प्रतिनिधिमंडलों का पाकिस्तान के खिलाफ संदेश अधिक तीखा होना चाहिए

punjabkesari.in Monday, May 26, 2025 - 05:41 AM (IST)

मोदी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख पर वैश्विक समुदाय से समर्थन मांगने के लिए इस सप्ताह संसद सदस्यों के 7 सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय राजधानियों में भेजकर रणनीतिक रूप से अपने कूटनीतिक प्रयासों को तेज कर दिया है। यह रणनीतिक कदम आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख को दर्शाता है। 22 अप्रैल को पहलगाम में पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों द्वारा किए गए आतंकवादी हमले जिसके परिणामस्वरूप 26 नागरिकों की मौत हो गई, के बाद नई दिल्ली ने ‘ऑप्रेशन सिंदूर’ शुरू किया,  यह 26/11 मुंबई हमलों के बाद नागरिकों पर सबसे बुरा हमला था।

नई दिल्ली ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पी.ओ.के.) में आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाकर संकट को दूर करने के लिए कूटनीतिक प्रयास शुरू किए। इस प्रयास का उद्देश्य आतंकवाद पर वैश्विक दोहरे मानदंडों पर जोर देना भी था। जबकि कुछ देश राज्य प्रायोजित आतंकवाद की ओर आंखें मूंद लेते हैं जबकि आतंकवाद के अन्य रूपों की निंदा करते हैं। सभी प्रकार के आतंकवाद से लडऩे की आवश्यकता को रेखांकित करने की आवश्यकता है। संसद सदस्यों के 7 सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को भेजने की सरकार की पहल अब वैश्विक पहुंच के लिए प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय राजधानियों तक पहुंच गई है। इसका लक्ष्य पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रुख प्रस्तुत करना है।

‘एक संदेश, एक राष्ट्र, एक भारत’ अभियान के तहत प्रतिनिधिमंडल 33 देशों का दौरा करेंगे। उल्लेखनीय व्यक्तियों में शशि थरूर और आनंद शर्मा (कांग्रेस), बैजयंत पांडा और रविशंकर प्रसाद (भाजपा), संजय कुमार झा (जद-यू), श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना), कनिमोझी (द्रमुक) और सुप्रिया सुले (राकांपा) शामिल हैं।प्रतिनिधिमंडल राजनीतिक नेताओं और बुद्धिजीवियों सहित कई लोगों से बातचीत करेगा। वे आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के लिए वैश्विक समुदाय से समर्थन हासिल करना चाहेंगे। यह  एकजुट चेहरा, जहां भाजपा, विपक्ष और मुस्लिम समुदाय आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता के बारे में एक स्वर में बोलते हैं, न केवल नई दिल्ली की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है बल्कि भारत के संकल्प के बारे में वैश्विक समुदाय को आश्वस्त भी करता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 मई को राजस्थान में घोषणा की, ‘मोदी का दिमाग ठंडा है, ठंडा ही रहेगा, लेकिन मोदी का खून गर्म है और अब मोदी की रगों में खून नहीं बल्कि गरम सिंदूर बह रहा है। अब भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान को हर आतंकवादी हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और यह कीमत पाकिस्तान की सेना और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चुकाएगी।’ यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने विदेश नीति के मुद्दों पर विपक्ष को साथ लिया है। पूर्व प्रधानमंत्रियों पी.वी. नरसिम्हा राव (कांग्रेस), ए.बी. वाजपेयी (भाजपा) और डा. मनमोहन सिंह ने पहले भी ऐसे प्रतिनिधिमंडल भेजे थे। राव का मानना था कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए मुख्य विपक्षी नेता को भेजने का अपना प्रभाव होता है।
मोदी सरकार और विपक्ष के कई मुद्दों पर एकमत न होने के बावजूद, सरकार ने इस बार वैश्विक आऊटरीच प्रयासों में शामिल होने के लिए विपक्ष को आमंत्रित किया।

आऊटरीच प्रतिनिधिमंडल में विपक्ष को शामिल करने का भाजपा का आश्चर्यजनक कदम लोकतंत्र के लिए एक स्वागत योग्य कदम है क्योंकि इससे बहुध्रुवीय दुनिया में भारत की स्थिति मजबूत होगी। सरकार की पहल का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ एकजुट मोर्चा पेश करना है। इसके अलावा, यह राष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार का समर्थन करने के लिए विपक्षी दलों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना चाहता है। विविध विचारों को शामिल करना भारत के कूटनीतिक प्रयासों के लिए एक स्वागत योग्य कदम है। मोदी सरकार अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक प्रयासों में विपक्षी सांसदों को शामिल करके अपने ‘ऑप्रेशन सिंदूर’ की आलोचना को कम करने का प्रयास कर रही है। द वायर के अनुसार, केरल से सी.पी.आई.(एम) के एक सांसद ने कहा,‘‘हमारी भागीदारी दर्शाती है कि विपक्ष हमारे लोकतंत्र में एक अभिन्न भूमिका निभाता है।’’

ए.आई.एम.आई.एम. के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘‘हम सरकार का समर्थन नहीं कर रहे हैं हम पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ देश का समर्थन कर रहे हैं।’’ जबकि कांग्रेस पार्टी ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार का समर्थन करने पर सहमति जताई है, लेकिन प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के चयन को लेकर भी उसे कुछ समस्याएं हैं। प्रतिनिधिमंडल महत्वपूर्ण राजनीतिक और विपक्षी नेताओं, बुद्धिजीवियों और पत्रकारों से मिलेंगे। भाजपा द्वारा नीतिगत निर्णयों से मुसलमानों को बाहर रखने के साथ-साथ भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में अल्पसंख्यकों की वैश्विक चिंताओं के बावजूद, मुस्लिम सांसदों को शामिल करना एक रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है। 59 सदस्यों में से 10 मुस्लिम हैं। मोदी सरकार अब केवल आधिकारिक बयान की तुलना में अधिक राजनीतिक वजन के साथ बहुलतावादी आवाज पेश करती है। फिलहाल, एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजना एक अच्छा कदम है।-कल्याणी शंकर
 


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