लोकतंत्र की भावना के विरुद्ध है हिंसा
punjabkesari.in Saturday, Aug 05, 2023 - 05:10 AM (IST)

भारत में हाल ही में हिंसक प्रवृत्तियों को कैसे देखा जा रहा है? ऐसे सवालों का कोई सीधा जवाब नहीं हो सकता। मैं देश की बढ़ती प्रदूषित संस्कृति के लिए किसी व्यक्ति या राजनीतिक समूह को दोष नहीं देना चाहता। एक तरह से यह कहा जा सकता है कि आज हम राजनीति में जो देख रहे हैं वह प्रतिस्पर्धी नकारात्मकता है और हम जानते हैं कि नकारात्मकता के माहौल में एक लोकतांत्रिक राजनीति स्वस्थ तरीके से विकसित नहीं हो सकती।
जयपुर-मुम्बई सैंट्रल सुपर फास्ट एक्सप्रैस में एस्कार्ट ड्यूटी पर तैनात रेलवे सुरक्षा बल के एक कांस्टेबल का मामला लीजिए। उसने अपनी स्वचालित राइफल से 12 राऊंड गोलियां चलाईं जिसमें पहले उसके वरिष्ठ अधिकारी और फिर 3 रेल यात्रियों की मौत हो गई। कांस्टेबल चेतन सिंह (33) ने यात्रियों की ओर मुडऩे से पहले अपने वरिष्ठ, सहायक उप-निरीक्षक (ए.एस.आई.) टीकाराम मीणा (33) को गोली मार दी। टीकाराम की सेवानिवृत्ति में केवल 9 महीने ही बचे थे। यह अफसोस की बात है।
चेतन सिंह के मानसिक स्वास्थ्य पर पलटवार करते हुए आर.पी.एफ. कांस्टेबल ने बुधवार (2 अगस्त) को कहा कि उसके परिवार वालों ने उसकी मैडीकल हिस्ट्री को कार्यालय से गुप्त रखा, हालांकि बाद में उसने चल रही जांच का हवाला देकर अपना बयान वापस ले लिया। रेल मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि वर्तमान चिकित्सीय बीमारी का इलाज चेतन सिंह ने व्यक्तिगत स्तर पर किया है और यह आधिकारिक रिकार्ड में शामिल नहीं है। उसने और उसके परिवार वालों ने इसे गुप्त ही रखा।
हरियाणा में हिंसा के एक अन्य मामले में राज्य के गृहमंत्री ने कहा है कि मुस्लिम बहुल नूंह जिले में विश्व हिंदू परिषद यात्रा के खिलाफ हिंसा पूर्व नियोजित और सोशल मीडिया पोस्ट से भड़काई गई लगती है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि सम्पत्ति को नुक्सान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वह अपने दंड कार्य को कैसे करेंगे। इसके विपरीत सर्वोच्च न्यायालय काफी दृढ़ और स्पष्टवादी रहा है। पीठ ने खुद को एक सर्वव्यापी आदेश पारित करने तक ही सीमित रखा जिसमें केंद्र और पुलिस से रैलियों में हिंसा और नफरत फैलाने वाले भाषणों को रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया गया।
‘इंडिया’ नामक विपक्षी गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं ने शांति और सद्भाव को फिर से स्थापित करने और ङ्क्षहसक कृत्यों के बाद हुई तबाही के लिए जवाबदेही निर्धारित करने हेतु राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रपति से कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी को मणिपुर का दौरा करने, सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कदम उठाने और लोगों को राहत देने के लिए प्रेरित करें। राष्ट्रपति को सौंपे एक ज्ञापन में विपक्षी गठबंधन ने उनसे मणिपुर में वर्तमान स्थिति पर संसद को तत्काल संबोधित करने के लिए प्रधानमंत्री पर दबाव डालने का भी आग्रह किया।
यह बताने की जरूरत है कि हिंसा का प्रभाव विनाशकारी रहा है जिसमें 200 से अधिक लोगों की जानें चली गईं, 500 से अधिक घायल हुए और आगजनी से संबंधित घटनाओं में 5000 से अधिक घर जलकर खाक हो गए। 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं जो राज्य भर के राहत शिविरों में गंभीर परिस्थितियों में रह रहे हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि प्रिय मोदी मणिपुर के लोगों को राहत पहुंचाने में सक्रिय होंगे। मणिपुर में हिंसा निश्चित रूप से भयावह हो गई है। कहा जाता है कि एक हिंदू भीड़ ने गुडग़ांव की एक मस्जिद के इमाम की हत्या कर दी और मस्जिद को आग लगा दी। मस्जिद के बाहर मजबूत पुलिस उपस्थिति के कारण परेशान करने वाली बात हमारे राष्ट्रीय जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक असंतुलित व्यवस्था और भेदभाव की परिचालन संबंधी कमियों का अस्तित्व है। यह वास्तव में देश के सामने एक बड़ी चुनौती है।
मेरा मानना है कि अगर हम सभी भारतीय हर स्तर पर शुरूआत से ही अपने अंदर निहित बेईमानी और पाखंड का 30 प्रतिशत भी त्याग कर दें तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। हमारी परिचालन समस्या नकारात्मक मानसिकता और अस्वस्थ प्रतिस्पर्धी राजनीति में से एक है। आधुनिक भारत को न केवल अच्छा महसूस करवाने वाले वर्ग के लिए, बल्कि गरीबों और वंचितों, आदिवासियों और मुसलमानों के लिए भी एक संतुलित दृष्टिकोण की जरूरत है। मेरा यह भी मानना है कि अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदायों को समाज की बेहतरी के लिए खुद को लगातार समायोजित करना होगा। इसके लिए व्यापक, तर्कसंगत और राष्ट्रीय दृष्टिकोण की जरूरत है। अधिकांश पुराने दृष्टिकोण अब प्रासंगिक नहीं रह गए हैं। इसी प्रकार ङ्क्षहसा के संवेदनशील कार्य भी हैं जो किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए विनाश का कारण बन सकते हैं।-हरि जयसिंह