पंजाब के प्रशासनिक ढांचे में सुधार की जरूरत

punjabkesari.in Wednesday, Aug 21, 2024 - 05:18 AM (IST)

प्रशासनिक ढांचे की कार्यकुशलता बेहतर करने के लिए पंजाब को भारतीय सेना के सुनियोजित संगठन से सबक लेना चाहिए। कुशल कमांड, बेहतर तालमेल व दक्षता के दम पर सेना हर चुनौती के लिए तैयार रहती है। इस तर्ज पर पंजाब के 4.15 लाख कर्मियों वाले प्रशासनिक ढांचे में सुधार की जरूरत है। 50 बड़े विभागों व 163 सरकारी संगठनों वाला बड़ा सरकारी अमला उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं दे पा रहा। पंजाब के उद्योग विभाग को ही लें, तो मुख्यमंत्री औद्योगिक सैक्टर भी देखते हैं। 7 कैबिनेट मंत्री भी उद्योगों से जुड़े विभागों की अगुवाई करते हैं। 17 विभागों, निगमों, बोर्डों व रैगुलेटरी अथारिटीज का नेतृत्व करने वाले लगभग 20 एडमिनिस्ट्रेटिव सैक्रेटरीज में तालमेल व सहयोग नहीं है। बीते 20 वर्षों में औसत 3 प्रतिशत पर ठहरे औद्योगिक विकास में ठहराव को तोडऩे की क्षमता पंजाब के कारोबारियों में है, पर इसके लिए प्रशासनिक ढांचे की भी जवाबदेही तय करने की जरूरत है। 

एक सैक्टर के लिए कई चैनल भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देते हैं, जिसका सहज अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 3 साल पहले सरकार ने 1498 कंप्लायंसेज खत्म कर उद्योगों को कुछ राहत दी थी। समय की मांग है कि एक बड़े विभाग और उससे जुड़े संगठनों के बीच बेहतर तालमेल से प्रशासनिक ढांचे को दक्ष व जवाबदेह बनाया जाए। 50 बड़े विभागों को संभाल रहे लगभग 75 एडमिनिस्ट्रेटिव सैक्रेटरी के कामकाज की बारीकी से निगरानी करना चीफ सैक्रेटरी के लिए व्यावहारिक नहीं है। इसलिए हर प्रमुख सैक्टर के लिए एक एडिशनल चीफ सैक्रेटरी स्तर के अधिकारी को ‘अपैक्स अफसर’ के रूप में नियुक्त किए जाने की जरूरत है। इससे न केवल उस प्रमुख सैक्टर से जुड़े तमाम संगठनों में बेहतर तालमेल स्थापित हो सकेगा, बल्कि अपैक्स अफसर अपने कुशल मार्गदर्शन से अपनी पूरी टीम की भी जवादेही तय कर सकेगा।  शिक्षा, स्वास्थ्य, शहरी विकास, ग्रामीण विकास, कृषि और उद्योग जैसे प्रमुख सैक्टरों के 15 बड़े विभागों व उनके 69 संगठनों के प्रशासनिक ढांचे को कुशल व जवाबदेह बनाने के लिए नीति निर्माताओं के पास बड़ा मौका है। 

इंडस्ट्रीज : 20 से अधिक एडमिनिस्ट्रेटिव सैक्रेटरी के हवाले उद्योगों से जुड़े 17 विभागों व संगठनों का विशाल प्रशासनिक ढांचा कारोबारियों पर कंप्लायंसेज का दबाव बनाए हुए है, जबकि प्रशासनिक व्यवस्था का सहज, कुशल व जवाबदेह होना बहुत जरूरी है। शुरुआत में औद्योगिक सैक्टर को पंजाब इंडस्ट्री एवं कॉमर्स विभाग व उससे जुड़े 7 संगठन देखते थे। बाद में 3 नए डिपार्टमैंट ऑफ इनवैस्टमैंट प्रमोशन, डिपार्टमैंट ऑफ एम्प्लायमैंट जैनरेशन एंड ट्रेनिंग और डिपार्टमैंट ऑफ टैक्नीकल एजुकेशन एंड इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग जोड़े गए। नया निवेश जुटाने के लिए तमाम प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित व सुचारू करने को पंजाब ब्यूरो ऑफ इन्वैस्टमैंट प्रमोशन (पी.बी.आई.पी.) के तहत ‘इन्वैस्ट पंजाब’ स्थापित किया गया। दावा किया गया कि पी.बी.आई.पी. को 30 से अधिक संगठनों से संबंधित 34 से अधिक रैगुलेटरी अप्रूवल, क्लीयरैंस व कंप्लायंस की शक्तियां दी गई हैं। 

