‘दिल ढाए कर जो काबा बनाया तो क्या हुआ’

punjabkesari.in Tuesday, Aug 04, 2020 - 02:27 AM (IST)

इस्तांबुल में सेंट सोफिया संग्रहालय को फिर से एक मस्जिद में तबदील किया जा रहा है। इस मौके पर मीर तकी मीर की पंक्तियां मेरे लिए एक संवेदनशील आधार बन रही हैं। मिसाल के तौर पर उस समय जब मैंने दक्षिण स्पेन में 786 ईस्वी में निर्मित विशाल कोरदोबा मस्जिद की यात्रा की थी जिसे 1236 ईस्वी में एक लाइव चर्च में तबदील कर दिया गया। 

मीर ने कहा, ‘‘मत रंज कर किसी को कि अपने तो एतकाद दिल ढाए कर जो काबा बनाया तो क्या हुआ’’ मतलब किसी भी इंसान का दिल मत दुखाया जाए। अल्ला का घर या काबा का निर्माण करना मायनेनहीं रखता। यदि कोई प्रोजैक्ट मानव का दिल तोड़ देता है। मीर के समकालीन मिर्जा रफी सौदा ने मीर की छवि को बदल दिया। ‘‘काबा अगर अगरचे ढाया तो क्या जाए गम है शेख। यह कसर ऐ दिल नहीं कि बनाया न जाएगा। (काबा का विध्वंस आफत नहीं, जैसा कि दिल तोडऩे से है जिसकी कभी भी मुरम्मत नहीं हो सकती)। 

इस्तांबुल का स्काईलैंड पूरी तरह से एक पिक्चर पोस्ट कार्ड है। यहां पर कुशलतापूर्वक गुंबद तथामीनारें बनाई गई हैं,जो थर्मामीटर की तरह पतलीहैं। आयासोफिया संग्रहालय अकेला खड़ा है। महान बाईजनटाइम कैथेड्रल का निर्माण यूरोप के किनारे पर 537वें ईस्वी में किया गया था जोकि मरमारा सागर की चित्रमाला पर हावी होने के लिए डिजाइन किया गया है। अरब को मोहम्मद बिन कासिम ने 711 ईस्वी में खोजा था। यह वही तारीख थी, जब तारिक इब्ने जियाद ने मोरक्को को पार किया था ताकि एक स्टेशन बनाया जा सके। इसे उसने जबाल अल तारीख का नाम दिया जिसको ब्रिटिश साम्राज्य ने 1704 में नाम बदल कर जिब्रालटर कर दिया। इस नाम को प्रसिद्ध स्पैनिश, ब्रिटिश नौसेना संघर्ष के बाद दिया गया जिसमें स्पैनिश अरमाडा भी शामिल था। 

800 वर्षों का मुस्लिम साम्राज्य उथल-पुथल होकर स्पेन के आसपास तक फैला था। इतिहास के इस चरण को खोजने के लिए किसी एक को मारिया रोजा मैनोकाल की किताब ‘आर्नामैंट ऑफ द वल्र्ड’ को पढऩा होगा। मुसलमानों, यहूदियों तथा ईसाइयों ने सहनशीलता की एक संस्कृति का निर्माण किया। इस किताब का शीर्षक अपने आप में पूरी कहानी बताता है। इस्लाम फोबिया के घातक तीन दशकों में हमारे उदारवादियों के पास ऐसा कोई विजन नहीं था कि इतिहास के उन चरणों को दोहराएं जब मुस्लिम साम्राज्य के अधीन समृद्ध बहु-संस्कृतवाद को खोजा गया। ईसाइयों द्वारा 1492 में इसे पुन: जीतने के बाद यहूदियों द्वारा ज्यादा तेज खोज की गई जिन्होंने मोरक्को में शरण ली और उसके बाद वे ओटोमन अम्पायर चले गए। महान पूर्वी आर्थोडैक्स कैथेड्रिल की महिमा को आंशिक तौर पर ग्रहण लगा, जब रोमन कैथोलिक चर्च ने इस पर 6 दशकों तक कब्जा कर लिया। 

