किस करवट बदलेगी ‘झारखंड की राजनीति’

punjabkesari.in Monday, Dec 23, 2019 - 03:40 AM (IST)

झारखंड विधानसभा चुनावों के नतीजे आज घोषित हो जाएंगे। भाजपा को यहां सत्ता में लौटने की उम्मीद है। हालांकि एन.डी.ए. के कई सहयोगियों ने 2019 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ा है जिनमें भाजपा  का वर्तमान सहयोगी आजसू भी शामिल है। रामविलास पासवान की लोजपा तथा नीतीश कुमार नीत जद (यू) ने भी अकेले चुनाव लड़ा है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला झारखंड मुक्ति मोर्चा  (झामुमो) तथा उनका गठबंधन जिसमें राजद भी शामिल है, यह मानकर चल रहे हैं कि वे भाजपा को सत्ता से हटा देंगे।  राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि झारखंड में किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा।

अधिकतर एग्जिट पोल भी ऐसा ही दर्शा रहे हैं तथा उनका दावा है कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरेगी लेकिन झामुमो-कांग्रेस-राजद नीत फ्रंट सरकार बना सकता है क्योंकि उन्हें 50 से ज्यादा सीटें मिल सकती हैं। शनिवार को अंतिम चरण के मतदान में 71.69 प्रतिशत मतदान हुआ। 2014 के चुनावों में भाजपा को 37 जबकि आजसू को 5 सीटें मिली थीं। दूसरी ओर 2014 में झामुमो ने 19 सीटें तथा कांग्रेस ने 6 तथा जे.वी.एम. ने 8 सीटें जीती थीं। झारखंड में सीटों की कुल संख्या 81 है। अधिकतर एग्जिट पोल  कांग्रेस गठबंधन को 35 तथा भाजपा गठबंधन को 32 सीटें दिखा रहे हैं। 

उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति 
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति ने भाजपा हाईकमान को ङ्क्षचता में डाल दिया है लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब भी यही दावा कर रहे हैं कि पिछले अढ़ाई साल से उनकी सरकार  के कार्यकाल में कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी और नियंत्रण में है। कानून व्यवस्था के बारे में उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का मत अलग है। खासतौर पर उन्नाव में एक रेप केस में पूर्व भाजपा  विधायक की संलिप्तता को लेकर वर्तमान में हाईकोर्ट ने डी.जी.पी. और गृह सचिव को बिजनौर के जिला कोर्ट में हुई उस घटना को लेकर नोटिस जारी किया है जिसमें मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट में एक व्यक्ति को मार दिया गया था।

हाईकोर्ट के जजों ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि यदि कोई व्यक्ति कोर्ट के अंदर ही सुरक्षित नहीं है तो यह कल्पना की जा सकती है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति क्या है। उधर उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा विधायक नंद किशोर ने स्पीकर हृदय नारायण दीक्षित तथा संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना की चेतावनी के बावजूद सदन को डिस्टर्ब किया जहां  100 से अधिक भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर के समर्थन में थे। इस बीच सपा, बसपा तथा कांग्रेस के विधायक भी नंद किशोर गुर्जर का समर्थन कर रहे थे तथा ‘‘एम.एल.ए. एकता जिंदाबाद’’ के नारे लगा रहे थे। दरअसल गुर्जर ने प्रदेश में कानून व्यवस्था और बढ़ते भ्रष्टाचार का मसला उठाया था। 

छवि सुधारने में डटे केजरीवाल
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के औपचारिक तौर पर केजरीवाल के साथ आने से पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपनी छवि  चमकाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। अब केजरीवाल गरीबों के अलावा मध्यवर्गीय वोटर्स पर भी ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। वह अब स्वयं को व्यवस्था विरोधी विद्रोही के तौर पर पेश करने की बजाय मध्य  वर्ग और गरीबों को बिजली, पानी और सीवर लाइन के बिलों में राहत देने की कोशिश कर रहे हैं। वह स्वास्थ्य, शिक्षा तथा पर्यावरण के मामले में उनकी सरकार की ओर से किए गए कार्यों को गिना रहे हैं। अब उनकी खांसी दूर हो गई है तथा वह अधिक मैच्योर नजर आ रहे हैं। 

मध्य प्रदेश कांग्रेस को अध्यक्ष की तलाश 
कमलनाथ को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाले हुए एक वर्ष बीत चुका है तथा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी उनके पास है। कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी अभी तक कमलनाथ के स्थान पर प्रदेश अध्यक्ष के उम्मीदवार की तलाश में है। दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया  तथा लक्ष्मण सिंह अब मुख्यमंत्री के खिलाफ काम कर रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ की कार्य प्रणाली पर नाराजगी जाहिर की है तथा वह चाहते हैं कि हाईकमान उन्हें प्रदेशाध्यक्ष बनाए अन्यथा वह पार्टी छोड़ देंगे। दूसरी ओर दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह ने छछौरा को जिला बनाने की मांग रखते हुए अपने भाई के घर के आगे धरना दिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मांग रखी है कि किसानों के 2 लाख तक के ऋण माफ किए जाएं। इस बीच शोभा ओझा का कहना है कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है और हर नेता को सरकार के कामकाज की आलोचना करने का अधिकार है। हम सब एक हैं तथा प्रत्येक नेता मुख्यमंत्री कमलनाथ  के समर्थन में हैं जो राज्य को विकास के पथ पर आगे बढ़ा रहे हैं। 

प्रस्तावित साई-फाई संसद भवन
एक नए संसद भवन की तैयारी हो रही है। लेकिन वर्तमान ऐतिहासिक भवन, जो कई ऐतिहासिक घटनाओं और चर्चाओं का गवाह है, को गिराया नहीं जाएगा। इसकी बजाय इसे एक म्यूजियम में परिवर्तित कर दिया जाएगा। वर्तमान बिल्डिंग में एक समस्या यह है कि छोटे दलों के संसदीय कार्यालयों की सीढिय़ां भरी रहती हैं। हालांकि इनका इस्तेमाल नहीं किया जाता लेकिन इन्हें एक खतरे के तौर पर देखा जाता है। इसके अलावा पक्ष और विपक्ष के कई वरिष्ठ नेताओं  के कमरों में अटैच्ड वॉशरूम्स नहीं हैं।-राहिल नोरा चोपड़ा               
            


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