केरल के लिए प्रार्थना करें...

punjabkesari.in Saturday, Aug 18, 2018 - 03:27 AM (IST)

भगवान के अपने देश, जैसा कि एडवर्टाइजिंग वाले लोग इसे बुलाते हैं, केरल में ऐसा दिखाई देता है जैसे बाढ़ तथा वर्षा के दानवों का शासन चल रहा है। व्याकुल पुरुष तथा महिलाएं असहाय होकर इमारतों की छतों पर खड़े हैं, तेजी से बहते पानी में से गुजर रहे हैं और डर के मारे ऊंचे क्षेत्रों की ओर जाने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि बाढ़ का पानी बढ़ रहा है और राज्य में सब कुछ अपनी गिरफ्त में लेकर आशाओं को चकनाचूर कर रहा है। इस सबके बीच दयनीय चीत्कार सुनाई देती है, ‘‘केरल के लिए प्रार्थना करें!’’ 

और मुझे अपनी मां की रसोई में गाना गाते हुए बचपन वाली खूबसूरत आवाज सुनाई देती है, जिसे सुनते-सुनते मैं बड़ा हुआ हूं। यह एक ऐसा दृश्य है जिसमें जीसस तथा उनके अनुयायी एक छोटी नाव में समुद्र को पार कर रहे हैं जब एक भयंकर तूफान आ जाता है। उनकी नाव एक माचिस की डिबिया की तरह कभी इस ओर तो कभी उस ओर उछल रही है। घबराकर उन्होंने इधर-उधर देखा और पाया कि जीसस अविचलित हैं। नाव के एक कोने में गहरी नींद सो रहे थे। वे तेजी से उनके पास पहुंचे, उन्हें जगाया, जैसा कि मेरी मां गाती थी, उनसे बोले, ‘‘मालिक तूफान क्रोध में है। लहरें हमारी नाव को ऊंचे उछाल रही हैं। आकाश काला दिखाई दे रहा है और कोई शरण स्थल अथवा मदद नजदीक नहीं है। मदद करें नहीं तो हम सब मर जाएंगे। आप ऐसे कैसे सो सकते हैं जब हर पल गहराइयों में हमारी कब्र बनने का खतरा बढ़ता जा रहा है?’’ और उन्होंने देखा कि वह उठे तूफान की आंख में देखा और निर्देश दिया, ‘‘शांति! रुक जाओ!’’ और तूफान शांत होने लगा। 

मैंने अपनी मां के गीत में हैरान अनुयायियों की प्रतिक्रिया को जारी रहते सुना, जो एक-दूसरे की तरफ देख कर फुसफुसा रहे थे, ‘‘हवाएं तथा लहरें उनकी इच्छा का पालन करेंगी, शांत, रुक जाएंगी! बेशक तूफान के गुस्से ने समुद्र को उछाला अथवा दानवों या व्यक्तियों को या फिर कुछ भी हो, कोई भी पानी जहाज को निगल नहीं सकता, जहां समुद्र, धरती तथा आकाश के मालिक हों, वे सभी प्रेमपूर्वक उनकी इच्छा का पालन करेंगे, शांति, रुक जाओ!’’ उस छोटी आयु में भी जिस बात ने सबसे अधिक मेरा ध्यान खींचा, वह यह कि अपने डर के बावजूद उन्होंने अपने मालिक में पूर्ण विश्वास रखा और यही विश्वास उनके काम आया। 

फिर मैंने मां की आवाज हम सबके लिए गाते सुनी, ‘‘मालिक, अपनी आत्मा की पीड़ा के साथ आज मैं अपने दुख के सामने झुक गई हूं, मेरे दुखी हृदय की गहराइयां परेशान हैं-मैं प्रार्थना करती हूं, कृपया जागें और बचाएं! पाप तथा दुख की लहरें, कृपया मेरी डूबती आत्मा के ऊपर से गुजरें और मैं समाप्त हो जाऊं, मैं समाप्त हो जाऊंगा! प्रिय मालिक-जल्दी करें और नियंत्रण सम्भालें!’’ और फिर वह पूर्ण हर्षोन्माद में गाने लगीं, ‘‘मालिक, डर समाप्त हो गया है। सब कुछ शांत है। शांत झील में धरती का सूरज प्रतिबिंबित हो रहा है। ओ मुक्तिदाता! अब मुझे और अकेली न छोड़ें और मैं खुशी-खुशी आपकी प्रार्थना करते किनारे पर पहुंचूं!’’ ‘‘धन्यवाद मां,’’ मैं फुसफुसाया, ‘‘गीत के माध्यम से बात करने के लिए। शब्द अब मेरे दिल पर उकेरे गए हैं और जब हम अपने तथा केरल के लिए प्रार्थना कर रहे हैं तो चाहता हूं कि मैं अपने देश के लिए उकेरा जाऊं...!’’-राबर्ट क्लीमैंट्स


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Pardeep

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