चंडीगढ़ पर अपना दावा ऐसे कमजोर नहीं होने देगा पंजाब

punjabkesari.in Monday, Jun 04, 2018 - 04:01 AM (IST)

केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस समेत सभी केन्द्र शासित प्रदेशों की पुलिस बलों के साथ चंडीगढ़ पुलिस के डी.एस.पी. कैडर को मर्ज करने का फैसला किया है। इसके साथ, चंडीगढ़ यू.टी. के उप पुलिस अधीक्षक (डी.एस.पी.) के सभी स्वीकृत पदों को दिल्ली और अन्य यू.टी. के संयुक्त कैडर के प्रवेश ग्रेड के साथ विलय कर दिया जाएगा और उन्हें किसी भी संघ शासित प्रदेश (यू.टी.) में स्थानांतरित और तैनात किया जा सकता है। 

सूत्रों के मुताबिक, ए.जी.एम.यू.टी. कैडर के विभिन्न हिस्सों से आई.ए.एस. और आई.पी.एस. में शामिल होने के लिए फीडर ग्रेड की संरचना में एकरूपता की आवश्यकता के चलते इस कदम की आवश्यकता है। हालांकि, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने इसका जोरदार विरोध किया है, जो डरते हैं कि चंडीगढ़ में पंजाब की हिस्सेदारी को धीरे-धीरे कमजोर करने का यह एक और प्रयास है, इस तथ्य का संकेत देने वाले कई कदम लगातार पहले भी उठाए जा चुके हैं। उनका कहना है कि बीते सालों में क्लास-1 गजेटेड अधिकारियों के पदों को भी पंजाब से छीना जा रहा है। 

उन्होंने दावा किया है कि यह उस ‘संतुलन’ को कमजोर कर देगा जो वर्षों से सावधानीपूर्वक हासिल किया गया है। वह स्पष्ट रूप से यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि पंजाब और हरियाणा के बीच चंडीगढ़ के क्षेत्रीय विवाद हल होने तक स्थिति को यथावत बनाए रखा जाए। महसूस किया जा रहा है कि इस फैसले को लेकर अमरेन्द्र सिंह का प्रतिरोध गृह मंत्रालय की योजना के लिए एक गुगली साबित हो सकता है। 

प्राकृतिक दुर्घटना या उदासीनता?
लगता है कि जम्मू-कश्मीर में सरकार के प्रशासनिक कौशल के बहाव को प्रभावित करने के कई अन्य कारणों में अधिकारियों की गंभीर कमी सर्वाधिक जिम्मेदार है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि 9  जे.के. कैडर अधिकारियों और दर्जनों अन्य नौकरशाहों की हाल ही में सेवानिवृत्ति  के साथ, स्थिति अब अधिक गंभीर हो गई है। आई.ए.एस., आई.पी.एस., के.ए.एस. और के.पी.एस. समेत अनुमानित 2,900 राजपत्रित पद रिक्त हैं, जबकि कई अधिकारियों को कई विभागों और पदों को संभालने के लिए मजबूर किया जा रहा है। 

अभी तक, 84 अधिकारियों की उपलब्धता के विपरीत राज्य में आई.ए.एस. अधिकारियों की मंजूरशुदा क्षमता 137 है। राज्य की सेवा में कार्यरत इन 84 अधिकारियों में से 11, जिनमें ब्रज राज शर्मा, सुरेश कुमार, पी.के.त्रिपाठी, सुधांशु पांडे, अटल दुल्लू, शांतिमानू, बिपुल पाठक, अशोक कुमार परमार, मनोज कुमार द्विवेदी, मनदीप कौर और याशा मुदगल मोदी सरकार के प्रमुख विभागों में सेवा कर रहे हैं। ऐसे हालात में, जबकि राज्य सरकार ने केन्द्र से जे.के. कैडर के सभी आई.ए.एस. अधिकारियों की वापसी की मांग की है, लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी तक इस पर काफी ठंडी प्रतिक्रिया दी है। पुलिस सेवा में भी स्थिति बेहतर नहीं है।

राज्य को 147 की कुल क्षमता के विपरीत 90 आई.पी.एस. अधिकारियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में, 84 आई.पी.एस. अधिकारी राज्य के कैडर रखते हैं, 24 केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, जो राज्य में तैनात आई.पी.एस. अधिकारियों की संख्या 60 हो जाती है। पिछले 6 वर्षों में, राज्य सरकार ने आई.पी.एस. में के.पी.एस. के कैडरियेशन के कारण के.पी.एस. अधिकारियों की वरिष्ठता सूची के खिलाफ कई मुकद्दमे के कारण रिक्त आई.पी.एस. पदों को भरने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.) को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है। 

ईमानदारी सूचकांक से घबराएंगे बाबू
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सी.वी.सी.) अब केन्द्र सरकार के संगठनों को उनके द्वारा उठाए जा रहे भ्रष्टाचार विरोधी उपायों पर रैंक करेगा। इसकी  घोषणा सी.वी.सी. के.वी. चौधरी द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो और सतर्कता और प्रवर्तन अधिकारियों के साथ बैठक में की गई। अखंडता सूचकांक पिछले साल से काम में रहा है जब सी.वी.सी. ने आई.आई.एम.-अहमदाबाद में ईमानदारी सूचकांक विकसित करने के लिए कदम रखा है। एक नई पहल होने के नाते, प्रारंभ में, 25 संगठनों को ईमानदारी सूचकांक (संलग्न सूची के अनुसार) के विकास के लिए चुना गया है। इसके बाद, भारत सरकार के अन्य सभी सी.पी.एस.यू. और संगठनों को ईमानदारी सूचकांक अवधारणा का विस्तार करने का प्रस्ताव है। 

सभी 25 संगठनों का प्रबंधन ईमानदारी सूचकांक के विकास में शामिल है। बैठक में चौधरी ने यह भी कहा कि सी.वी.सी. अधिकारियों के सरकारी व्यय और कत्र्तव्यों की गहराई से निगरानी करेगा, और कहा कि आयोग एक निगरानी के रूप में काम करेगा। विभिन्न सरकारी कार्यों, अधिकारियों और विभागों पर जनमत अखंडता सूचकांक प्रणाली के माध्यम से एकत्र की जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि सूचकांक कुछ ही सप्ताह में रैंकिंग देना शुरू कर देगा।-दिलीप चेरियन


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