महिला स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए

punjabkesari.in Sunday, Sep 08, 2024 - 05:59 AM (IST)

आज के जटिल सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिवेश में, लोग न्याय की अपेक्षा करते हैं और न्याय होते हुए भी दिखते हैं। यह नि:संदेह एक आदर्श प्रस्ताव है। हालांकि, एक व्यक्ति का न्याय दूसरे व्यक्ति के लिए दु:स्वप्न बन सकता है क्योंकि इसमें कई तरह के नियम और कानून उलझे हुए हैं। ऐसा मुख्य रूप से इसलिए है क्योंकि यह कोई सीधा-सादा घोटाला नहीं है। इसमें कई चक्र हैं और कई बार यह जानना मुश्किल हो जाता है कि घोटाले का कौन-सा चक्र किसके इशारे पर और किसके फायदे के लिए घूम रहा है। 

हालांकि अलग-अलग उद्देश्यों और विभिन्न कारणों और डिजाइनों के लिए चक्र घूमता रहता है। इसमें कई खिलाड़ी हैं, जिनमें से प्रत्येक अपने-अपने एजैंडे या हित को आगे बढ़ा रहा है, या तो जांच प्रक्रिया में मदद करने के लिए या वास्तविक मुद्दों को भ्रमित करने के लिए। भले ही हम मामले को खुले दिमाग से, बिना किसी दुर्भावना या पूर्वाग्रह के देखने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन जांच पैटर्न में कई ऐसे पहलू हैं जो इस बात पर भरोसा नहीं दिलाते कि मुद्दों को कैसे संभाला गया है। 

फिर भी, हमें निष्पक्षता के सिद्धांतों को पहचानने का एक तरीका खोजना होगा। इस संदर्भ में, प्रशासनिक और न्यायिक दोनों प्रणालियों को ऐसा होना चाहिए। कहीं न कहीं सही और गलत के बीच फर्क करने के लिए एक लक्ष्मण रेखा खींचनी होगी। सच को छिपाना मूर्खता है। महिलाओं को यौन दुराचार की शिकायत उच्चतम अधिकारियों से करने के लिए आगे आना होगा। केंद्र सरकार ने राज्यों से महिलाओं की सुरक्षा के लिए अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए पर्याप्त और प्रभावी उपाय करने को भी कहा है। यह केंद्र और राज्य सरकारों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बलात्कार के मुद्दे को संबोधित करने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई है और नए बलात्कार विरोधी उपायों को तेजी से लागू किया है। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा ने हाल ही में 3 प्रमुख प्रावधानों के साथ एक सख्त बलात्कार विरोधी कानून पारित किया है। सबसे पहले, कानून में मृत्युदंड सहिता दंड की गंभीरता को बढ़ाया गया है, अगर हमले के कारण पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह ‘बेहोशी की हालत’ में चली जाती है। दूसरा, कानून में यह अनिवार्य किया गया है कि प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर जांच पूरी हो जाए। तीसरा, यह बलात्कार के मामलों में अदालती कार्रवाई की रिपोॄटग को प्रतिबंधित करता है, मुख्य रूप से ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए जो सरकार को शॄमदगी का कारण बन सकती है। 

उदाहरण के लिए, 2 साल पहले, दिल्ली के होली फैमिली अस्पताल में एक नर्स ने सर्जरी के दौरान ऑपरेशन थिएटर तकनीशियन द्वारा यौन उत्पीडऩ किए जाने की सूचना दी थी। हालांकि आंतरिक शिकायत समिति (आई.सी.सी.) के होने के बावजूद, कई महिलाएं अभी भी लिखित शिकायत दर्ज करने से हिचकिचाती हैं। अस्पताल ने उसकी मौखिक शिकायत पर कार्रवाई की, लेकिन औपचारिक लिखित रिपोर्ट के बिना, बर्खास्तगी पत्र में तकनीशियन की बर्खास्तगी का कारण नहीं बताया गया। होली फैमिली अस्पताल ने सुरक्षित कार्यस्थल बनाने के लिए कई उपाय लागू किए हैं, जैसे लिंग-विशिष्ट आराम और चेंजिंग रूम, व्यापक सी.सी.टी.वी.कवरेज, नियमित सुरक्षा जांच और उत्पीडऩ की रिपोर्ट करने की स्पष्ट प्रक्रियाएं इत्यादि। 

फैडरेशन ऑफ रैजीडैंट डाक्टर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव डा. मीत घोनिया ने कहा कि सरकारी और निजी अस्पतालों में आई.सी.सी. अक्सर औपचारिकता मात्र होती है। उन्होंने बताया कि वरिष्ठ डाक्टर इन समितियों के बारे में जानते होंगे, लेकिन नर्सिंग और हाऊसकीपिंग की भूमिकाओं में महिलाओं को आमतौर पर उचित अभिविन्यास कार्यक्रमों की कमी के कारण नहीं पता होता है। वास्तविक अमल की कमी कई महिला कर्मचारियों को उत्पीडऩ और दुव्र्यवहार के बढ़ते जोखिम के लिए उजागर करती है। 

अस्पताल व्यापक सुरक्षा उपायों को अपनाकर और खुलेपन और समर्थन की संस्कृति विकसित करके सभी महिला कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित कर सकते हैं। सार्वजनिक अस्पतालों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीतियों को लागू करना और ऐसी संस्कृति बनाना शामिल है, जहां महिलाएं प्रतिशोध के डर के बिना घटनाओं की रिपोर्ट करने में सक्षम महसूस करें। स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं को प्रतीकात्मक इशारों से आगे बढ़कर लिंग-विशिष्ट सुविधाओं, प्रभावी निगरानी, नियमित स्टाफ प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों जैसे ठोस उपायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इस मोर्चे पर प्रगति धीमी रही है। अस्पतालों को सभी कर्मचारियों के लिए सुरक्षित बनाने और हिंसा को बढ़ावा देने वाले सामाजिक मानदंडों को चुनौती देने के लिए त्वरित, निर्णायक उपायों की आवश्यकता है। केंद्र और राज्य सरकारों और अस्पताल प्रशासन दोनों को इसे एक तत्काल प्राथमिकता के रूप में लेना चाहिए, जिससे सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा एक मौलिक अधिकार बन जाए, न कि एक विशेषाधिकार।-हरि जयसिंह
    


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