गरीब देश के अमीर रहनुमा

punjabkesari.in Monday, Oct 02, 2023 - 04:05 AM (IST)

देश के सबसे बड़े बैंक ‘भारतीय स्टेट बैंक’ की एक रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चालू वर्ष में देश में प्रति व्यक्ति आय 2 लाख रुपए प्रति वर्ष है। उधर दूसरा आंकड़ा यह है कि कोरोना काल में लगभग 80 करोड़ गरीबों को हर माह 5 किलो सूखा राशन मुफ्त देने वाली प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना दिसंबर, 2023 तक बढ़ानी पड़ी है। जाहिर है, इनकी आय इतनी भी नहीं कि 2 वक्त का भोजन खुद जुटा सकें। स्टेट बैंक की रिसर्च रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया है कि साढ़े 7 प्रतिशत बढ़ कर भारत में प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2047 में 14.90 लाख रुपए प्रति वर्ष हो जाएगी। 

प्रति व्यक्ति आय कितनी बढ़ी है और भविष्य में कितनी बढ़ जाएगी, यह अहसास की बात है, लेकिन इस गरीब देश के निर्वाचित प्रतिनिधियों सांसदों-विधायकों की संपत्ति जिस रफ्तार से बढ़ रही है, वह किसी जादुई चिराग का ही चमत्कार लगता है। काश, वे इस चिराग से जन साधारण की संपन्नता भी मांग लें। असल में तो सांसद-विधायक को जनता का प्रतिनिधि ही नहीं, प्रतिबिंब भी होना चाहिए। कहावत भी है ‘जाके पांव न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई’। प्याज 100 रुपए किलो बिक जाए या टमाटर 250 रुपए करोड़पति या अरबपति सांसद-विधायक को आम आदमी पर उसकी मार का कैसे अहसास होगा? चुनाव सुधार और मतदाता-जागरण के लिए सक्रिय एसोसिएशन फॉर डैमोक्रेटिक रिफॉम्र्स और नैशनल इलैक्शन वॉच सरीखी संस्थाओं के आंकड़े बताते हैं कि हमारे सांसद-विधायकों की संपत्ति चमत्कारिक रफ्तार से बढ़ रही है। 

इन संस्थाओं ने स्वयं सांसदों द्वारा, चुनाव पूर्व नामांकन के साथ दाखिल शपथ पत्रों का विश्लेषण कर बताया है कि वर्ष 2009 से 2019 के बीच फिर से चुने गए 71 लोकसभा सदस्यों की संपत्ति की औसत वृद्धि दर 286 प्रतिशत रही। सबसे तेज छलांग सत्तारूढ़ भाजपा के सांसद रमेश चंदप्पा ने लगाई। कर्नाटक की बीजापुर सीट से निर्वाचित रमेश जुलाई, 2016 से मई, 2019 के बीच केंद्र में जल एवं स्वच्छता राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। रमेश की कुल संपत्ति 2009 में 1.18 करोड़ रुपए थी, जो 2014 में 8.94 करोड़ और फिर 2019 में 50.14 करोड़ हो गई यानी कुल मिला कर 4189 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी। दुनिया के बड़े अमीरों को छोड़ दें, जिनकी संपत्ति शेयर बाजार के साथ बढ़ती-गिरती है, तो शायद ही ऐसी वृद्धि दर कहीं देखने को मिले। शीर्ष 10 संपत्ति वृद्धि दर वाले सांसदों में दूसरे स्थान पर भी भाजपा के ही पी.सी. मोहन हैं। बेंगलुरू सैंट्रल से चुने गए मोहन ने अपनी संपत्ति 2009 में 5.37 करोड़ रुपए बताई थी, जो 2019 में 75.55 करोड़ हो गई। यह वृद्धि दर 1306 प्रतिशत बनती है। 

पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी के सुर आजकल बदले-बदले लगते हैं, पर संपत्ति वृद्धि दर उनकी भी कम नहीं। वरुण की संपत्ति, जो 2009 में 4.29 करोड़ रुपए थी, 2019 में 60.32 करोड़ हो गई। संपत्ति वृद्धि दर में ज्यादा राजनीतिक भेदभाव नजर नहीं आता। अन्य दलों के सांसद भी बहुत पीछे नहीं हैं। मसलन, बठिंडा से शिरोमणि अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर बादल की संपत्ति 2009 में 60.31 करोड़ रुपए थी, जो 261 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ कर 2019 में 217.99 करोड़ हो गई। मराठा क्षत्रप शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले सदानंद बारामती से सांसद हैं। सुप्रिया की संपत्ति 2009 में 51.53 करोड़ रुपए थी, जो 173 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ कर 2019 में 140.88 करोड़ हो गई। ओडिशा से बीजू जनता दल के सांसद हैं पिनाकी मिश्रा। उनकी संपत्ति 2009 में 29.69 करोड़ रुपए थी, लेकिन 296 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ कर 2019 में 87.78 करोड़ हो गई। निर्दलीयों समेत जिन 71 सांसदों की संपत्ति वृद्धि का विश्लेषण किया गया है, उनकी औसत संपत्ति 2009 में 6.15 करोड़ थी, जो 286 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ कर 2019 में 17.59 करोड़ हो गई। 

संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा के सदस्य भी संपन्नता में पीछे नहीं हैं। इन्हीं दोनों संस्थाओं ने राज्य सभा के 233 में से 225 सांसदों द्वारा नामांकन के समय शपथ पत्र में दिए गए विवरण का विश्लेषण कर पाया कि 12 प्रतिशत माननीय अरबपति हैं। ऐसे में करोड़पति सांसदों की गिनती में समय और ऊर्जा कौन खपाए? संख्या की दृष्टि से भाजपा भारी है, जिसके 85 में से 6 (7 प्रतिशत) सांसद अरबपति हैं, लेकिन प्रतिशत के मामले में कांग्रेस बाजी मार ले जाती है, जिसके 30 में से 4 यानी 13 प्रतिशत सांसद अरबपति हैं। वैसे पीछे आम आदमी के नाम पर बनी आप भी नहीं है। उसके 10 में से तीन सांसद अरबपति हैं। अमीर राज्यसभा सदस्यों के मामले में सबसे उच्च प्रतिशत वाई.एस.आर.सी.पी. का है, जिसके 9 में से 4 यानी 45 प्रतिशत सांसद अरबपति हैं। दूसरे स्थान पर तेलंगाना में सत्तारूढ़ बी. आर. एस. है, जिसके 7 में से 3 यानी 43 प्रतिशत सांसद अरबपति हैं। जाहिर है, अरबपति राज्यसभा सदस्यों के मामले में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना अन्य राज्यों को पीछे छोड़ देते हैं। पंजाब और हरियाणा में यह प्रतिशत क्रमश: 29 और 20 है। 

चिंता मत करिए, हमारे देश में विधायक भी संपन्नता में पीछे नहीं। 28 राज्यों और दो केंद्र शासित क्षेत्रों के 4001 विधायकों के नामांकन के समय दाखिल शपथ पत्रों का विश्लेषण बताता है कि उनमें से 88 अरबपति हैं। कर्नाटक इस मामले में शीर्ष पर है। उसके 223 में से 32 यानी 14 प्रतिशत विधायक अरबपति हैं। बाकी कोई राज्य दहाई नहीं छू पाता।  आपराधिक दामन वाले विधायकों की औसत संपत्ति, पाक दामन वालों से ज्यादा है।-राज कुमार सिंह


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News