हिमाचल प्रदेश में ‘पौंग बांध झील’ व ‘शिव मंदिर’ को तीर्थ स्थल का रूप दिया जाए

punjabkesari.in Friday, Jun 22, 2018 - 03:12 AM (IST)

गत रविवार को मुझे जिला कांगड़ा के गांव घमरूर में तपोमूर्ति बाबा हरिओम को समर्पित भागवत कथा के उपलक्ष्य में पौंग डैम स्थित ऐतिहासिक श्री कल्याणकारी शिव मंदिर में जाने का अवसर मिला। 

तलवाड़ा शहर से 10 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह मंदिर राजा सलवान की रानी लूना द्वारा प्राचीनकाल से स्थापित है तथा यहां परम पूजनीय तपस्वी महाराज बाबा हरिओम गिरि जी ने 125 वर्ष की आयु तक संगत का मार्गदर्शन किया। जब पौंग डैम का निर्माण शुरू हुआ तो यह मंदिर डैम के नक्शे के बीच में आ रहा था। इसे हटाने के लिए बड़ी-बड़ी मशीनें मंगवाई गईं परंतु काफी दिनों तक प्रयास करने के बावजूद इसे वहां से हिलाया न जा सका। 

अंत में बांध के कर्मचारियों को वह जगह छोड़ कर बांध के नक्शे में कुछ बदलाव करना पड़ा। यह भी कहा जाता है कि ‘धन्ना भगत’ जिस शालिग्राम की पूजा किया करते थे वह शालिग्राम भी इसी मंदिर में स्थापित है। जिस प्रकार मलेशिया के ‘पेनांग’ में स्थित ‘मुरूगन’ के मंदिर में 300 से अधिक सीढिय़ां चढ़ कर जाना पड़ता है, उसी प्रकार इस मंदिर में भी भोले बाबा के शिवलिंग के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं को 208 सीढिय़ां चढ़ कर वहां जाना पड़ता है। मंदिर तक पहुंचने में आने वाली कठिनाई को देखते हुए लोगों की मांग है कि एक आसान रास्ता भी बना दिया जाए ताकि जो व्यक्ति सीढिय़ां चढ़ कर वहां नहीं जा सकते वे उस रास्ते से जाकर भोले बाबा के शिवलिंग के दर्शन कर सकें। 

इस कल्याणकारी शिव मंदिर को दर्शनीय स्थल के रूप में उभारने के साथ-साथ तलवाड़ा बांध से लेकर ढलियारा तक जाने वाली 42 किलोमीटर लंबी झील (पौंग झील) में जल पर्यटन भी शुरू किया जा सकता है। हिमाचल के मुख्यमंत्रियों को मैंने यह परामर्श दिया था कि इस झील में जल विहार के लिए छोटे जहाज चलाए जाएं जो लोगों को हिमाचल के इस दर्शनीय क्षेत्र की सैर करा सकें और ढलियारा पहुंच कर ज्वाला जी और चिंतपूर्णी के दर्शन भी कर सकें। मध्यम आय वर्ग के लोगों के लिए तलवाड़ा और पौंग झील के किनारे उसी प्रकार हनीमून हट व अन्य लोगों के लिए सस्ते होटल बनाए जा सकते हैं जिस प्रकार ओडिशा में पुरी के निकट भुवनेश्वर में हनीमून मनाने आए जोड़ों के लिए समुद्र के किनारे हनीमून हट तथा अन्य लोगों के ठहरने के लिए सस्ते होटल बनाए गए हैं। 

भुवनेश्वर में समुद्र के किनारे लगने वाले हाट बाजारों में दुनिया भर की वस्तुएं उचित दामों पर उपलब्ध होती हैं जिन्हें यहां आने वाले हनीमूनर जोड़े व अन्य पर्यटक खरीद कर ले जाते हैं। समुद्र के किनारे ऐसे ही बाजार पश्चिमी जर्मनी की राजधानी बॉन में राइन नदी के किनारे भी लगते हैं। नदी में चलने वाले जहाज इसके दाएं-बाएं किनारों पर स्थित गांवों के निकट ले जाकर खड़े कर दिए जाते हैं। पर्यटक 30-40 कि.मी. के इस सफर में नदी के किनारे स्थित गांवों के लोगों द्वारा निर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी को देखते हैं, उनका बनाया हुआ सामान खरीदते हैं और इस तरह लोगों की सैर के अलावा खाना-पीना तथा मनोरंजन भी हो जाता है। 

यदि यह सब जर्मनी में और भुवनेश्वर में हो सकता है तो तलवाड़ा में क्यों नहीं हो सकता। यहां भी हनीमून हट और होटलों के अलावा मनोरंजन के लिए पिकनिक स्थल आदि बनाए जा सकते हैं और इन सबका प्रबंध निजी हाथों में भी दिया जा सकता है। झील के आसपास के गांवों की दस्तकारी की वस्तुओं की बिक्री की व्यवस्था भी की जा सकती है। इससे आसपास के इलाकों के लोगों को रोजगार मिलेगा और उनकी आय में वृद्धि होने से खुशहाली आएगी, उनका जीवन स्तर ऊंचा होगा और इससे प्रदेश सरकार की आय में भी वृद्धि होगी। यह सारा इलाका सुंदर, मौसम बड़ा सुहाना और प्राकृतिक दृश्यावली अत्यंत मनभावन है। अत: यदि इस स्थान को विकसित किया जाए तो यह एक नए पर्यटक स्थल के रूप में उभरेगा। इसका न सिर्फ हिमाचल और पंजाब को बल्कि समूचे उत्तर भारत को लाभ होगा।—विजय कुमार


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