ताजमहल की सुरक्षा के लिए प्रतिबंध का क्या होगा असर

punjabkesari.in Saturday, Oct 01, 2022 - 04:39 AM (IST)

प्रतिष्ठित ऐतिहासिक स्थल की सुरक्षा के लिए, 28 सितम्बर 2022 को  सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल की सीमा के 500 मीटर के दायरे में व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की खंडपीठ ने सोमवार को निर्देश जारी किया, जिसमें आगरा विकास प्राधिकरण को स्मारक ताजमहल की सीमा/परिधीय दीवार से 500 मीटर के भीतर सभी व्यावसायिक गतिविधियों को हटाने का निर्देश दिया गया था, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के साथ के अनुरूप होगा।

कुछ दुकानदारों द्वारा एक रिट जिन्हें ए.डी.ए. द्वारा ताजमहल के पश्चिमी द्वार से विस्थापित किया गया था और उन्हें कहीं और दुकानें आबंटित की गई थीं। हालांकि, स्थानीय निवासी और दुकानदार इस फैसले से खुश नहीं हैं। ताजगंज क्षेत्र के निवासियों ने दावा किया कि यदि इस आदेश को लागू किया जाता है, तो इससे ताजमहल की बाहरी सीमा के 300 मीटर के भीतर स्थित अपने घरों से दशकों से अपना व्यवसाय चलाने वाले कई लोगों की आजीविका पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।

इन व्यवसायों में यात्रियों के लिए कम कीमत वाले होटल और गैस्ट हाऊस, हस्तशिल्प और स्मारिका की दुकानें, मनी चेंजर, साइबर कैफे और बहुत कुछ शामिल हैं। सुप्रीमकोर्ट के आदेश का विश्लेषण किया जा रहा है और जल्द ही ताजगंज के निवासी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर करेंगे। ताजगंज के निवासी 1996 में भी अदालत गए थे जब स्थानीय प्रशासन ने ताज के आसपास अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या की थी।

यह उल्लेख करना उचित है कि स्मारक का 500 मीटर-का क्षेत्र एक गैर-निर्माण क्षेत्र है, इसके अलावा वाहनों की आवाजाही पर सख्त नियम हैं। पूरे क्षेत्र में स्मारक के पास लकड़ी जलाने और नगरपालिका के ठोस कचरा और कृषि अपशिष्ट पर भी प्रतिबंध है। यह उल्लेख करना उचित है कि ताज ट्रैपेजियम  जोन (टी.टी.जैड) उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा और राजस्थान के भरतपुर जिलों में फैला हुआ 10,400 वर्ग किमी क्षेत्र है। टी.टी.जैड. की स्थापना 30 दिसंबर 1996 को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के माध्यम से ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए की गई थी।

पहली बार नहीं : विशेष रूप से, यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के आसपास वाणिज्यिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। साल 2000 में भी सुप्रीम कोर्ट की एक बैंच ने ऐसा ही आदेश पारित किया था। अगर इस आदेश को निष्पक्ष रूप से लागू किया जाता है, तो इसका परिणाम ताजमहल के पूर्वी गेट पर स्थित कई लग्जरी होटलों को भी बंद करना पड़ सकता है, जिसमें एक फाइव स्टार लग्जरी होटल भी शामिल है।

ऐसा प्रतीत होता है कि आगरा विकास प्राधिकरण अदालत के समक्ष स्थिति की गंभीरता को उजागर करने में विफल रहा है। इस आदेश का कार्यान्वयन बहुत कठिन था और ताजगंज के निवासियों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ेगा। इसके बजाय, ए.डी.ए. को उन व्यवसायों की पहचान करने पर ध्यान देना चाहिए जो क्षेत्र में अवैध रूप से चल रहे थे और उन्हें हटाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। पूरा इलाका भीड़-भाड़ वाला, बदबूदार और लोगों से भरा हुआ है, जिन पर पर्यटकों को भगाने का आरोप है। अनधिकृत या स्वतंत्र गाइड को स्थानीय भाषा में लपकस कहा जाता है।

‘कैच 22’ की स्थिति को सुलझाना आसान नहीं है। यदि शीर्ष अदालत 1996 की मिसाल पर चलती है, तो राहत की कोई उम्मीद नहीं रहनी चाहिए, लेकिन अगर उत्तर प्रदेश सरकार मामले को उठाती है और शीर्ष अदालत को आदेश के गंभीर प्रभावों के बारे में समझाने में सक्षम है, तो कुछ राहत मिल सकती है। 17वीं सदी के प्रेम के स्मारक को सालाना 7 मिलियन से अधिक पर्यटकों द्वारा देखा जाता है और यह भारत का सितारा पर्यटक आकर्षण है।-एस.सी. ढल्ल  (रि. बैंकर)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News