बच्चियों के कातिलों को कठोर सजा मिले

punjabkesari.in Wednesday, Jun 26, 2024 - 05:41 AM (IST)

लड़की पूजा रोहतक, हरियाणा की रहने वाली थी। बी.एस.सी. तक पढ़ी थी। उसकी शादी  2022 में दिल्ली के पूंठकला में हुई थी। उसके घर वालों का कहना है कि शादी में 30 लाख से ऊपर खर्च हुआ था। जेवर अलग से दिए गए थे। लेकिन ससुराल वाले उससे कहते थे कि मायके से 5 लाख रुपए और लाए, कार खरीदनी है। लड़की के मना करने पर मार-पीट की जाती थी। उसका यह कहकर भी मजाक उड़ाया जाता कि उसके कोई बच्चा नहीं है, जबकि शादी को दो साल ही हुए थे। 

हाल ही में पूजा ने अपने मायके रोहतक में दो बच्चियों को जन्म दिया। लड़कियां पैदा हुई हैं, लड़का नहीं, इस बात से ससुराल वाले बहुत नाराज हुए। जब पूजा की अस्पताल से छुट्टी हुई तो पूजा के पति नीरज ने उसके  भाई से कहा कि बच्चियों को उसे दे दे। उसके साथ कार में उसकी मां और रिश्तेदार भी थे। पूजा और उसके परिवार वाले दूसरी कार में थे। बीच में नीरज कहीं गायब हो गया। उसकी कार कहीं दिखाई ही नहीं पड़ी। पूजा और उसके घर वाले लगातार उसे फोन करते रहे, मगर उसने फोन नहीं उठाया। अगले दिन पूजा के घर वालों ने उस महिला को फोन किया, जिसने रिश्ता कराया था। वह महिला पूजा के पति के घर गई वहां उसे कोई नहीं मिला। पड़ोसियों ने कहा कि बच्चियों को गाड़ दिया गया है। पूजा के घर वालों ने रोहतक पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत की तो उनसे कहा गया कि मामला दिल्ली का है, इसलिए वहीं शिकायत करें। 

शिकायत करने पर दिल्ली पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की और बच्चियों के शवों को ढूंढ निकाला। शवों पर कीड़े चल रहे थे। पूजा और उसके परिवार वालों के लिए यह दर्दनाक दृश्य था। लड़कियों के जन्म की बात सुन ससुराल वाले बहुत नाराज थे। लेकिन पूजा और उसके परिवार उनकी इस मंशा को समझ नहीं सके कि वे बच्चियों को अपने साथ इसलिए ले जा रहे हैं कि उन्हें मार डालेंगे। पुलिस से उम्मीद है कि अपराधियों को कठोर सजा मिलेगी, मगर अफसोस है कि वे नन्ही बच्चियां अब कभी नहीं लौटेंगी। उन्हें जन्मते ही इतने क्रूर तरीके से दुनिया से विदा कर दिया गया, वह भी अपने पिता और उसके रिश्तेदारों के द्वारा। 

ऐसी घटनाएं हर रोज अपने देश में होती हैं। हाल ही में एक पिता ने भाई से लडऩे के अपराध में अपनी 2 साल की बच्ची को नहर में फैंक कर मार डाला। दूसरी घटना में एक पिता को शक था कि उसकी नन्ही बच्ची ट्रांसजैंडर है, तो उसने भी उसे नहर में फैंक दिया। भ्रूण हत्या से लेकर बच्चियों की हत्या तक के लिए हमारे देश में इतने कठोर कानून हैं, मगर हत्याएं रुकती नहीं। सन 2001 में छह वर्ष तक की बच्चियों की संख्या 7 करोड़ 88 लाख थी, जो दस साल बाद 2011 में घटकर 7 करोड़ 58 लाख रह गई। बच्चियों को मारने में हम अपने को कितना बलवान समझते हैं, यूं हम स्त्री पूजक देश हैं। पापुलेशन रिसर्च इंस्टीच्यूट की एक रिसर्च के अनुसार, 2000 से 2014 तक 12 करोड़, 7 लाख, 71 हजार, 43 गर्भपात हुए। ये सभी लड़कियों के गर्भ में होने के कारण किए गए। 

एशियन सैंटर आफ ह्यूमन राइट्स ने 2016 में एक रिपोर्ट तैयार की थी। उसमें बताया गया था कि लड़कियों की भ्रूण हत्या का बड़ा कारण लड़कियों के मुकाबले लड़के को प्राथमिकता देना है। अनाथालयों में भी जाइए तो वहां लड़कियां बड़ी संख्या में मिलती हैं। स्वर्गीय जय ललिता जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री पहली बार बनी थीं, तो उन्होंने जगह-जगह पालना केंद्र खोले थे और माता-पिता से आग्रह किया था कि अपनी लड़कियों को मारें नहीं, हमें दे दें। इस तरह उन्होंने अपनी ही बच्चियों को मारने वाले माता-पिताओं से न जाने कितनी बच्चियों की जान बचाई थी। 

भ्रूण हत्या एक गम्भीर अपराध है, लेकिन अक्सर उसकी रिपोर्ट नहीं की जाती। इस पर रोक होने के बावजूद चोरी-छिपे इसे खूब अंजाम दिया जाता है। क्या इसी को तरक्की और विकास कहते हैं? ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ से हमने यही सीखा है? आखिर उन दो नन्ही बच्चियों का क्या कसूर था, कि वे जन्मते ही मौत की नींद सुला दी गईं। और सिर्फ वे दो ही क्यों, लाखों लड़कियां जन्म से पहले ही मार दी गईं। मां को पूजिए और जो मां बनती है, उसे जन्म से पहले या जन्मते ही मौत की नींद सुला दीजिए। एक तरफ संसद और राजनीति में महिलाओं को आरक्षण दिया जा रहा है, दूसरी तरफ इतनी बड़ी संख्या में लड़कियों की हत्या की जा रही है। वे परिदृश्य से गायब हो रही हैं और हमें जरा भी शर्म नहीं आती।-क्षमा शर्मा
 


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