अत्यंत महत्वपूर्ण है समय पर जनगणना भारत के लिए

punjabkesari.in Monday, May 22, 2023 - 04:25 AM (IST)

विकास की योजनाएं बनाने और इन्हें आम लोगों तक पहुंचाने के लिए तय समय पर जनगणना का होना अत्यंत जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर करोड़ों लोग कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रह जाते हैं। उदाहरण के लिए 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर वर्ष 2013 में 80 करोड़ लोग मुफ्त में राशन लेने के योग्य थे, जबकि जनसंख्या में अनुमानित वृद्धि के साथ 2020 में यह आंकड़ा 92.2 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। 

उल्लेखनीय है कि भारत में जनगणना का इतिहास लगभग 140 वर्ष पुराना है। वर्ष 1881 से शुरू हुई जनगणना नियमित अंतरालों पर हमेशा जारी रही और यह दूसरे विश्वयुद्ध, भारत-चीन युद्ध और भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी नहीं रुकी। पहली जनगणना के समय भारत की जनसंख्या 25.38 करोड़ थी और अभी 2023 में जनसंख्या 141 करोड़ होने का अनुमान है। देश में अंतिम जनगणना 2011 के अनुसार भारत की जनसंख्या 121 करोड़ से अधिक थी। जनगणना का काम एक बहुत विशाल अभियान है। जनसंख्या जनगणना स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर मानव संसाधन, जनसांख्यिकी, संस्कृति और आर्थिक संरचना की स्थिति पर बुनियादी आंकड़े प्रदान करती है। यह सारी जानकारी राष्ट्र के भविष्य के पाठ्यक्रम को निर्देशित करने और आकार देने के लिए महत्वपूर्ण है। 

भारत की आगामी दशकीय जनगणना शृंखला में 16वीं और स्वतंत्रता के बाद 8वीं होगी। इस कार्य में लगभग 135 करोड़ (1.35 बिलियन) लोगों की गणना करने के लिए लगभग 30 लाख गणनाकारों और पर्यवेक्षकों को लगाया जाएगा। गणनाकार और पर्यवेक्षक मुख्य रूप से स्थानीय स्कूल शिक्षकों, केंद्र और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार के अधिकारियों और स्थानीय निकायों के अधिकारियों से लिए जाते हैं, जो जनगणना कार्यक्रम के बारे में जानने के लिए हर घर का दौरा करेंगे। 

भारत में जनगणना संचालन दो चरणों में होता है। प्रथम चरण मकान सूचीकरण और आवास गणना और दूसरा चरण जनसंख्या गणना। मकान सूचीकरण और मकानों की गणना के दौरान, सभी भवनों, जनगणना मकानों और घरों की पहचान की जानी है और संबंधित अनुसूचियों में व्यवस्थित रूप से सूचीबद्ध किया जाना है। जनसंख्या गणना 6 से 8 महीने के अंतराल के भीतर आवास की जनगणना के बाद होती है। जनगणना के दूसरे चरण के दौरान, प्रत्येक व्यक्ति की गणना की जाती है और उसके/उनके व्यक्तिगत विवरण जैसे आयु, वैवाहिक स्थिति, धर्म, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति, मातृभाषा, शिक्षा स्तर, विकलांगता, आर्थिक गतिविधि, प्रवासन, प्रजनन क्षमता (महिला के लिए) एकत्र किए जाते हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में कोविड महामारी के प्रकोप के कारण भारत में जनगणना नहीं हो पाई। उस समय यह मुश्किल था परन्तु अब जबकि अनेक चुनाव हो चुके हैं, इसे करना संभव है। यूं तो यह जनगणना अगले वर्ष होने वाले चुनावों से पहले ही होनी चाहिए। 

अब 2024 में इलैक्ट्रॉनिक विधि से जनगणना करवाए जाने की चर्चा सुनी जा रही है। ऐसा पहली बार होगा जब जनगणना में कम्प्यूटरों का इस्तेमाल किया जाएगा। जनगणना के लिए सभी डाटा केंद्रीय रूप से जनगणना प्रबंधन और निगरानी पोर्टल पर फीड किए जाएंगे, जिसमें गणनाकारों और पर्यवेक्षकों को कई भाषाओं में समर्थन देने का प्रावधान है। वहीं कुछ राज्यों और राजनीतिक पाॢटयों ने जातिगत आधार पर जनगणना की मांग भी की है। आर.जी.आई.(भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त) के आदेशों के अनुसार जनगणना के लिए सभी राज्यों को 30 जून 2023 तक हाऊस लिसिं्टग (एच.एल.) के तहत प्रशासनिक सीमाएं स्थिर करनी होंगी, तभी 30 सितंबर 2023 के बाद जनगणना शुरू करवाई जा सकती है क्योंकि कानून के अनुसार किसी क्षेत्र की सीमाएं तय होने के 3 महीने बाद ही जनगणना शुरू हो सकती है। 

फिर भी जितना जल्दी संभव हो लोकसभा चुनावों से पहले जनगणना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि पता चल सके कि पुरुषों व महिलाओं की संख्या कितनी है, कितने अमीर तथा कितने गरीब हैं और किस क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व की क्या स्थिति है। इसी से पता चलेगा कि पिछले 10 वर्षों की अवधि के दौरान हमारी कितनी प्रगति हुई है।


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