आत्ममुग्ध सरकार राजनीतिक दलों या सांसदों से परामर्श नहीं करती

punjabkesari.in Sunday, Feb 05, 2023 - 03:53 AM (IST)

पिछला हफ्ता बजट की बातों से भरा रहा। केंद्रीय बजट एक वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और खर्च के वाॢषक विवरण से अधिक हो गया है। यह अब लोगों को सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों से अवगत कराने का प्रमुख साधन है।  लोग विशिष्ट प्रस्तावों के साथ-साथ संकेतों के लिए बजट को देखते हैं। मूक, हालांकि आवाजहीन रहते हैं। सरकार में निर्णय लेने वालों तक उनकी कोई पहुंच नहीं है और वे एक सेतू के रूप में कार्य करने के लिए राजनीतिक दलों और सांसदों पर निर्भर हैं। लोकसभा में बहुमत के साथ एक प्रभावशाली सरकार आमतौर पर आत्ममुग्ध होती है और राजनीतिक दलों या सांसदों से परामर्श नहीं करती है। 

सी.ई.ए. ने संदर्भ प्रकट किया : लोग और विशेषज्ञ आर्थिक स्थिति पर अपडेट के लिए बजट की पूर्व संध्या पर पेश किए जाने वाले आर्थिक सर्वेक्षण (ई.एस.) पर नजर टिकाए रखते हैं। हमेशा की तरह, अध्याय 1 में 2022-23 के ई.एस. के अगले वर्ष के लिए दृष्टिकोण शामिल है। इस वर्ष मुख्य आर्थिक सलाहकार (सी.ई.ए.) ने बिना किसी दिशा-निर्देश के भटकने के बाद 2023-24 के लिए आऊटलुक के सार को 2 पैराग्राफों में संक्षिप्त किया जिन्हें नीचे पुन: प्रस्तुत किया गया है (जोर मेरा): 

1.30.  भले ही भारत का दृष्टिकोण उज्ज्वल बना हुआ है लेकिन अगले साल के लिए वैश्विक आर्थिक संभावनाओं को एक अनूठे सैट के संयोजन से तोला गया है। चुनौतियों से कुछ नकारात्मक जोखिम होने की उम्मीद है। बहु-दशकीय उच्च मुद्रास्फीति ने दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों को वित्तीय ढंग से तंग करने के लिए मजबूर किया है। मौद्रिक सख्ती का असर मंदी में दिखने लगा है विशेष तौर पर उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में। इसके अलावा प्रतिकूल आपूर्ति शृंखलाओं में लम्बे समय तक तनाव और बढ़ी हुई अनिश्चितता से वैश्विक दृष्टिकोण और बिगड़ गया है। 

आई.एम.एफ. के वल्र्ड इकोनॉमिक आऊटलुक, अक्तूबर 2022 के अनुसार वैश्विक विकास 2022 में 3.2 प्रतिशत से 2023 में 2.7 प्रतिशत तक धीमा होने का अनुमान है। आॢथक उत्पादन में धीमी वृद्धि के साथ-साथ बढ़ी हुई अनिश्चितता व्यापार वृद्धि को कम कर देगी। यह विश्व व्यापार संगठन द्वारा वैश्विक व्यापार में वृद्धि के लिए 2022 में 3.5 प्रतिशत से 2023 में 1.0 प्रतिशत तक कम पूर्वानुमान में देखा गया है। 

1.31.  बाहरी मोर्चे पर चालू खाता संतुलन के जोखिम कई स्रोतों से उत्पन्न होते हैं, जबकि वस्तुओं की कीमतें रिकार्ड ऊंचाई से पीछे हट गई हैं। वे अब भी हैं। वैश्विक मांग में कमी के कारण निर्यात वृद्धि को स्थिर करके इन्हें और बढ़ाया जा सकता है। 

अगर सी.ई.ए. को लगता है कि उसने अपना काम कर दिया है तो वह गलत था। उन्हें भारतीय संदर्भ में दृष्टिकोण का कठोर विश्लेशण करना चाहिए और सरकार के सामने पूर्व व्यापी सुधारात्मक उपाय करने के लिए विकल्प रखना चाहिए था। उसी समय माननीय वित्त मंत्री ई.एस. के अध्याय एक को पढऩे के बाद संसद के साथ अपने आकलन को सांझा करने और उनके द्वारा उठाए जाने वाले उपायों को बताने के लिए बाध्य थीं। दोनों ही असफल रहे। नतीजतन बजट भाषण के मूलपाठ की उस संदर्भ से कोई प्रासंगिकता नहीं है जिसमें बजट प्रस्तुत किया गया था। 90 मिनट का भाषण अंधेरे में एक लम्बी सीटी बजाने जैसा था। 

तीन संदिग्ध हाईलाइट्स 
बजट में तीन बातें स्पष्ट हैं : (1) 2022-23 में पूंजीगत खर्चे के लिए आबंटित धन को खर्च करने में विफल रहने के बाद वित्त मंत्री ने 2023-24  में पूंजीगत व्यय के बजट अनुमानों को 33 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। (2). सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों पर खर्च में क्रूर कटौती करने के बाद वित्त मंत्री ने गरीबों और वंचितों को आश्वस्त किया कि उनका कल्याण सर्वोपरि है। (3). 2020 में शुरू की गई (कोई छूट नहीं) कर व्यवस्था में लोगों को माइग्रेट करने के लिए प्रेरित करने में विफल रहने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मध्यम वर्ग के करदाता के लिए कर व्यवस्था कैसे एक वरदान है, इस पर संदेहास्पद गणना की है। 

हाईलाइट किए गए तीन बिंदुओं में से कोई भी बारीकी से जांच के दायरे में नहीं आएगा। पहला है सरकारी पूंजीगत खर्च। वित्त मंत्री ने मौन रूप से स्वीकार किया है कि विकास के अन्य तीन ईंजन लडख़ड़ा रहे हैं और निर्यात नीचे है। वित्त मंत्री द्वारा उद्योगपतियों को डांटे जाने के बावजूद निजी निवेश सुस्त है और खपत स्थिर है। यह आगे गिर भी सकती है। 

वित्त मंत्री के पास सरकारी पूंजीगत खर्च बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। 2022-23 में 7,50,246 करोड़ रुपए के बजट अनुमान के मुकाबले  संशोधित अनुमान घटकर 7,28,274 रुपए रह जाएगा जो सरकारी परियोजनाओं के क्रियान्यवन में अंतॢनहित कमजोरियों को उजागर करता है। रेलवे और सड़क जैसे मंत्रालयों की बाधाओं और अवशोषण क्षमता को अनदेखा करते हुए निर्मला सीतारमण ने 10,00,961 करोड़ रुपए आबंटित किए हैं। यहां तक कि पूंजीगत व्यय के पैरोकार भी बौखलाए हुए हैं। 

दूसरा, कल्याण पर खर्च बढ़ाने का वायदा। 2022-23 में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, शहरी विकास, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों और कमजोर समूहों के विकास के लिए अम्ब्रेला योजनाएं आदि के लिए सरकार ने बजट बनाकर लक्ष्य समूहों को और भी छोटा कर दिया है। उर्वरक और खाद पर सबसिडी चालू वर्ष के आर.ई. के मुकाबले 1,40,00 करोड़ रुपए कम कर दी गई है। मनरेगा के लिए आबंटन में 29,400 करोड़ रुपए की कटौती की गई है और जो शेष रह गया है वह केवल सुखदायी शब्द हैं।-पी. चिदम्बरम


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