दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है

punjabkesari.in Friday, Sep 13, 2024 - 08:25 AM (IST)

दिल -ए-नादां तुझे हुआ क्या है, आखिर इस दर्द की दवा क्या है। मशहूर शायर मिर्जा गालिब की यह गजल काव्यात्मक और रूपकात्मक रूप से जीवन के शाश्वत व मौलिक प्रश्न पूछती है। गालिब की यह प्रसिद्ध गजल वास्तविकताओं को काव्यात्मक रूप से व्यक्त करने की कुशलता का एक बेहतरीन उदाहरण है। परंतु आज हम जिस विषय को उठा रहे हैं वह इससे भी ज्यादा गंभीर है। हृदय रोग से संबंधित बीमारियों और उनसे होने वाली जवान मौतों के बढ़ते हुए आंकड़े हम सभी के मन में कुछ अहम सवाल पैदा कर रहे हैं। कुछ लोग इसे कोविड के लंबे असर से भी जोड़ रहे हैं परंतु कोविड के अलावा भी अन्य कारण हैं जो अल्पायु में हृदय रोग को बढ़ावा दे रहे हैं। 

ज्यादातर देखा गया है कि दिल का दौरा या हार्ट अटैक 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को आता है। दिल का दौरा पडऩे के और कारणों में से प्रमुख है मधुमेह या शुगर के मरीज और ब्लड प्रैशर के मरीज। इन मरीजों में हार्ट अटैक की संभावना काफी अधिक होती है। इसके साथ ही धूम्रपान करने वाले व्यक्ति भी दिल के मरीज कब बन जाते हैं इसका पता नहीं चलता। इसका कारण यह है कि धूम्रपान करने से दिल का दौरा पडऩे की संभावना 3 गुना बढ़ जाती है। 

धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को जब पता चलता है कि वह दिल का मरीज बन गया है तब तक काफी देर हो जाती है। 40 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों को दिल का दौरा पडऩा अधिक धूम्रपान करने की वजह से होता है। साथ ही जो व्यक्ति तनाव की  जिंदगी जीते हैं, नियमित व्यायाम नहीं करते, बेवजह और हर समय जंक फूड का सेवन करते हैं, वे भी इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। क्या कभी आप ने सुना है किसी हट्टे-कट्टे व्यक्ति को अचानक दिल का दौरा पड़ा और उसकी मौत हो गई? पिछले कुछ वर्षों से ऐसी तमाम खबरें सामने आ रही हैं जहां व्यक्ति अपने रोजमर्रा के काम या आराम के समय अचानक बेहोश हो गया और उसकी मौत हो गई। मृत्यु का कारण दिल का दौरा। कुछ लोग इसे चीन से आए कोरोना के वायरस का साइड इफैक्ट बता रहे हैं। 

एक शोध के अनुसार अमरीका में कोविड से ठीक हुए व्यक्तियों में 20 तरह के हृदय रोग के लक्षण पाए गए। इनमें उन लोगों के मुकाबले, जिन्हें कोविड नहीं हुआ, हृदय गति रुक जाने या हार्ट फेल होने की संभावना 72 फीसदी अधिक पाई गई। इनमें औरों के मुकाबले स्ट्रोक आने की संभावना भी 17 प्रतिशत अधिक पाई गई। हाल ही में एमरजैंसी मैडीकल रिसर्च इंस्टीच्यूट (ई.एम.आर.आई.) की एक रिपोर्ट सामने आई है। जिसके नतीजे कहते हैं कि हार्ट अटैक वाले ज्यादातर लोगों की उम्र 50 साल से कम है। यदि आप सोच रहे हैं कि इस सबके पीछे आपकी जीवन शैली है तो ऐसा सही है। परंतु आपकी जीवन शैली में ऐसी कौन सी कमी है जो हार्ट अटैक का कारण बन रही है? आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका दोषी पाम ऑयल है। इतना ही नहीं यह पाम ऑयल मदिरापान  और धूम्रपान से कहीं अधिक खतरनाक है। सोशल मीडिया में मुंबई के जगजीवन राम अस्पताल के डाक्टर पी.के. समांतराय का एक संदेश काफी चर्चा में है। वे कहते हैं कि, ‘‘दुनिया में भारत पाम ऑयल का सबसे बड़ा आयातक है। 

हमारे देश में पाम ऑयल माफिया बहुत ताकतवर है। इनके कारण हमारे बच्चे, जो देश का भविष्य हैं, एक बड़े खतरे में जी रहे हैं। आज हमारे देश में पाम ऑयल के बिना कोई फास्ट फूड नहीं मिलता। यदि आप किराने की दुकान पर जाते हैं और पाम ऑयल के बिना बच्चों के लिए कोई खाद्य पदार्थ लेने का प्रयास करें तो आप सफल नहीं होंगे। देश में ज्यादातर बिस्किट और चॉकलेट भी बिना पाम ऑयल के नहीं बनते।’’ डा. समांतराय आगे कहते हैं कि, ‘‘हमें विज्ञापनों के द्वारा यह विश्वास दिलाया जाता है कि ऐसे खाद्य पदार्थ स्वस्थ हैं । लेकिन हम जानलेवा पाम ऑयल या पामिटिक एसिड के बारे में कभी नहीं जानते थे।

‘लेज’ जैसी बड़ी कंपनियां पश्चिमी देशों में अलग तेल बेचती हैं और भारत में पाम ऑयल का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए करती हैं क्योंकि यह सस्ता है। जब भी हमारा बच्चा पाम ऑयल युक्त उत्पाद खाता है, तो मस्तिष्क अनुचित व्यवहार करता है और हृदय के आसपास और हृदय में वसा स्रावित करने का संकेत देता है। जिससे बहुत कम उम्र में मधुमेह हो जाता है। वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम ने अनुमान लगाया है कि कम उम्र में मरने वाले 50 प्रतिशत लोग मधुमेह और हृदय रोग से मरेंगे। 

समय-समय पर होने वाले शोध भी बताते हैं कि रेडी-टू-ईट और पैकेज्ड फूड्स में अक्सर पाम ऑयल होता है, जो हमारी सेहत को कई नुकसान पहुंचा सकता है। पाम ऑयल में सैचुरेटेड फैट काफी मात्रा में पाई जाती है। यह बॉडी में कोलैस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाता है। इसके कारण दिल की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। साल 2022 में भारत में पाम ऑयल की खपत 8 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक हुई थी। यदि हमें अपने हृदय को स्वस्थ रखना है तो अपनी जीवन शैली में उचित सुधार लाने होंगे और अपने बच्चों को भी स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करना होगा, वरना भारत में हृदय रोग के आंकड़े बढ़ते ही रहेंगे। -रजनीश कपूर


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