अमृत काल का लक्ष्य भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाना

punjabkesari.in Thursday, Mar 07, 2024 - 05:37 AM (IST)

प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार ‘अमृत काल’ शब्द का इस्तेमाल 2021 में किया था। भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘‘अमृत काल का लक्ष्य भारत और भारत के नागरिकों को समृद्धि की नई ऊंचाइयों पर ले जाना है।’’ भारत का अमृत काल अगले 25 वर्षों का है। किसी भी राष्ट्र के जीवन में इतिहास एक मौका देता है जब राष्ट्र अपनी विकास यात्रा में तेजी से प्रगति कर सकता है। भारत में अभी अमृत काल चल रहा है और यह भारत के इतिहास का वह कालखंड है जब देश एक लंबी छलांग लगाने जा रहा है। 

अमृत काल का लक्ष्य है एक ऐसे भारत का निर्माण जहां सुविधाओं का स्तर गांवों और शहर को बांटने वाला न हो। अमृत काल का लक्ष्य है एक ऐसे भारत का निर्माण जहां नागरिकों के जीवन में सरकार बेवजह दखल न दे। अमृत काल का लक्ष्य है एक ऐसे भारत का निर्माण जहां दुनिया की हर आधुनिक आधारभूत संरचना हो। मौजूदा समय की मांग है वर्तमान के शहर, भविष्य की चुनौतियों के हिसाब से खुद को ढालने में सक्षम बनें, राष्ट्रीय स्मार्ट सिटी मिशन, जो एक शहरी नवीनीकरण और पुन: संयोजक अभियान है, का उद्देश्य देशभर में स्मार्ट शहरों को विकसित कर उन्हें नागरिक-अनुकूल और टिकाऊ बनाना है, यह मिशन शहरी केंद्रों को भविष्य के क्षेत्रीय विकास और आॢथक विकास के केंद्र के रूप में उभरने में सहायता कर सकता है। और इसकी वजह से शहर जलवायु परिवर्तन के झटके के प्रति सतर्क हो सकते हैं। 

प्रधानमंत्री गति शक्ति मिशन भी यही क्रम में आर्थिक विकास और दीर्घकालीन विकास को ध्यान में रखते हुए गतिशीलता को बदलने के लिए एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण पर बल देता है। अक्तूबर 2021 में शुरू किया गया यह मिशन विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों को मल्टीमॉडल कनैक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करने के उद्देश्य पर काम कर रहा है, यह मिशन देशभर में कनैक्टिविटी की समस्या को दूर करने में सहायक साबित हो सकता है और कनैक्टिविटी क्षेत्र में गेम चेंजर के रूप में उभरने के साथ आॢथक विकास हासिल करने में उपयोगी हो सकता है। भारत उन चुनिंदा देशों में से एक है जिसने अपनी महिलाओं के लिए आजादी के तुरंत बाद मतदान का अधिकार सुनिश्चित किया। अब, आजादी के 75वें वर्ष के बाद, अमृत काल के युग को चिह्नित करते हुए, भारत ने संसद और विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के अधिकार में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए वोट देने के अधिकार से आगे छलांग लगाई है। 

प्रतिनिधि लोकतंत्र में महिलाओं को उनका उचित हिस्सा दिलाने के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया। बहुत ही सरल तरीके से कहें तो नारी शक्ति की मौजूदा न्यूनतम हिस्सेदारी, जो आधी आबादी है, एक खामी थी। अब, नरेंद्र मोदी सरकार ने इस नैतिक विकल्प को प्राथमिकता दी है और इस ऐतिहासिक कमी को दूर करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है। विधायी क्षेत्र में नारी शक्ति वंदन अधिनियम लैंगिक न्याय संतुलित नीति निर्माण को गति प्रदान करेगा और महिलाओं के उत्थान में मील का पत्थर साबित होगा। 

भारत हमेशा से ही कृषि प्रधान देश है। पिछले कुछ वर्षों में ही यहां गेहूं-चावल खाने का चलन बढ़ा है, लेकिन इससे पहले देश मोटे अनाज से समृद्ध था। इस बात का उल्लेख तमाम पुराने दस्तावेजों और साहित्यों में मिलता है, कालिदास ने अपने अभिज्ञान शाकुंतलम में फॉक्सटेल मिलेट यानी कंगनी का उल्लेख किया है, उन्होंने अपनी इस रचना में कण्व को राजा दुष्यंत के दरबार में शकुंतला को विदा करते हुए कंगनी डालते हुए दिया गया है। 1960 के दशक में हरित क्रांति के बाद बाजरा को ग्रामीण और आदिवासी समुदाय भोजन के रूप में देखा जाने लगा था परंतु 2023 में बाजरा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा  अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक कूटनीतिक प्रयास किया गया। 

अंतर्राष्ट्रीय बाजरा घोषित होने से न सिर्फ मुख्यधारा का समाज बाजरा के लंबे समय से खोए हुए लाभ को समझने और सराहने लगा है अपितु भारतीय किसानों को भी प्रोत्साहन मिला है क्योंकि बाजरा  उगाने के कृषि लाभ भी हैं और कई स्वयं सहायता समूहों और स्टार्टअप के माध्यम से अन्न विदेशों में भी काफी लोकप्रिय हो रहा है। अमृत काल में हर भारतीय का लक्ष्य होना चाहिए भारत को स्वाधीनता के 100वें वर्ष 2 तक एक विकसित राष्ट्र बनाना है। इस दृष्टिकोण में विकास के विभिन्न पहलू है, जिसमें आर्थिक विकास, सुशासन, पर्यावरणीय स्थिरता, विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान व विका और सामाजिक विकास जैसे अनेक बिंदू शामिल हैं। यह केवल पुराने भारत का उत्सव है, बल्कि वर्तमान और भविष्य के आकांक्षापूर्ण और महत्वाकांक्षी भारत का उत्सव है, वर्तमान भारत महत्वाकांक्षी और साहसिक है, जो वैश्विक स्तर की आंख में आंख मिला रहा है। एक ऐसा देश है जो बड़े सपने देख रहा है और उन्हें साकार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।-अनुभा मिश्र
 


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