यह सुविधा राज्य के मौजूदा उद्योगों के लिए भी जरूरी है क्योंकि उन्हें भी सीधे 17 विभागों व उनसे जुड़े दर्जनों सरकारी संगठनों से निपटने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें पंजाब इंडस्ट्री एंव कॉमर्स विभाग के अलावा पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, चीफ इलैक्ट्रिक्ल इंस्पैक्टर, लेबर कमिश्नर, डिपार्टमैंट ऑफ फैक्टरीज, डिपार्टमैंट ऑफ इंडस्ट्रीज, स्किल डिवैल्पमैंट मिशन, डिपार्टमैंट ऑफ हैल्थ सर्विसिज, ई.एस.आई. और पंजाब स्टेट इंडस्ट्रियल डिवैल्पमैंट कारपोरेशन (पी.एस.आई.डी.सी.) आदि हैं। एक सैक्टर के लिए इतने सारे विभागों के दिशाहीन जटिल जाल की बजाय एक कारगर व जवाबदेह सेवाएं प्रदान करने वाली सिंगल विंडो कारगर करने की जरूरत है। 

2012 में पी.एस.आई.डी.सी. व पंजाब फाइनांशियल कॉरपोरेशन को पंजाब स्टेट इंडस्ट्रियल एक्सपोर्ट कारपोरेशन में विलय करने के प्रस्ताव पर अभी तक अमल नहीं हो सका। 99.7 प्रतिशत एम.एस.एम.ई. के दम पर पंजाब औद्योगिक विकास की नई उड़ान भर सकता है। लेकिन छोटे व मंझोले कारोबारियों के सामने सबसे बड़ी बाधा कई विभागों का जाल है। 1978 में पहली औद्योगिक नीति से लेकर अब तक की 10 नीतियां प्रशासनिक सुधार सुनिश्चित नहीं कर पाईं, इसलिए प्रशासनिक सुधार उपाय लागू करने होंगे। 

कृषि : कृषि सैक्टर की देखरेख के लिए 5 विभागों में कृषि विभाग, पशुपालन, डेयरी विकास और मछली पालन, बागवानी विभाग और मिट्टी व जल संरक्षण के अलावा इनसे जुड़े 18 संगठनों के बावजूद पंजाब की संकटग्रस्त खेती गिरावट से जूझ रही है। 1990 से 2000 तक लगभग 3 प्रतिशत रही खेती की विकास दर 2010 के बाद से 2 प्रतिशत से भी कम रह गई है। 

शिक्षा : सरकार शिक्षा पर बहुत जोर देती है लेकिन इसके प्रशासनिक ढांचे में सुधार की दरकार है। दो विभागों में हायर एजुकेशन एंड भाषा विभाग के अलावा डिपार्टमैंट ऑफ स्कूल एजुकेशन की मदद के लिए 6 संगठन और स्कूल शिक्षा बोर्ड अलग से है। शिक्षा की बेहतरी के लिए किए गए इन तमाम प्रयासों के बावजूद 2022 के दौरान पंजाब में सैकेंडरी स्कूल पढ़ाई छोडऩे वाले 17.2 प्रतिशत छात्र-छात्राएं थे, जबकि राष्ट्रीय औसत 12.6 प्रतिशत थी। 

आगे की राह : पंजाब के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार के लिए सामूहिक रूप से एक लक्ष्य हासिल करने को सुलभ, पारदर्शी, कुशल, उत्तरदायी व जवाबदेह प्रशासनिक प्रणाली की जरूरत है। इसके लिए दो अहम कदम उठाए जा सकते हैं। पहला, अपैक्स अफसर सशक्त हों। तमाम विभागों के बीच बेहतर तालमेल बैठाने के लिए 5 से 6 अपैक्स अफसर चीफ सैक्रेटरी को रिपोर्ट करें। हरेक अपैक्स अफसर को 5 से 6 प्रशासनिक अफसर रिपोर्ट व सपोर्ट करें। इस पहल का लक्ष्य प्रशासनिक ढांचे में सुधार, निर्णय में पारदर्शिता सुनिश्चित करना व शीर्ष अधिकारियों की जवाबदेही तय करना है। दूसरा, स्टेक होल्डर्स का जुड़ाव सुनिश्चित किया जाए क्योंकि प्रशासनिक सुधारों की सफलता के लिए हितधारकों की सक्रियता महत्वपूर्ण है। हितधारकों की चिंताओं व जरूरतों को समझने के लिए बातचीत के जरिए नियमित भागीदारी प्रोत्साहित करना जरूरी है।(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News