महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में पोर्न का बहुत बड़ा हाथ
punjabkesari.in Tuesday, Sep 03, 2024 - 05:17 AM (IST)
पश्चिम में पोर्न देखने वाले जब अपने मोबाइल या कम्प्यूटर पर इसे देखते पकड़े जाते हैं तो वे हंसते हुए कहते हैं कि इससे उनका तनाव दूर होता है। एक अध्ययन के अनुसार बहुत से देशों में शारीरिक संबंध बनाने के लिए लड़कों की उम्र 17 वर्ष मानी जाती है और इस उम्र तक आते-आते वे किसी न किसी तरह से 1400 बार पोर्न देख चुके होते हैं। कई लोग कहते हैं कि इससे तनाव कम होता है, मगर विशेषज्ञों के अनुसार बहुत अधिक देखने से बहुत नुकसान भी हो सकता है। इससे नकारात्मक और हिंसक प्रवृत्ति बढ़ती है। इसके अलावा यदि इसे देखने की आदत पड़ जाए तो मुश्किल से छूटती है।
2023 के एक अध्ययन के अनुसार 20 देश जिनमें सबसे अधिक पोर्न देखा गया, वे हैं अमरीका, ब्रिटेन, जापान, फ्रांस, कनाडा, इटली, मैक्सिको, जर्मनी, फिलीपींस, ब्राजील, स्पेन, पोलैंड, आस्ट्रेलिया, नीदरलैंड्स, यूक्रेन, रूस, दक्षिण अफ्रीका, अर्जेंटीना, स्वीडन और चिली। अध्ययन बताते हैं कि 2 लाख अमरीकी पोर्न एडिक्ट्स हैं। यानी कि वे इसे देखे बिना नहीं रह सकते। कहते हैं कि पोर्न उन देशों में अधिक देखा जाता है, जहां शारीरिक संबंध वर्जित हैं मगर इस सूची में बहुत से यूरोप के देश और अमरीका यानी कि पश्चिमी देश शामिल हैं, जहां ऐसी कोई रोक-टोक नहीं है। दुनियाभर में महिलाओं के लिए काम करने वाले संगठन इस बारे में एकमत हैं कि महिलाओं के प्रति अपराध में पोर्न का बहुत बड़ा हाथ है। हालांकि यह भी सच है कि बड़ी संख्या में महिलाएं भी इसे देखती हैं। फ्रांस में युवा इसे देखने से कैसे रुकें इसके लिए सरकार कई बार तरह-तरह से प्रयास करती है मगर कामयाब नहीं होती।
सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि ऐसी साइट्स, फिल्में अधिक लोकप्रिय होती हैं, जिनमें बच्चे होते हैं। इससे हमारी मानसिक बनावट का भी पता चलता है कि हम मासूमों को भी अपनी मानसिक विकृतियों का शिकार बनते देख आनंदित होते हैं और कहते हैं कि इससे तनाव से मुक्ति मिलती है। भारत में भी लोग इन्हें देखने में पीछे नहीं हैं। जब से स्मार्ट फोन लोगों के हाथों में आया है तब से भारत में पोर्न देखने वालों की संख्या बहुत बढ़ी है। 2019 में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि 79 प्रतिशत भारतीयों ने इसे देखा। 2017 में यह आंकड़ा 86 प्रतिशत था। भारत में बहुत-सी पोर्न साइट्स पर प्रतिबंध भी लगाया गया था। मगर आज जब मोबाइल के रूप में आप कहीं से भी कुछ भी देख सकते हैं तो इन प्रतिबंधों के कोई मायने भी नहीं रहते।
अपने यहां पोर्न देखने के आदी बहुत से लोग अपने ही आसपास की किसी महिला के साथ दुष्कर्म करते हैं और फिर उसकी हत्या कर देते हैं। इसी साल जुलाई के महीने में मध्य प्रदेश के रीवा शहर में सगे भाई ने अपनी 9 साल की बहन के साथ दुष्कर्म किया। जब बहन ने पिता से शिकायत की तो उसकी हत्या कर दी गई। इसी तरह सतना, मध्य प्रदेश में 5 साल की बच्ची ट्यूशन पढऩे के लिए एक अध्यापक के पास जाती थी। वह उसे पोर्न वीडियो दिखाता था। फिर उसने और उसके भाई ने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। कोलकाता की डाक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। 2021 में दिल्ली कैंट में एक बच्ची के साथ भी दुष्कर्म करके हत्या कर दी गई थी। इनमें से अधिकांश अपराधी पोर्न की लत के शिकार थे। दुष्कर्म के बहुत से मामलों में अपराधियों से पूछताछ में पता चलता है कि वे लगातार पोर्न देख रहे थे। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि यदि व्यक्ति नशा करता हो और पोर्न भी देखता हो तो उसमें हिंसक आपराधिक प्रवृत्तियां पनपने लगती हैं। अक्सर पोर्न से जुड़ी चीजें हिंसा से भी भरी होती हैं जो अपराधी मानसिकता के लोगों को अपराध करने के बाद हत्या के लिए भी उकसाती हैं।
हद तो यह है कि एक तरफ महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं मगर जिन कारणों से ऐसे अपराध बढ़ते हैं उन पर आधे-अधूरे मन से ध्यान दिया जाता है। कुछ साल पहले मुम्बई में 9 और 10 साल के बच्चों ने एक बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था। इतने छोटे बच्चे इस तरह के अपराधों की तरफ इसी तरह से बढ़ते हैं कि वे चोरी-छिपे ऐसा बहुत कुछ देखते हैं जो उनके लिए ठीक नहीं है। माता-पिता या अध्यापकों को इस बारे में खबर तक नहीं होती। वैसे भी अध्यापक या माता-पिता 24 घंटे तो बच्चों की निगरानी नहीं कर सकते। 2018 में बताया गया था कि पोर्न देखने के मामले में भारत तीसरे नम्बर पर है। क्या बढ़ते महिला अपराध इसी कारण से हैं। इस बारे में विस्तृत अध्ययन की जरूरत है। यौन अपराध सिर्फ लड़कियों के साथ ही नहीं लड़कों के साथ भी होते हैं।-क्षमा शर्मा