ट्रूडो को पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों से सबक लेना चाहिए था
punjabkesari.in Wednesday, Sep 27, 2023 - 05:24 AM (IST)

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने चंद रोज पहले कनाडियन पार्लियामैंट में भारत के 10 लाख के ईनामी भगौड़े आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर के कुछ महीने पहले मारे जाने पर शक की बुनियाद पर भारत की एजैंसी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि यह हमारी सम्प्रभुता में दखल और अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लघंन है। उनकी विदेश मंत्री ने भी इसी तरह की इल्जामतराशी की है। एक विकसित देश के प्रधानमंत्री द्वारा इस तरह के जल्दबाजी में गैर-जिम्मेदाराना, मनगढ़ंत, हैरतअंगेज और बेबुनियाद बयान से भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के बड़े-बड़े देशों के नेता भी आश्चर्यचकित हैं।
हकीकत में ट्रूडो के पास न तो कोई चश्मदीद गवाह है और न ही कोई पुख्ता सबूत, परन्तु इस तरह के अनाप-शनाप बयानों से दो देशों के सौहार्दपूर्ण रिश्तों में खटास पैदा होती है। कनाडियन सरकार ने अफरा-तफरी में भारत के एक राजनयिक को कनाडा छोडऩे को कहा, दूसरी तरफ भारत ने भी इस पर सख्त प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए कनाडा के राजनयिक को पांच दिन में भारत छोडऩे का हुक्म दे दिया। साथ ही कनाडियन नागरिकों के भारत में आने पर पाबंदी लगा दी है।
प्रधानमंत्री ट्रूडो की इस बचकाना हरकत से स्पष्ट होता है कि न तो वह एक कुशल कूटनीतिज्ञ हैं और न ही राजनीति के परिपक्व सियासतदान, क्योंकि जिस मसले को आपसी वार्तालाप से आसानी से हल किया जा सकता था, उसे संसद में रखकर अपने आप को हास्यास्पद बनाने के सिवाय कुछ नहीं निकला। कनाडियन सरकार पिछले कई वर्षों से भारत के खूंखार आतंकवादियों, अलगाववादियों और सख्त मिजाज चरमपंथियों को पनाह दे रही है, जो कनाडा में बैठकर भारत के खिलाफ साजिशें रचते रहते हैं।
भारत की सरकारें इन कट्टरवादियों के खिलाफ गाहे-बगाहे कनाडियन सरकार को सूचित करती रहती हैं। भारत सरकार ने 54 ऐसे ईनामी भगौड़ों की सूची भी कनाडा सरकार को दी है, जो कनाडा में बिना किसी खौफ और डर से जिंदगी बसर कर रहे हैं, परन्तु वहां की सरकार ने आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। सरकार की चुप्पी इस बात को स्पष्ट करती है कि वह केवल और केवल अपने घरेलू राजनीतिक फायदे को प्राथमिकता दे रही है। कनाडा के मित्र अमरीका, यू.के., आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जर्मनी ने भी इस मामले पर बिना किसी पुख्ता सबूत के उसका साथ देने से साफ इंकार कर दिया है।
पिछले महीने प्रधानमंत्री ट्रूडो जी-20 के शानदार, अद्भुत और कामयाब शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए तशरीफ लाए थे। उनके मुताबिक उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस विषय पर बात की थी, जिस पर प्रधानमंत्री ने उनकी गलतफहमी दूर करने के लिए स्पष्ट कहा था कि भारत शांतिप्रिय देश है, हम किसी दूसरे देश के हित के लिए सहयोग दे सकते हैं, परन्तु किसी के आंतरिक मामले में दखल नहीं देते और न ही हमारी किसी भी एजैंसी का इस मामले पर किसी तरह का कोई संबंध है। इतिहास साक्षी है कि आतंकवादी धार्मिक स्थानों से अपने प्रतिद्वंद्वियों को हटाने के लिए ऐसे घृणित कुकृत्य करते रहते हैं और गैंगस्टर भी इस तरह के कत्ल करके डर और दहशत का माहौल पैदा करते रहते हैं।
1985 में भारत का कनिष्क नाम का विमान 329 यात्रियों को लेकर कनाडा से भारत की ओर आ रहा था, परन्तु आतंकवादियों ने उसमें विस्फोटक रख दिया। आयरलैंड से कुछ दूर बम फटा और सभी यात्री अपनी कीमती जानें गंवा बैठे। भारत सरकार ने इसका कड़ा विरोध किया और आतंकवादियों को कनाडा में शरण न देने के लिए भी लिखा, परन्तु कनाडियन सरकार आज तक चुप्पी साधे हुए है। निज्जर के बाद एक और आतंकवादी दुनके की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। इससे पहले भी 4-5 बार आतंकवादियों और गैंगस्टरों ने वहां कत्ल किए हैं। यदि कनाडा सरकार इसी तरह अलगाववादियों और आतंकवादियों को शरण देती रहेगी तो वह दिन दूर नहीं, जब कनाडा में अराजकता और अव्यवस्था फैल जाएगी।
ट्रूडो को पाकिस्तान में आतंकवादियों की गतिविधियों से ही कुछ सीख लेना चाहिए था। पाकिस्तान के जिन हुक्मरानों ने भारत में अराजकता फैलाने के लिए आतंकवादियों को पाला-पोसा था, आज वही आतंकवादी पाकिस्तान की बर्बादी का कारण बने हुए हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है और इसकी आर्थिक, फौजी और राजनीतिक सहायता करने वाले देशों ने भी मुंह मोड़ लिया है। भारत ने इन आतंकवादियों के कारण पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बड़ा संताप झेला है। भारत ने यू.एन.ओ., जी-7, जी-20 और अन्य अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में आतंकवाद का खुलकर विरोध किया है, जिससे अब विश्व के देश भारत के साथ सहमति जताने लगे हैं।
कनाडा इस समय आतंकवादियों की स्वर्ग स्थली है, जहां कुछ खालिस्तानी भारत के विरुद्ध गतिविधियां करते रहते हैं, जिनको कनाडा सरकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करती है और पाकिस्तान की आई.एस.आई. इनको धन मुहैया कराती है। एक आतंकवादी के मरने पर आखिर ट्रूडो इतने परेशान क्यों हैं और भारत जैसे महान, शांतिप्रिय और सबका सहयोग करने वाले देश से अपने संबंध कटु बनाने के लिए आमादा क्यों हैं? हकीकत में वह अपनी खोई हुई साख को पुन: स्थापित करने के लिए इन आतंकवादियों और खालिस्तानियों की मदद से अगला चुनाव जीतना चाहते हैं। वास्तव में ट्रूडो अपने ही देश को आतंकवाद की भट्ठी में झोंक रहे हैं और वह अपने ही देश के सबसे बड़े दुश्मन साबित हो रहे हैं।-प्रो. दरबारी लाल पूर्व डिप्टी स्पीकर, पंजाब विधानसभा