किसने किस पार्टी को क्या योगदान दिया और क्यों

punjabkesari.in Friday, Mar 22, 2024 - 05:02 AM (IST)

क्या लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन, चुनावी बांड के सामने आने वाले नाटक में स्पोइलर (बिगाड़ने वाला) की भूमिका निभाएगा? हम इस बारे में और खुलासे का इंतजार कर रहे हैं कि राजनीतिक दलों को उनके भारी-भरकम दान को कहां मंजिल मिली। क्या एस.बी.आई. उन लोगों के साथ खिलवाड़ कर रहा है जो अधिकार में हैं और जानबूझकर बांड पर अद्वितीय अल्फा-न्यूमैरिक कोड नम्बरों के प्रकाशन में देरी कर रहे हैं जो लाभान्वित होने वालों की पहचान करेंगे? ऑ

एस.बी.आई. द्वारा ई.सी.आई. को दी गई जानकारी से निश्चित रूप से ज्ञात होता है कि ई.डी. ने 23 सितम्बर 2019 को लॉटरी किंग के परिसर पर छापा मारा था। 5 दिन बाद उन्होंने 190 करोड़ रुपए के चुनावी बांड की पहली खरीदारी की। तब से उनकी कुल खरीदारी  1,368 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। लॉटरी किंग को राजनीतिक दलों को अपना ऋणी क्यों रखना पड़ा? सैंटियागो मार्टिन चुनावी बांड के सबसे बड़े खरीदार हैं। भाजपा चुनावी बांड की सबसे बड़ी लाभार्थी है। इसमें से कितना हिस्सा सैंटियागो माॢटन द्वारा दान किया गया था और किस इरादे से? उन्होंने जो बांड खरीदे उनमें से सबसे बड़ा हिस्सा द्रमुक के एम.के. स्टालिन को गया। द्रमुक को इससे क्या हासिल होने की उम्मीद थी? 

अमित शाह का कहना है कि अर्थव्यवस्था में काले धन से छुटकारा पाने की उनकी पार्टी की इच्छा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण अधूरी रह गई है। मतदाताओं को दानदाताओं की पहचान और प्रत्येक दानकत्र्ता द्वारा समॢथत राजनीतिक दल की पहचान जानने का अधिकार है।  मैं हैरान हूं। चुनावी बांड इस लक्ष्य को हासिल करने में कैसे मदद करते हैं? यदि कोई राजनीतिक दल अपने घरों की छतों से चिल्लाता है कि वह काले धन को खत्म करना चाहता है और वास्तव में इसके विपरीत एक ऐसी विधि तैयार करता है जो मतदाताओं को दान के स्रोत के बारे में अंधेरे में रखता है, तो एक मतदाता के रूप में, मैं निश्चित रूप से ऐसे अविश्वसनीय दल पर नाराजगी जताऊंगा। 

उपनाम मार्टिन, मार्टिन्हो का अंग्रेजी संस्करण है। यह कोई दिया गया नाम भी हो सकता है। पुर्तगालियों ने भारत के पूर्वी तट, बंगाल और तमिलनाडु में कुछ परिवारों का धर्म परिवर्तन कराया। मैं बंगाल में रोसारियो और तमिलनाडु में डायस उपनाम वाले परिवारों को जानता हूं। एक बहुत वरिष्ठ तमिल आई.पी.एस. अधिकारी डायस को 70 के दशक में राष्ट्रीय पुलिस अकादमी का निदेशक नियुक्त किया गया था। केरल में पुर्तगालियों द्वारा धर्मांतरित परिवारों की संख्या कहीं अधिक है। उन्हें स्थानीय रूप से ‘लैटिन ईसाई’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि स्थानीय भाषा के प्रचलन से पहले तक सामूहिक प्रार्थना लैटिन में ही की जाती थी। ये सेवाएं केरल के पहले ईसाइयों, जिन्हें सीरियाई ईसाई कहा जाता है, के बीच सिरिएक में हैं। 

