनुमान के मौलिक अधिकार और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के सम्मान के साथ लड़ी जानी चाहिए। जहां तक सुबह-सुबह छापेमारी और मजीठिया की गिरफ्तारी के तरीके का सवाल है, तो ऐसा नहीं लगता।
ऐसा प्रतीत होता है कि यह कानूनी अभियोजन का मामला नहीं, बल्कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए राजनीतिक उत्पीडऩ का मामला है। बिक्रम सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई मामलों में निर्धारित कानून के विरुद्ध है, अर्थात, व्यक्तिगत स्वतंत्रता को केवल असाधारण मामलों में ही सीमित किया जा सकता है और आपराधिक मामलों में जांच के लिए आरोपी की गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है।
मजीठिया के मामले में, इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है कि जांच के प्रारंभिक चरण में ही सुबह के समय उनकी गिरफ्तारी क्यों आवश्यक थी। यह सिद्धांत कि कानून को अपना काम करना चाहिए, कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग को उचित नहीं ठहराता। मजीठिया एक प्रतिष्ठित राजनीतिक नेता हैं और उनके भागने का जोखिम नहीं है, न ही वे पुलिस के पास पहले से मौजूद रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर सकते हैं। राज्य में सत्तारूढ़ दल, जिसके नेता भाजपा द्वारा अपने केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाते हैं, उन्हें यह जानना चाहिए कि उनसे कानून को निष्पक्ष रूप से लागू करने की अपेक्षा की जाती है, ताकि न्याय न केवल हो, बल्कि न्याय होता हुआ दिखे भी। मजीठिया की गिरफ्तारी स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और गरिमा के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है।
जबकि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक नेताओं की प्रतिष्ठा को बिना उनके अपराध को स्थापित किए धूमिल करना राजनीतिक वर्ग की विश्वसनीयता को नष्ट करता है और इस तरह लोकतांत्रिक राजनीति की इमारत को कमजोर बनाता है। इन सभी कारणों से, मजीठिया और पंजाब के लोगों को एक स्वतंत्रतावादी संविधान के मूल सिद्धांतों के अनुसार न्याय की उम्मीद करने का अधिकार है।-अश्वनी कुमार (पूर्व कानून और न्याय मंत्री)