राहुल ने इस बार खुद को सही साबित किया

punjabkesari.in Sunday, May 05, 2024 - 05:41 AM (IST)

एक ऐसे व्यक्ति के लिए जिस पर अक्सर राजनीति में अपने थीम गीत, रणनीति और समय को गलत करने का आरोप लगाया जाता है, वह व्यक्ति राहुल गांधी ने इस बार रायबरेली से लोकसभा चुनाव लडऩे की मांग करके इसे बिल्कुल सही कर दिया है। इससे पहले, जब उनकी पार्टी 2022 में गुजरात में बुरी तरह हार रही थी, तब वह अपनी दक्षिण-उत्तर भारत जोड़ो यात्रा करने में व्यस्त थे। लेकिन, दूसरे पूर्व-पश्चिम चरण में, लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने पर उनकी यात्रा समाप्त हो गई। उन्होंने जान लिया है कि लोगों से जुडऩे के लिए यात्रा बहुत अच्छी हो सकती है, लेकिन वास्तविक चुनाव में अपनी पार्टी की मदद के लिए उन्हें और भी बहुत कुछ करना होगा। 

सामरिक विकल्प :  जबकि मीडिया में अटकलें उनकी उम्मीदवारी को लेकर चारों ओर हैं  और इस बात के इर्द-गिर्द घूमती है कि क्या वह अमेठी में स्मृति ईरानी के साथ दोबारा मुकाबला करना चाहेंगे या नहीं, जहां वह 2019 में हार गए थे। रायबरेली की पसंद 2 चीजों का संकेत देती है। यू.पी. में जीत या हार के राजनीतिक परिणामों के बारे में जागरूकता, और यह भी कि उन्हें लंबी अवधि के लिए पार्टी का आधार बढ़ाने की जरूरत है। बेशक, उन्हें अभी भी वायनाड में अपने मतदाताओं को कुछ समझाना होगा, जहां 26 अप्रैल को मतदान हुआ था और जहां वह जीत सकते हैं, लेकिन यह बाद के लिए एक समस्या है। वायनाड में अपना नामांकन दाखिल करते समय, उन्होंने इसे अपना घर कहा और लोगों को अपना परिवार। यदि वह रायबरेली जीतते हैं, जहां फिर से उनकी संभावनाएं अच्छी लगती हैं, तो उन्हें एक कठिन विकल्प चुनना होगा। 

2019 की मोदी लहर के बीच यू.पी. में कांग्रेस ने जो सीट जीती, उसमें पार्टी को अपने निकटतम भाजपा प्रतिद्वंद्वी पर 1,67,000 से अधिक वोटों की बढ़त थी। राजनीतिक लागत-लाभ की गणना इस बार स्पष्ट रूप से अमेठी के मुकाबले रायबरेली के पक्ष में रही। स्पष्ट रूप से, राहुल को एहसास है कि उन्हें न केवल अपनी सीट जीतनी है, बल्कि यू.पी. में अपनी पार्टी की वृद्धि भी फिर से सुनिश्चित करनी है। भले ही पार्टी इस बार बहुत अधिक सीटें नहीं जीत पाई है, फिर भी उसे राज्य में बीच-बचाव की जरूरत है। कांग्रेस पार्टी ने 2009 के चुनावों में यू.पी. से 21 सीटें जीतीं, जिससे साबित हुआ कि यह अधिक आबादी वाला राज्य (अविभाजित आंध्र के अलावा) उसके लिए महत्वपूर्ण था।  यू.पी. में 2014 कांग्रेस के विघटन की शुरूआत हुई। 

अंत में, कुछ लड़ाई :  कांग्रेस के लिए यह मानना मूर्खतापूर्ण है कि वह स्वयं रायबरेली में बढ़त पर है। भाजपा चुनावी लड़ाई को आसान बनाने के लिए कोई भी कदम उठाना नहीं छोड़ेगी।  लेकिन, जीतें या हारें, राहुल ने अपनों को कड़ा संदेश दे दिया है। राहुल गांधी को 4 जून को अपनी पार्टी के लिए बेहद सकारात्मक परिणाम देने होंगे, जब नतीजे सामने आएंगे। लेकिन उन्होंने जो किया है उससे पता चलता है कि वह लंबे समय से इसमें हैं और एक रात में ही  काम करने वाले नहीं हैं। भारत जोड़ो यात्रा से पहले और उसके बाद भी, उनकी लंबे समय तक देश से गायब रहने की प्रवृत्ति रही है। समय के साथ  कुछ ऐसा देखा गया जो उनकी पार्टी के लोगों को पसंद नहीं आया। पार्टी में कुछ ऐसे लोग हैं जो उनसे अधिक प्रतिबद्धता की उम्मीद करते हैं। 

अब पप्पू नहीं रहा : यात्रा ने उनके लिए दो चीजें कीं। एक, इससे उन्हें अपनी ‘पप्पू छवि’ पीछे छोडऩे का मौका मिला और दूसरा, इससे यह साबित  हुआ कि आवश्यकता पडऩे पर दूरी तय करने के लिए उनके पास आवश्यक शारीरिक सहनशक्ति है। अपने लिए जनादेश मांगने के लिए उनकी यू.पी. में वापसी हुई है। परिवार का किला यही संदेश देता है कि आप जाति जनगणना कराने के उनके कट्टरपंथी एजैंडे, या उनकी पार्टी की पुनर्वितरण की प्रवृत्ति, या दाएं, बाएं और केंद्र के मतदाताओं को अप्राप्य मुफ्त सुविधाएं देने की प्रवृत्ति से असहमत हो सकते हैं। लेकिन अब आप अपनी पार्टी के लिए बेहतर परिणाम देने की उनकी उत्सुकता पर संदेह नहीं कर सकते। यदि कोई राजवंश समय-समय पर ऐसा नहीं कर सकता तो वह टिक नहीं सकता। उन्होंने अब इरादे का संकेत दे दिया है।-आर. जगननाथन
 


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