भड़की जनता-सुलगा पाकिस्तान-दुविधा में सेना
punjabkesari.in Tuesday, May 16, 2023 - 05:38 AM (IST)

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री तथा पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पी.टी.आई.) प्रमुख इमरान खान को अल-कादिर ट्रस्ट घोटाले में 9 मई को गिरफ्तार करने के उपरांत पाकिस्तान में बड़े स्तर पर हिंसक वारदातें शुरू हो गईं। पुलिस थानों पर अस्थायी कब्जा कर लिया गया। लूटपाट, सार्वजनिक इमारतों तथा वाहनों को जलाने के साथ-साथ लाहौर के कोर कमांडर, रावलपिंडी आर्मी हैडक्वार्टर तथा कई डिफैंस प्रतिष्ठानों में प्रवेश कर बिना किसी रोक-टोक के प्रदर्शनकारियों की ओर से हमले और तोड़-फोड़ जारी रही।
पी.टी.आई. के डिप्टी चीफ महमूद कुरैशी और पूर्व मंत्री फव्वाद चौधरी के साथ करीब 1900 नेताओं तथा पार्टी कार्यकत्र्ताओं को हिरासत में लिया गया। पी.टी.आई. के अनुसार उसके 50 से अधिक समर्थक मारे गए और 400 से ज्यादा जख्मी हुए। इमरान ने इन घटनाओं के बारे में सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को जिम्मेवार ठहराया। पुलिस के करीब 200 कर्मचारी जख्मी हुए।
सुप्रीम कोर्ट ने इमरान की गिरफ्तारी को गैर-कानूनी और नाजायज ठहराते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया और हाईकोर्ट में 9 मई के बाद दर्ज किसी भी नए केस में इमरान की 17 मई तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। इमरान खान दो दिनों की नजरबंदी के उपरांत 13 मई को सुबह हजारों समर्थकों के साथ अपने घर पहुंचे। सरकार पर गम्भीर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि रिहाई के बाद भी उन्हें अगवा करके रखा गया।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से इमरान खान को दी गई राहत पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पी.टी.आई. के भड़के हुए प्रदर्शनकारियों ने देश के शहीदों का अपमान किया है और यहां तक कि देश के दुश्मनों ने भी ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि सैन्य ठिकानों पर हमले, गवर्नर हाऊस, स्वात टोल प्लाजा, रावलपिंडी मैट्रो आदि दर्जनों स्थानों पर आग लगाने की कार्रवाई आतंकी हमले के बराबर है। लोकतंत्र का दावा करने वाला पाकिस्तान इस समय राजनीतिक, संवैधानिक, न्यायिक, आर्थिक, सामाजिक तथा खाद्य संकट से गुजर रहा है। वहां की सेना, जिसने 5 दशकों तक पाकिस्तान पर शासन किया हो तथा लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार पर भी उसका दबदबा बरकरार रहा हो, की भीतरी कारगुजारी तथा प्रसिद्धि पर भी आज दाग लग चुका है।
पाक सेना की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। आज सेना दुविधा की स्थिति में है, देश में एमरजैंसी जैसे हालात हैं और यह मुल्क गृहयुद्ध की ओर खिसकता जा रहा है। सोचने वाली बात यह है कि आखिर ऐसी स्थिति किस तरह पैदा हुई। यह एक बड़ा सवाल है कि पड़ोसी मुल्क के अंदर अस्थिरता का माहौल भारत को कैसे प्रभावित करेगा।
ऐसी नौबत क्यों आई? : पाकिस्तान की जनता भुट्टो-कारदारी-शरीफ राजवंश तथा कुछ अन्य भ्रष्ट राजनेताओं से तंग आ चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि वाले ‘क्रिकेट किंग’ इमरान खान को राजनीति में प्रवेश करने और उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने में पाकिस्तानी सेना ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर अहम भूमिका निभाई। भुखमरी, बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई, भ्रष्टाचार, आर्थिक तथा सामाजिक समस्याओं की जकड़ में पाकिस्तानी जनता ने सुख की सांस तब ली जब इमरान खान ने ‘नया पाकिस्तान’ का नारा दिया मगर इमरान खुद ही भ्रष्टाचार और राजनीतिक मकडज़ाल में फंस गए।
पिछले वर्ष अप्रैल के महीने में जब पाकिस्तान की राष्ट्रीय असैंबली के बहुत सारे सदस्य उनकी कारगुजारी से नाखुश होकर उनका साथ छोड़ गए तो इमरान सरकार अल्पमत में आ गई। इमरान ने अपनी सरकार को गिराने का ठीकरा अमरीका के सिर पर फोड़ा। इसके अलावा उन्होंने इसके लिए पाक सेना को भी कोसा। मजबूर होकर इमरान को आखिर इस्तीफा देना पड़ा। कई अन्य प्रधानमंत्रियों की तरह वह भी अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके जोकि 13 अगस्त 2023 तक पूरा होना था और संविधान के अनुसार आम चुनाव 14 अक्तूबर 2023 को होने लाजमी थे। जल्दी चुनाव कराने की खातिर पी.टी.आई. ने राष्ट्रीय स्तर वाली एक बड़ी मुहिम छेड़ी हुई है। इमरान चाहते हैं कि चुनाव पाकिस्तान के चीफ जस्टिस जिन्होंने वर्तमान साल में अक्तूबर महीने में सेवा मुक्त हो जाना है, की सेवानिवृत्ति से पहले करवाए जाएं। इमरान पर इस समय 120 केस दर्ज हैं। चुनाव होंगे या नहीं यह तो समय ही बताएगा।
बाज वाली नजर : लोकतंत्र प्रणाली वाले देश के अंदर सेना के ऊपर नागरिक सरकार के कंट्रोल वाले संकल्प को मान्यता प्राप्त है। जानकारी के अनुसार सिंध प्रांत को छोड़कर बाकी 3 राज्यों में सेना तैनात की गई है। सवाल पैदा होता है कि जब प्रदर्शनकारियों की ओर से अति संवेदनशील डिफैंस इंस्टालेशन और उच्च सैन्य अधिकारियों के रिहायशी स्थानों पर हमले किए गए तो वहां पर तैनात सुरक्षा बलों ने कोई कार्रवाई की या किसी ने उन्हें कोई निर्देश जारी किए? पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने कहा है कि हम लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं। इस समय सेना तथा न्यायपालिका बंटी हुई नजर आ रही हैं। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख के पास आतंकियों तथा आपराधिक और कसूरवार सैनिकों के खिलाफ कोर्ट मार्शल करके उन्हें मौत की सजा देने का अधिकार भी है तथा कइयों को तो सूली पर टांगा गया है।
कंगाली तथा बर्बादी के किनारे पर खड़े पाकिस्तान में स्थिति विस्फोटक बनी हुई है। दोहरी नागरिकता रखने वाले उच्च श्रेणी के व्यक्तियों ने तो विदेशों की ओर पलायन करना भी शुरू कर दिया है। आम जनता, आर्थिक सैन्य विभागों, शीर्ष पूर्व सैन्य अधिकारियों में भी खौफ का माहौल है। यदि लश्कर-जैश या अफगानिस्तान के आतंकियों के हाथ पाकिस्तान के परमाणु भंडारों की चाबी लग गई तो फिर पाकिस्तान की परमात्मा ही रक्षा करें।-ब्रिगे. कुलदीप सिंह काहलों (रिटा.)
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