अमीर बच्चे लग्जरी कारों में क्यों धमाल मचाते रहते हैं?

punjabkesari.in Tuesday, Sep 24, 2024 - 06:08 AM (IST)

इस लेख की सभी सुर्खियां एक कहानी बयां करती हैं। सबसे पहले हाल की खबर से शुरुआत करते हैं। 

-10 सितंबर, महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख बावनकुले के बेटे की ऑडी ने नागपुर में कई वाहनों को टक्कर मारी, ड्राइवर गिरफ्तार।
-27 मई, पुणे पोर्श दुर्घटना में नाबालिग के दादा को गिरफ्तार किया गया। पुलिस का कहना है कि उसने ड्राइवर को दोष अपने ऊपर लेने को कहा, और उसे ईनाम देने का वादा किया।
-26 मई, पुणे पोर्श दुर्घटना के कुछ दिन बाद, तेज रफ्तार ऑडी लग्जरी कार ने नोएडा में दूध खरीदने गए बुजुर्ग व्यक्ति को मार डाला। 

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। इस आंकड़े में एक उप-श्रेणी है। अमीर और शक्तिशाली लोगों की संतानों द्वारा चलाई जाने वाली लग्जरी कार, जो अक्सर नियंत्रण से बाहर हो जाती है। स्थिति इतनी जटिल है कि जब कोई ऐसी घटना के बारे में सुनता है, तो उसे तुरंत पता चल जाता है कि यह किसी राजनेता, व्यवसायी या बिल्डर की संतान होगी। इसके बाद जो होता है वह भी उतना ही फार्मूलाबद्ध है। ड्राइवर जिम्मेदारी लेता है, साहब का बेटा दूसरी कार में बैठकर मौके से गायब हो जाता है, और सी.सी.टी.वी. फुटेज गायब हो जाती है। कहानी पहले पन्ने से गायब हो जाती है जब तक कि वही दुर्घटना फिर से नहीं हो जाती, और वही परिणाम बार-बार सामने आते हैं। 

‘ड्राइवर बहाने’ की जड़ें गहरी हैं। इस सदी में, इसकी शुरुआत 27-28 सितंबर 2002 की रात सलमान खान से होती है, जब उनकी लैंड क्रूजर कार बांद्रा में अमेरिकन एक्सप्रैस बेकरी से टकरा गई थी। 6 सितंबर, 2019 को, शीर्षक था, 2002 हिट एंड रन केस में ट्विस्ट - मैं कार चला रहा था, सलमान खान के ड्राइवर ने कोर्ट को बताया। एक और हैडलाइन पढऩे को मिलती है। जनवरी 2014 में एक अरबपति की एस्टन माॢटन की ‘अजीब घटना’ सामने आती है। फिर से, ड्राइवर सामने आता है। बहुत पहले 2008 में, अरविंद अडिगा ने अपने बुकर विजेता ‘द व्हाइट टाइगर’ उपन्यास में इस विवरण को शामिल किया था, जिसने इस बहाने को साहित्यिक इतिहास में अमर और प्रतिष्ठित कर दिया।

उपन्यास का नायक बलराम, एक अमीर परिवार के लिए ड्राइवर के रूप में काम करता है, उसे एक कार दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है जिसमें उसके मालिक की पत्नी शामिल होती है। ये दुर्घटनाएं उदारीकरण के बाद की घटनाएं हैं। इसकी समय-सीमा पिछले 25 वर्षों से चली आ रही है। ऑडी के निर्माताओं की कोई गलती नहीं है कि यह कार भारत के अमीरों की पसंदीदा बन गई। अगर स्कॉच की बात की जाए, तो भारतीयों को एक ब्रांड दूसरों से ज्यादा पसंद है वह है  जॉनी वॉकर ब्लैक। समाजवादी समय में, यह ब्रांड वैट 69 था। वर्तमान में ऑडी कारें  देसी-अमीर लोगों के लिए  जॉनी वॉकर ब्लैक की तरह हैं। 2010 और 2020 के बीच, हमने लैम्बोर्गिनी दुर्घटनाओं के बारे में अधिक सुना। अगस्त 2016 को मुंबली में 15 करोड़ की लैम्बोर्गिनी एक ऑटो से टकरा गई। फरवरी 2012 को दिल्ली में लैम्बोर्गिनी ड्राइवर ने साइकिल सवार को टक्कर मारी और चालक की मौत हो गई। व्याकरण की दृष्टि से भ्रामक शीर्षक ईश्वरीय न्याय का भ्रम प्रदान करता है कि साइकिल सवार नहीं बल्कि ड्राइवर की मौत हुई। लेकिन अफसोस, यह एक भ्रम है। 

जुलाई 2014 में पार्किंग अटैंडैंट के लिए मेरा दिल दुखा था। होटल के वैलेट ने 3 करोड़ की लैम्बोर्गिनी को बर्बाद कर दिया। वह गैलार्डो स्पाइडर को 5-स्टार होटल (अधिक पोर्श-फ्रैंडली?) के पोर्च पर ला रहा था, जब उसने गाड़ी का नियंत्रण खो दिया। क्या कार की गलती है? क्या ड्राइवर की गलती है? या शराब की गलती है? गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति की मूर्खता के अलावा शराब एक कारक है। एक और कारण है, जिसका खुलासा अभिनेता इमरान खान ने एक साक्षात्कार में गलती से किया था। उन्होंने अपने लिए एक फेरारी खरीदी, उसे बेच दिया और एक वी. डब्ल्यू.पोलो खरीदी। स्टार वह हंक बन गया जिसने अपनी फेरारी बेच दी। 28 साल की उम्र में, आपको इन चीजों को चलाने के बारे में कुछ भी नहीं पता होता। यह बहुत ज्यादा शक्तिशाली है और आपकी वास्तविक क्षमता से कहीं ज्यादा बड़ी कार है। और मुझे जल्दी ही पता चल गया कि यह कार मुझसे कहीं ज्यादा बड़ी है। मैं इस वाहन की क्षमताओं के आसपास भी नहीं पहुंच पा रहा हूं। 

इस कथन में इस सवाल का जवाब छिपा है कि अमीर भारतीय बच्चे अपनी लग्जरी कारों को हर समय क्यों चलाते रहते हैं? उन्हें गाड़ी चलाना नहीं आता। और यहां विडम्बना यह है कि  उनके ड्राइवर, जो समाज के निचले तबके से आते हैं, इन सुपरकारों को संभाल सकते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि उन्हें ही पुलिस का सामना करना पड़ता है।-पलाश कृष्ण मेहरोत्रा


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