क्या मनमोहन सिंह लोकसभा चुनाव लड़ेंगे

punjabkesari.in Monday, Feb 25, 2019 - 03:38 AM (IST)

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस वर्ष 14 जून को राज्यसभा से सेवानिवृृत हो रहे हैं और  लगभग उसी समय एक अन्य कांग्रेसी राज्यसभा सांसद सांतियुस कुजूर राज्यसभा से रिटायर हो रहे हैं। ये दोनों असम से निर्वाचित हुए थे और भाजपा द्वारा राज्य में विजय प्राप्त करने तथा उनके पुन: चुने जाने के लिए कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्या में विधायक नहीं हैं। 

वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सांसद बने रहेंगे। दूसरी ओर उच्च सदन में इस वर्ष तमिलनाडु के अतिरिक्त कोई पद रिक्त नहीं है। इस बात को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या मनमोहन सिंह लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, और किस निर्वाचन क्षेत्र से। पंजाब के कांग्रेस नेताओं के अनुसार मनमोहन सिंह पंजाब से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं और वह पंजाब में किसी भी सीट से आसानी से जीत सकते हैं लेकिन अफवाहें हैं कि वह संभवत: अमृतसर से चुनाव लड़ेंगे। 

अपना दल (एस) का गठबंधन
अपना दल (सोनेलाल) द्वारा भाजपा को दी गई समय सीमा के बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल तथा पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष आशीष पटेल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिले और आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन बारे चर्चा की। अनुप्रिया के अनुसार पार्टी को भाजपा से कुछ समस्याओं का सामना था और उन्होंने उनको भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के सामने रखा और 20 फरवरी तक का समय दिया था लेकिन उन्होंने शिकायतों की कोई परवाह नहीं की और  उनके समाधान के लिए कोई रुचि नहीं दिखाई, इसलिए अपना दल (एस) अब अपना खुद का रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र है। आशीष पटेल के अनुसार पार्टी नेताओं की एक बैठक 28 फरवरी को बुलाई गई है और उसमें अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अपना दल (एस) के वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 2 सांसद तथा 8 विधायक हैं। लखनऊ में अफवाहें हैं कि अनुप्रिया पटेल ने प्रियंका गांधी से मुलाकात की है और उत्तर प्रदेश में गठबंधन के लिए उनकी सहमति बन गई है। 

महाराष्ट्र में अम्बेदकर-कांग्रेस गठबंधन
दलित नेता प्रकाश अम्बेदकर ने घोषणा की है कि भाजपा-शिवसेना गठबंधन को पराजित करने के लिए वह कांग्रेस के साथ गठजोड़ हेतु तैयार हैं। यद्यपि कांग्रेस वर्तमान में नरम हिन्दुत्व का अनुसरण कर रही है जिसका अम्बेदकर विरोध कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि कांग्रेस अपनी धर्म-निरपेक्ष विचारधारा की ओर लौट आए। कांग्रेस-राकांपा गठबंधन अम्बेदकर को लुभा रहा है और उन्हें 4 सीटों का प्रस्ताव दिया है हालांकि वह 12 सीटें मांग रहे हैं, जिसे गठबंधन द्वारा स्वीकार करने की संभावना नहीं है। अम्बेदकर द्वारा गठित वंचित अगाड़ी पार्टी को ओ.बी.सी., दलितों तथा मुसलमानों के एक वर्ग का समर्थन हासिल है। यदि उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ती है तो विपक्षी वोटों के बंटने की आशंका है, इसलिए बहुत से राजनेताओं ने अम्बेदकर पर भाजपा की मदद करने का आरोप लगाया है। 

लेकिन अम्बेदकर के अनुसार कांग्रेस-राकांपा तथा भाजपा-शिवसेना गठबंधन दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं लेकिन यदि उन्हें आने वाले लोकसभा चुनावों में सम्मानजनक सीटें मिलती हैं तो वर्तमान में वह कांग्रेस-राकांपा गठबंधन से हाथ मिलाने को तैयार हैं। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 1 मार्च को मुम्बई तथा धुले जा रहे हैं और महाराष्ट्र व मुम्बई के राज्य कांग्रेस नेताओं से विचार-विमर्श के बाद महागठबंधन बारे निर्णय लेंगे। 

उत्तराखंड कांग्रेस में आंतरिक लड़ाई
लोकसभा चुनावों के लिए टिकटों के बंटवारे को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस के बीच आंतरिक लड़ाई चरम पर पहुंच गई है। गत लोकसभा चुनावों में सभी पांच सीटें भाजपा ने जीती थीं लेकिन इस बार इन पांचों सीटों के लिए बहुत से दावेदार हैं। कांग्रेस में आंतरिक लड़ाई इतनी अधिक है कि ब्लाक एवं जिला स्तरीय कांग्रेस द्वारा भेजी गई सूची में पार्टी महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का नाम नहीं है। हालांकि सीटों के लिए बहुत अधिक नाम हैं। 

हरीश रावत नैनीताल या हरिद्वार से लडऩा चाहते हैं। उन्होंने 2009 में हरिद्वार से लोकसभा सीट जीती थी लेकिन उनका नाम उस सूची में नहीं है, जो हरिद्वार जिला कांग्रेस समिति ने भेजी है और इसी के साथ नैनीताल जिला समिति ने इंदिरा हृदयेश, के.सी. सिंह तथा महेन्द्रपाल का नाम भेजा है जबकि हरीश रावत सूची में नहीं हैं। यह देखने के बाद हरीश रावत अब पौढ़ी गढ़वाल से टिकट चाहते हैं, जहां से भाजपा अजीत डोभाल या कर्नल कोठियाल दोनों में से किसी एक के बेटे को टिकट देना चाहती है। इस बीच राज्य के मंत्री सतपाल महाराज तथा हरक सिंह रावत भी इस सीट से भाजपा की टिकट चाहते हैं। 

लोकसभा चुनावों के लिए यू.पी. में कांग्रेस कमेटियां
लोकसभा चुनावों से पूर्व कांग्रेस ने शनिवार को घोषणा की कि उसने उत्तर प्रदेश में 6 समितियों का गठन किया है। ये हैं-चुनाव समिति, अभियान समिति, चुनावी रणनीति तथा योजना समिति, समन्वय समिति, घोषणा पत्र समिति तथा मीडिया एवं प्रचार समिति। पार्टी के राज्याध्यक्ष राज बब्बर चुनाव समिति की अध्यक्षता करेंगे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद चुनाव समिति के साथ-साथ चुनाव रणनीति एवं योजना समिति का भी हिस्सा बनाए गए हैं। हापुड़ से पूर्व विधायक गजराज सिंह को अभियान समिति का चेयरमैन तथा राशिद अलवी को घोषणापत्र समिति का चेयरमैन बनाया गया है। इंडियन प्रीमियर लीग के पूर्व चेयरमैन राजीव शुक्ला को मीडिया एवं प्रचार समिति का चेयरमैन तथा कांग्रेस विधायी दल (सी.एल.पी.) के नेता अजय कुमार लल्लू को समन्वय समिति की चेयरमैनी सौंपी गई है।-राहिल नोरा चोपड़ा


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