‘चिंतपूर्णी धाम में एक दिन’ ‘पंजाब तथा हिमाचल सरकारों के ध्यानार्थ’

punjabkesari.in Friday, Nov 22, 2024 - 06:43 AM (IST)

उत्तरी भारत के प्रसिद्ध धर्मस्थलों में से एक, हिमाचल प्रदेश स्थित ‘चिंतपूर्णी धाम’ में देश-विदेश, विशेष रूप से पंजाब से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं, जिनके ठहरने के लिए विभिन्न संस्थाओं ने वहां अनेक धर्मशालाएं बनवा रखी हैंं। इन्हीं में से एक पूज्य पिता अमर शहीद लाला जगत नारायण जी की याद में हर तरह की सुविधाओं से लैस ‘लाला जगत नारायण धर्मशाला’ है। इसके लिए भूमि का दान लालाजी के एक परम स्नेही ‘श्री बनारसी दास सभ्रवाल’ ने दिया और 1998 में अपने सहयोगियों तथा परिवार के सदस्यों के सहयोग से इसका निर्माण करवाया था। 

यहां इस धर्मशाला के बनने से क्षेत्र में बड़ी रौनक और चहल-पहल हो गई है। न सिर्फ श्रद्धालु यहां आकर ठहरते हैं और मुफ्त भोजन ग्रहण करते हैं, बल्कि चिंतपूर्णी के आसपास के 8 से 10 किलोमीटर तक क्षेत्र के लोग विवाह-शादियों तथा अन्य समारोहों के लिए भी इसका लाभ ले रहे हैं। यहीं 17 नवम्बर को आयोजित दूसरे नि:शुल्क मैगा मैडीकल कैम्प, जिसमें ‘टैगोर अस्पताल’ तथा ‘लाला राम किशोर कपूर विकलांग सहायता ट्रस्ट’ जालंधर के डाक्टरों की टीम द्वारा दूर-दूर से आए 222 लोगों के स्वास्थ्य की जांच की गई, वहीं लगभग 4 दर्जन बच्चों को बैग तथा पाठ्य सामग्री देने के अलावा लंगर का आयोजन भी किया गया था। इस अवसर पर आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग आए हुए थे लेकिन आज मैं पंजाब तथा हिमाचल दोनों ही राज्यों की सरकारों का ध्यान कुछ जगहों पर टूटी हुई ङ्क्षचतपूर्णी को जाने वाली सड़क की ओर दिलाना चाहता हूं।

इस सड़क का कुछ हिस्सा पंजाब में तथा कुछ हिस्सा हिमाचल प्रदेश में पड़ता  है। पंजाब वाले हिस्से में जालंधर के जंडू सिंघा से आदमपुर जाने वाली सड़क रास्ते में कई जगह टूटी हुई है तथा होशियारपुर में नसराला से पहले भी सड़क कुछ जगह टूटी हुई है। हिमाचल प्रदेश में भी मुबारकपुर से आगे कुछ स्थानों पर सड़क टूटी हुई है। ‘चिंतपूर्णी धाम’ पंजाब के निकट होने के कारण वहां से बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने परिवारों सहित वहां जाते हैं। जब हम ‘ङ्क्षचतपूर्णी धाम’ दर्शनों के लिए गए तो वहां अधिक संख्या पंजाब से आए हुए श्रद्धालुओं की ही थी, जिन्होंने रात को वापस लौट आना था। जालंधर से चिंतपूर्णी जाने वाले रास्ते पर सड़क के दोनों ओर दुकानें, शो-रूम, होटल, रेस्तरां, ढाबे आदि खुले हुए हैंं, जिनमें इस रास्ते से गुजरने वाले यात्री खाते-पीते तथा खरीदारी करते हैं। चूंकि पंजाब से हिमाचल जाने-आने का यही एक रास्ता है, अत: पंजाब तथा हिमाचल के हिस्से में आने वालीे सड़क के दोनों हिस्सों का ठीक होना जरूरी है।

शाम को वापस लौटते समय सड़क पर ट्रकों, बसों, कारों तथा अन्य वाहनों की खूब चहल-पहल थी। अंधेरा होने लगा था और ठंड तथा प्रदूषण के कारण धुंध भी पड़ जाने की वजह से विजीबिलिटी अत्यंत कम हो गई थी। रास्ते में सड़कों पर रौशनी की कमी तथा जगह-जगह घुमावदार मोड़ होने के कारण किसी भी समय दुर्घटना का खतरा बना रहता है। अत: पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश दोनों ही राज्यों की सरकारों द्वारा तुरंत इस ओर ध्यान देकर अपने-अपने हिस्से में आने वाली सड़क की मुरम्मत करवाने तथा यहां रौशनी की संतोषजनक व्यवस्था करने की आवश्यकता है। चिंतपूर्णी मंदिर ट्रस्ट ने सुगम दर्शन प्रणाली के अंतर्गत पहले 5 श्रद्धालुओं के लिए 1100 रुपए का शुल्क तय किया था। अब इसमें बदलाव करके प्रति व्यक्ति 300 रुपए का कर दिया है। पहले चाहे एक श्रद्धालु हो तब भी 1100 रुपए देने पड़ते थे। इसके लिए श्रद्धालुओं को 5 व्यक्तियों का इंतजार करना पड़ता था ताकि इकट्ठे होकर 1100 रुपए दे सकें। 

अब ट्रस्ट ने यह व्यवस्था कर दी है कि यदि एक श्रद्धालु भी 300 रुपए सुगम दर्शन के लिए शुल्क देता है तो लिफ्ट के जरिए उसके लिए दर्शन व्यवस्था की जाएगी। इसी प्रकार लिफ्ट द्वारा सीनियर सिटीजन का शुल्क अटैंडैंट के साथ, जो पहले 50 रुपए था, उसे बढ़ाकर अब 100 रुपए कर दिया गया है। अपनी इस यात्रा के दौरान मुझे ‘ङ्क्षचतपूर्णी न्यास बोर्ड’ के ध्यानार्थ लाने योग्य कुछ बातों का भी पता चला। मुझे बताया गया कि मेले के दौरान मंगूवाल (पंजाब) बैरियर की ओर से पीने के पानी तथा शौचालय का संतोषजनक प्रबंध नहीं होता। न्यास बोर्ड को करोड़ों रुपयों की आमदनी मेले में होती है, अत: यहां स्थायी नलों तथा शौचालयों की व्यवस्था करनी चाहिए।-विजय कुमार


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