जम्मू-कश्मीर में हो रहीं लक्षित हत्याएं

punjabkesari.in Friday, Jun 03, 2022 - 06:05 AM (IST)

जम्मू -कश्मीर में लगभग एक महीने में 3 हिंदू कर्मचारियों सहित 4 हिंदुओं की हत्या बताती है कि आतंकवादियों की मंशा क्या है। 12 मई को बडग़ाम में सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट को आतंकवादियों ने गोली मारी तो महीने के अंतिम दिन अनुसूचित जाति की अध्यापिका रजनी बाला को कुलगाम के एक विद्यालय में तथा 2 जून को उसी जिले के बैंक मैनेजर की बैंक में घुसकर हत्या कर दी। कश्मीरी हिंदू निश्चित रूप से इन स्थितियों से भयभीत होंगे। घाटी से खबर भी आ रही है कि वहां कार्यरत कश्मीरी हिंदू अपना स्थानांतरण कश्मीर से बाहर करने की मांग कर रहे हैं। रजनी बाला की हत्या के बाद कश्मीर में कार्यरत जम्मू संभाग के हिंदू कर्मियों ने भी अपने स्थानांतरण की मांग शुरू कर दी है। 

उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी न हुईं तो वे घाटी से पलायन कर जाएंगे। मीडिया में यह भी खबर है कि लोगों ने ट्रक वालों से बातचीत की है ताकि उस पर सामान रखकर जा सकें। हालांकि रजनी बाला की हत्या के बाद उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने विशेष बैठक लेकर ऐसे कई निर्णय किए जिनसे इनके अंदर सुरक्षा के साथ-साथ यह भाव भी पैदा होगा कि सरकार उन्हें लेकर चिंतित है और उनको पूरी तरह संरक्षित करना चाहती है। उदाहरण के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत नियुक्त हिंदू कर्मियों और जम्मू संभाग के हिंदू कर्मचारियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 

उपराज्यपाल सिन्हा ने घाटी में तैनात हिंदू कर्मचारियों को 6 जून तक सुरक्षित स्थानों पर नियुक्त करने का निर्देश भी जारी कर दिया। सरकार की कोशिश है कि इनको अलग-अलग और दूरस्थ इलाकों में तैनात करने के बजाय जितना संभव हो एक ही शहर या कस्बे में तैनात किया जाए तथा उन्हें एक साथ आवासीय सुविधाएं भी प्रदान की जाएं। यही नहीं इनकी समस्याओं और जो मुद्दे ये उठा रहे हैं उनके समाधान के लिए उप-राज्यपाल सचिवालय और महा प्रशासनिक विभाग में एक विशेष प्रकोष्ठ भी बनाया जा रहा है। इस प्रकोष्ठ में शिकायतें दर्ज कराने के लिए एक विशेष ई-मेल आई.डी. उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार की ओर से स्पष्ट कहा गया है कि अगर कोई वरिष्ठ अधिकारी इन कर्मचारियों को प्रताडि़त करता पाया गया तो इसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। 

इन कदमों से हिंदू सरकारी कर्मचारी परिवारों में अच्छा संकेत जाएगा। बावजूद इसके सरकार ने कोई जोखिम उठाने की बजाय इन सारे कर्मचारियों को उनके आवासों तक सीमित रखा, सुरक्षा व्यवस्था सख्त की, कालोनियों के मुख्य प्रवेश द्वार बंद रखे गए, जो भी बाहर निकला, जिसने अंदर प्रवेश किया सबकी सघन जांच-पड़ताल हुई। इससे इन लोगों को काफी कठिनाइयां हुई होंगी। इसका मतलब प्रशासन को अंदेशा था कि ऐसे लोग जगह छोड़ सकते हैं। यह भी सच है कि लगभग 100 विस्थापित कश्मीरी हिंदू परिवार पिछले कुछ दिनों में घाटी छोड़ जम्मू चले आए हैं। मनुष्य होने के नाते अपनी जान-माल और परिवार की सुरक्षा की चिंता बिल्कुल स्वाभाविक है। वैसे भी कश्मीर में आतंकवाद का इतिहास भयावह है और स्वयं कश्मीरी हिंदुओं ने जो कुछ झेला है उसको देखते हुए आसानी से कोई भी जोखिम नहीं उठा सकता। 

हालांकि आतंकवादी, इस्लामवादी और पाकिस्तानपरस्त यही चाहते हैं। उनका एकमात्र लक्ष्य घाटी का पूर्ण इस्लामीकरण है। हिंदू उनके रास्ते की बाधा हैं। इसलिए वे लक्षित हिंसा भी कर रहे हैं। कश्मीर के बाहर से आए हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को भी आतंकवादियों ने घाटी छोडऩे का फरमान सुनाया है और उनकी भी हत्याएं की हैं। कुलगाम के बैंक मैनेजर राजस्थान के रहने वाले थे। किंतु इससे बचने का क्या एकमात्र रास्ता पलायन ही है? 

जैसा कि हम जानते हैं घाटी में प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत करीब 4000 विस्थापित कश्मीरी हिंदू सरकारी नौकरियां पा चुके हैं। जम्मू संभाग से अनुसूचित जाति के करीब डेढ़ से दो हजार सरकारी कर्मचारी घाटी में सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा कुछ लोग व्यवसाय भी कर रहे हैं। विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं में से कई परिवार उनके लिए बनाई ट्रांजिट आवासीय कॉलोनियों में रहते हैं। सरकार इनके लिए हरसंभव ऐसी व्यवस्था करे ताकि भयभीत होकर इन्हें पलायन न करना पड़े। उपराज्यपाल प्रशासन ने साफ किया है कि प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत नियुक्त सभी विस्थापित कश्मीरी हिंदू कर्मियों को 2023 के अंत तक सरकारी आवास उपलब्ध हो जाएगा। लगभग 6000 कर्मचारियों के लिए सुरक्षित कॉलोनियों में फ्लैट बनाए जा रहे हैं। 

इतनी सारी व्यवस्थाओं के बावजूद अगर कोई सोचता है कि हम पलायन करके ही सुरक्षित रह सकते हैं तो इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। अगर सुरक्षित कॉलोनियां बनाई गईं हैं, सरकार उन्हें उनमें एक साथ रखकर सुरक्षा प्रदान कर रही है और आगे भी जो आएंगे उसी तरह सुरक्षित रहेंगे तो साहस दिखाना चाहिए।-अवधेश कुमार
 


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