पंजाबी गीतों की शब्दावली में गिरावट चिंताजनक

punjabkesari.in Thursday, Apr 12, 2018 - 04:07 AM (IST)

गीतों की शब्दावली में बड़ी गिरावट आई है। सबसे खराब गीतों में सैक्स संबंधी उद्धरण तथा ठेठ पंजाबी गालियों को शामिल किया जाता है। अधिकतर गानों में ड्रग्स, हथियारों के इस्तेमाल, महंगे वाहनों तथा शराब पीने का महिमामंडन किया जाता है। ये आमतौर पर महिलाओं को असम्मानित करते हैं। कई गानों में इतनी अश्लीलता होती है कि परिवारों को शर्म से बचने के लिए टी.वी. चैनलों को बदलना अथवा रेडियो को बंद करना पड़ता है। फिर भी ये युवाओं में लोकप्रिय हैं जो ऐसे गीतों पर धमाल करते हैं और इन्हें बदलते समाज के प्रतिबिम्ब के रूप में लेते हैं।

अहमदाबाद स्थित इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमैंट के प्रो. डा. धीरज शर्मा जिन्होंने हाल ही में पंजाबी पॉप संगीत पर एक शोध किया, ने पाया कि कैसे अधिकतर पंजाबी गीत ड्रग्स तथा हिंसा का महिमामंडन करते हैं। उनका शोध पंजाब में गीतों में ड्रग्स तथा हिंसा के उल्लेख का प्रभाव और उसका ड्रग्स के इस्तेमाल पर असर, हिंसा करने की प्रवृत्ति की ओर झुकाव तथा महिलाओं के प्रति व्यवहार पर था। उनकी टीम द्वारा की गई शोध के अनुसार, उनके द्वारा समीक्षा किए गए 2000 गीतों में से लगभग 60 प्रतिशत में ड्रग्स तथा हिंसा का उल्लेख किया गया था। उनकी टीम के सदस्यों ने 18 से 25 वर्ष की आयु के बीच के 200 छात्रों द्वारा सूचीबद्ध किए गए 50-50 लोकप्रिय पंजाबी गीतों का अध्ययन किया। 

डा. धीरज तथा उनके शोधकत्र्ताओं ने पाया कि अधिकतर गीत गत एक दशक के दौरान रिकार्ड किए गए थे और उनमें हिंसा करने तथा ड्रग्स का इस्तेमाल करने की ओर प्रेरित करने का उच्च रुझान था। अपने आवास के सामने महिला कार्यकत्र्ताओं द्वारा धरना दिए जाने के बाद गायक गिप्पी तथा जैलदार को माफी मांगनी पड़ी थी। ऐसे गीत गाने से परहेज करने की धमकियों को नजरअंदाज करने के बाद 1980 के दशक में आतंकवादियों ने चमकीला की हत्या कर दी थी। उसकी हत्या के बाद एक दशक तक के लम्बे समय के दौरान गायकों ने ऐसे गीत गाने से परहेज किया। यद्यपि यह रुझान गत दशक के दौरान फिर तेजी पकड़ गया और यू-ट्यूब सहित सोशल मीडिया पर ऐसे गानों की बाढ़ आ गई। दरअसल यदि चमकीला आज जीवित होता तो निश्चित तौर पर उसे इन दिनों चल रहे गीतों से शॄमदगी होती। 

क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ और फिर पंजाब के सांस्कृतिक मामले एवं पर्यटन मंत्री बने नवजोत सिंह सिद्धू ने बहुत से पंजाबी गीतों में बढ़ रही अश्लीलता पर ङ्क्षचता जताते हुए अब यह कहते हुए मामले को आगे बढ़ाया है कि ‘इस बुराई को खत्म करने के लिए’ एक संस्कृति आयोग का गठन किया जाएगा। दुख की बात है कि वह खुद कपिल शर्मा के एक कॉमेडी शो का हिस्सा थे जिसे दोहरे अर्थों, गंदे उल्लेखों तथा महिलाओं की मर्यादा घटाने वाले व्यवहार के लिए जाना जाता था। सिद्धू ने कहा कि पंजाब कला परिषद के चेयरमैन एवं एक जाने-माने कवि व लेखक सुरजीत पातर आयोग के अध्यक्ष होंगे। उन्होंने कहा कि आयोग को राज्य सरकार से अधिकार प्राप्त होंगे और यह कानून की धाराओं के अनुसार ऐसे गायकों अथवा कलाकारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के सुझाव देगा जो अश्लील, द्विअर्थी तथा हिंसा को बढ़ावा देने वाले गीतों के माध्यम से राज्य की संस्कृति को प्रदूषित करते हैं। 

एक प्रैस कांफ्रैंस के दौरान उन्होंने बताया कि कल्चरल कमीशन, जिसे ‘पंजाब सभ्याचारक आयोग’ के नाम से जाना जाएगा, को पंजाबी गीतों में अश्लीलता पर नियंत्रण लगाने के साथ-साथ अश्लील गीत गाने अथवा ङ्क्षहसा को बढ़ावा देने वाले गायकों को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी करने और यदि वे बाज नहीं आते तो उन्हें पूछताछ के लिए बुलाए जाने का अधिकार होगा तथा गायक के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करवाने का विकल्प भी खुला रहेगा। सिद्धू ने कहा है कि आयोग गठित करने का मकसद एक सैंसर बोर्ड बनाना नहीं बल्कि ऐसे गायकों से बात करना और उन्हें समझाना है। हालांकि आई.पी.सी. की धाराएं लागू करना भी जरूरी हैं। जहां इस कार्रवाई के पीछे के उद्देश्य की प्रशंसा की जा रही है, वहीं आलोचकों, कलाकारों, अभिनेताओं, कवियों, लेखकों तथा प्लेराइट्स ने सरकार की कार्रवाई पर प्रश्र उठाते हुए कहा है कि इससे कोई असर पडऩे की सम्भावना नहीं है। 

इंटरनैट तथा सोशल मीडिया के इस युग में इस रुझान को दबाने के लिए कानून लागू करने के प्रयास का विपरीत असर भी हो सकता है। ऐसा करना सैंसरशिप की तरह होगा। जरूरत इस बात की है कि कलाकारों को समझाने और बातचीत करने का प्रयास होना चाहिए। ऐसा करके आयोग के सदस्य ऐसे गीतों से बचने के लिए कलाकारों को बातचीत से समझाकर अच्छा काम ही करेंगे।-विपिन पब्बी
                    


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