उनके नाम की उत्पत्ति जो भी हो, ‘लॉटरी किंग’, जो कोयम्बटूर के रहने वाले हैं और जिन्होंने बर्मा (म्यांमार)में एक मजदूर के रूप में शुरूआत की थी, अब नकदी का धंधा चला रहे हैं। लॉटरी व्यवसाय स्पष्ट रूप से पैसा कमाने वाला व्यवसाय है। भाजपा गेमिंग से होने वाली सारी कमाई को पाप बताता है। घुड़दौड़, जो हजारों नागरिकों को रोजगार देती है, क्लब के टी.ओ.टी.ई. में लगाए गए प्रत्येक दांव पर लगाए गए 28 प्रतिशत जी.एस.टी. के कारण धीरे-धीरे खत्म हो रही है। क्रिकेट मैचों के नतीजों पर सट्टा लगाना अब आदी हो चुके एक जुआरी के लिए आम बात हो गई है। यह धंधा फल-फूल रहा है, हालांकि भारत में ऐसा जुआ पूरी तरह से अवैध है। कुछ शर्तों के साथ यू.के. में सभी प्रकार के खेल आयोजनों पर दांव लगाने की अनुमति है और लाइसैंस भी है। 

चुनावी बांड के विषय पर लौटते हुए मैं कहना चाहता हूं कि मैं सरकार द्वारा नियंत्रित भारतीय स्टेट बैंक को किसी भी छूट की अनुमति नहीं देने के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद देता हूं, जिसने बांड के खरीददारों और प्राप्तकत्र्ताओं के विवरण का खुलासा करने के लिए जून तक का समय मांगा था। जब बांड पर अद्वितीय अल्फा-न्यूमैरिक कोड नंबर का मिलान उस राजनीतिक दल से किया जाता है, जिसे किसी विशेष दानकत्र्ता की उदारता से लाभ हुआ है, तो काले धन के घटक, जिसके बारे में अमित शाह परेशान हैं, मूल के पीछे के मकसद के साथ-साथ पेपर ट्रेल के माध्यम से पता लगाया जाएगा। 

कार्पोरेट घरानों द्वारा राजनीतिक दलों को दिया जाने वाला चंदा एक आवश्यकता है। दरअसल, हर कार्पोरेट घराने को दान देना पड़ता है। नागरिकों के लिए यह बेहतर होगा कि उनके शासक जुए की बुराई के बारे में नैतिकता बताना बंद कर दें और इसे खुले मैदान में आने दें। जो पुलिस कर्मी नियमित रूप से इस ‘असामाजिक बुराई’ पर अपनी आंखें बंद कर लेते हैं और जो राजनेता अवैध संचालकों से अपना आधा पैसा वसूलते हैं, उन्हें नुकसान होगा, लेकिन लंबे समय में जनता को फायदा होगा। सरकार करों में बढ़ौतरी करेगी। अकेले क्रिकेट सट्टेबाजी के दम पर सरकार मौजूदा लाखों लोगों को 5 किलो चावल या गेहूं से खाना खिलाने में सक्षम होगी, जो सरकार हर महीने देती है। सरकारों द्वारा पेश किए गए आंकड़े बताते हैं कि देश की लगभग 40 प्रतिशत आबादी ऐसी ही खैरात पर जीवनयापन करती है। 

जाहिर है, अमित शाह और भाजपा के वरिष्ठ नेता चुनावी बांड की यात्रा के बारे में सामने आ रहे खुलासों से नाखुश हैं। उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। अधिकांश पढ़े-लिखे लोगों को पहले ही सच्चाई पर संदेह हो गया था। कम पढ़े-लिखे और कम सम्पन्न लोगों को इसकी कोई परवाह नहीं है। वे हमारे प्रधानमंत्री की भाषण शैली और उनकी प्रचार मशीन द्वारा बनाई गई जबरदस्त पंथ छवि के कारण मोदी-भक्त बन गए हैं। अब समय आ गया है कि वह गियर बदलें।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)


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