सिख धर्म की ‘मर्यादाओं’ की रक्षा हेतु अस्तित्व में आया था शिअद

punjabkesari.in Thursday, Jan 30, 2020 - 02:37 AM (IST)

शिरोमणि अकाली दल (शिअद), जोकि सिखों की अंतहीन कुर्बानियों के फलस्वरूप, सिख धर्म की स्थापित मान्यताओं, परम्पराओं एवं मर्यादाओं की रक्षा करने में शिरोमणि गुरुद्वारा कमेटी को सहयोग देने के लिए अस्तित्व में आया था, उसका गठन/पुनर्गठन करते हुए पूरी तरह लोकतांत्रिक मान्यताओं का पालन किया जाता, अर्थात् क्षेत्रीय जत्थों से लेकर केंद्रीय संगठन, उसके अध्यक्ष और दूसरे पदाधिकारियों व कार्यकारिणी के सदस्यों तक के चुनाव की पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक मान्यताओं का पालन करते हुए पूरी की जाती। 

किसी भी स्तर पर नामजदगियों का सहारा नहीं लिया जाता था। इस प्रकार अस्तित्व में आया संगठन समूचे पंथ को स्वीकार होता। उस समय दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर क्षेत्रीय जत्थेदार सहित सभी मुखी किसी व्यक्ति विशेष के प्रति नहीं, अपितु समूचे पंथ के प्रति जवाबदेह होते। इस स्थिति के चलते ही शिरोमणि अकाली दल के धीरे-धीरे लगातार बढ़ते चले जा रहे प्रभाव के कारण इसके मुखियों के दिल में राजनीतिक स्वार्थ की भावना ने जोर पकडऩा शुरू कर दिया और साथ ही उनके दिल में राजसत्ता तक पहुंचने की लालसा ने अपनी जगह बनानी शुरू कर दी जिसका नतीजा यह हुआ कि उन्होंने शिरोमणि अकाली दल को अपनी निजी जागीर समझना शुरू कर दिया। 

जवाबी हमले की तैयारी : इधर दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के ही एक अन्य सदस्य ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वास्तविकता तो यह है कि अति विश्वास के बावजूद विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा का टिकट न मिल पाने और गुरुद्वारा कमेटी की ओर से जी.के. की छवि खराब कर उसे सिख राजनीति से बाहर कर देने के लिए समूची ताकत झोंक दिए जाने के बावजूद जी.के. को आम सिखों के समर्थन में लगातार हो रही बढ़ौतरी से मनजिंद्र सिंह सिरसा और उनके साथी बौखलाए हुए हैं तथा किसी न किसी तरह अपनी बौखलाहट मिटाना चाहते हैं।

इसी सदस्य ने बताया कि जहां स. सिरसा मनजीत सिंह जी.के. की गुरुद्वारा कमेटी की सदस्यता रद्द करवाने की साजिश रच रहे हैं, वहीं गुरुद्वारा कमेटी के सदस्यों का एक गुट उनके (स. सिरसा) विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने के संबंध में आवश्यक सदस्यों का जुगाड़ करने में जुटा हुआ है। यदि जी.के. की सदस्यता रद्द किए जाने के मुद्दे पर महासभा की बैठक बुलाए जाने के नोटिस के साथ ही, उसी बैठक में स. सिरसा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने का नोटिस भी सदस्यों के पास पहुंच जाए तो सम्भवत: किसी को हैरानी नहीं होगी। 

जी.के. की सदस्यता पर सवाल : मनजिंद्र सिंह सिरसा अध्यक्ष दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने एक बयान में गुरुद्वारा कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. को धमकी दी है कि यदि वह इस बार भी अपना पक्ष रखने के लिए आडिट कमेटी के सामने पेश न हुए तो 15 फरवरी को गुरुद्वारा कमेटी की महासभा की बैठक बुलाकर, उनकी गुरुद्वारा कमेटी की सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव पास कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि कई बार सम्मन किए जाने के बावजूद वह अपना पक्ष पेश करने के लिए आडिट कमेटी के सामने पेश नहीं हुए। बजाय आडिट कमेटी के सामने पेश हो, उसके सामने अपना पक्ष रखने के, शर्त रख दी कि एक तो उन्हें दस करोड़ रुपए का इन्डेमनिटी बांड भर कर दिया जाए, दूसरा साथ ही यह भरोसा भी दिलाया जाए कि आडिट कमेटी के सामने उनकी ओर से जो खुलासा किया जाएगा, उसे जगजाहिर नहीं किया जाएगा।