मगर 1453 में आटोमन अम्पायर का यह सुल्तान महमत का शासन था जिसने कैथेड्रिल को पूर्ण ग्रहण झेलने के लिए मजबूर किया। इसे मस्जिद में तबदील कर दिया गया। प्रथम विश्व युद्ध के बाद आटोमन अम्पायर के मलबे से मुस्तफा कमाल पाशा ‘अतातुर्क’ ने आधुनिक तुर्की का निर्माण किया। वह अपने देश को पिछड़ेपन से आधुनिक बनाने के लिए दृढ़ संकल्प थे। अतातुर्क ने धर्मनिरपेक्ष तुर्की का सपना देखा। उन्होंने तुर्की भाषा के लिए अरबी वर्णमाला को रोमन लिपि के साथ बदल दिया। 

उन्होंने फैज टोपी को बदल दिया और इस्लाम को धार्मिक मामलों के विभाग के अधीन ले आए। इसका संबंध प्रधानमंत्री के साथ जोड़ा गया। अब इसमें दो राय नहीं थी कि इस्तांबुल तथा अंकारा के जीवन का स्वाद इस्लाम से ज्यादा यूरोपियन हो गया। जैसा कि ईरान के शाह के अधीन उत्तरी तेहरान का हुआ। मगर तुर्की की धर्मनिरपेक्षता के लिए ऐसा कौन सा घटक था जिसने इसको और मजबूत बना दिया? यह तुर्की सेना थी जोकि रिपब्लिक गणराज्य के धर्मनिरपेक्षता की गारंटर बन गई। अतातुर्क ने यह समझ लिया और तुर्की के भविष्य को जान लिया। उन्होंने यह जान लिया कि सोफिया मस्जिद यूरोप के लिए आंखों के जाले की तरह होगी। 

1934 में एक कार्यकारी आदेश के तहत इसे बाइजनटाइन इतिहास के एक संग्रहालय के तौर पर पुन: खोजा गया। पश्चिमी रूखेपन ने अंतत: तुर्की के धर्मनिरपेक्ष भवन को अपनी चपेट में ले लिया। पश्चिम विशेष तौर पर अमरीका, इसराईल की अरब समाजवाद के साथ शत्रुता रही। तुर्की के उथल-पुथल के विवरण का व्याख्यान करना जरूरी है। पूर्व यूगोस्लाविया, सर्बियन तथा कुरेशियन राष्ट्रवाद बोस्निया मुसलमानों की ओर झुका और अत्याचार झेला। यू.एन. के मिलिट्री कमांडर जनरल सर माइकल रोज ने साराजेवो के चार वर्षों तक चले घेरे का वृत्तांत लिखा है। बल्कान पूरे इतिहास के दौरान ऑटोमन तथा आस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्यों के युद्ध का स्थानरहा। यह हत्याओं का विस्तृत स्थल बन गया, जब बैलग्रेड यूगोस्लाविया को इकट्ठा रखने में नाकाम रहा। बोस्नियन मुसलमानों का असहायपन अप्रत्याशित था। 

सुबह-शाम तथा दोपहर को तुर्की बोस्निया तथा साराजेवो के अत्याचारों को देखते रहे जोकि तुर्की की ऐतिहासिक याद का विचारोत्तेजक हिस्सा था। एक शक्तिशाली पश्चिम विरोधी इस्लामी पार्टी रेफा ने आकार लिया और जंगल की आग की तरह बढ़ गई। रेफा के  संस्थापक नेकमेट्नि इरबाकन प्रधानमंत्री बने और उन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष संविधान का निर्माण किया। सेना ने इस्लामी प्रधानमंत्री को सत्ताहीन कर दिया। इरबाकन के आश्रितों अब्दुल्ला गुल तथा तैयब अरडोगन ने रेफा को तोड़ दिया तथा स्वयं जस्टिस एंड डिवैल्पमैंट पार्टी के नेताओं के तौर पर धर्मनिरपेक्षता का परिधान पहन लिया। 

उन्होंने यूरोपियन यूनियन के सदस्यों के लिए अपना आवेदन जिंदा रखा। वास्तव में फ्रांसीसी राष्ट्रपति घिसकार्ड ने आभासी तौर पर तुर्की के मुंह पर तमाचा मारा। उन्होंने कहा कि यूरोपियन सभ्यता सीरिया से निपटने में नाकाम रहने के बाद, यूरोप, रशिया तथा अमरीका को समझने में नाकाम होने के बाद एडॉगन फिर से धार्मिक आतंकवाद की राजनीतिक किताब के पुराने तौर-तरीकों पर लौट आए। वह इस्लामियों को इस तरह संबोधित करेंगे कि ‘‘विजेता महमत की तरह मैंने आपकी प्रार्थना के लिए एक विशाल मस्जिद को फिर से बहाल कर दिया है।’’-सईद नकवी
   


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