स. सिरसा की इस धमकी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के एक वरिष्ठ सदस्य ने प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि जबकि मनजीत सिंह जी.के. के विरुद्ध कथित भ्रष्टाचार के मामले अदालत में विचाराधीन हैं, अभी तक उनके विरुद्ध कोई दोष साबित नहीं हो सका, तो क्या ऐसी स्थिति में आडिट कमेटी के सामने पेश न होने को आधार बनाकर जी.के. की सदस्यता रद्द किए जाने का प्रस्ताव महासभा की बैठक में पेश कर पास किया जा सकता है? उन्होंने कहा कि इससे पहले कि इस मुद्दे को लेकर महासभा की बैठक बुलाई जाए, स. सिरसा को चाहिए कि वह उपरोक्त प्रश्न का उत्तर तलाश लें। 

टिकट न मिलने की कसक : जानकार सूत्रों के अनुसार अकाली दल दिल्ली प्रदेश के मुखी हरमीत सिंह कालका, मनजिंद्र सिंह सिरसा आदि, जिन्हें अकाली कोटे से दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा टिकट मिल जाने  का पूरा विश्वास था, टिकट न मिल पाने के कारण बहुत बौखलाए हुए हैं। उन्होंने पार्टी के पार्षदों जिनकी संख्या लगभग पांच बताई जाती है, से कहा कि उन्हें विधानसभा चुनावों के लिए टिकट न दिए जाने के विरुद्ध रोष प्रकट करते हुए नगर निगम की सदस्यता से इस्तीफा दे देना चाहिए, इसके साथ ही उन्होंने अपने उन अकाली मुखियों और कार्यकत्र्ताओं, जो अपने-अपने इलाके में भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, से कहा कि वे उन्हें टिकट न दिए जाने के विरुद्ध रोष प्रकट करते हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा का समर्थन करने से मना कर दें। 

बताया गया है कि न केवल अकाली पार्षदों ने ही उनका कहना मानने से इंकार कर दिया, अपितु चुनावों में भाजपा का समर्थन कर रहे अकाली मुखियों और कार्यकत्र्ताओं ने भी उनकी बात मानने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वे उनका कहना तो नहीं मान सकते, हां, दल की उच्च कमान, सुखबीर सिंह बादल आदेश दें तो वे इस संबंध में जरूर सोच सकते हैं। उधर जानकार सूत्रों के अनुसार दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने दल के उन मुखियों, जिन्हें टिकट के मुद्दे पर निराश होना पड़ा है, को भी आदेश दिया कि जहां और जैसी भी आवश्यकता हो, वे दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों की मदद करें। 

...और अंत में : सिख ब्रदरहुड इंटरनैशनल के अध्यक्ष बख्शी परमजीत सिंह ने शिरोमणि अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और उनके पारिवारिक सदस्यों से मांग की है कि वे सिरमौर पंथक जत्थेबंदी शिरोमणि अकाली दल की अर्श से ला फर्श पर पटकने के लिए किए गए गुनाह की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए अपने-अपने पदों पर से इस्तीफा दे, दल को अपने पारिवारिक शिकंजे से आजाद करें। बख्शी परमजीत सिंह ने कहा कि इस समय सबसे अधिक जरूरत शिरोमणि अकाली दल में उसकी मूल मान्यताओं के साथ लोकतांत्रिक परम्पराओं को बहाल करने की है।

उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल सदा ही सिखों की स्वतंत्र जत्थेबंदी रही है। इसका सहयोग प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय जत्थेबंदियां/पार्टियां इसके दर पर आया करती थीं। यह पहली बार है कि किसी पार्टी ने इसे अपने दरवाजे पर से निराश लौटा कर इसके मुखियों को उनकी औकात दिखाई है। बख्शी परमजीत सिंह ने कहा कि यदि इनमें जरा-सी भी शर्म और सम्मान की भावना है तो इन्हें तुरंत ही अपने पदों से इस्तीफा दे इसमें लोकतांत्रिक परम्पराएं बहाल करने का रास्ता साफ करना चाहिए।-न काहू से दोस्ती न काहू से बैर जसवंत सिंह ‘अजीत’
 


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