‘पाकिस्तान की नाजुक अर्थव्यवस्था और ग्रे लिस्ट’

punjabkesari.in Wednesday, Mar 03, 2021 - 02:11 AM (IST)

पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकियों की फंडिंग तथा उनको प्रायोजित करता है जिसमें ओसामा बिन लादेन भी शामिल था जिसने अमरीका में 9/11 हमलों को अंजाम दिया तथा मुम्बई में 26/11 जैसी घटनाएं हुईं। इसके अलावा पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ करवा कर हजारों की तादाद में भोले-भाले लोगों का कत्लेआम करवा रहा है।  टैरर फंडिंग पर एक अंतर्राष्ट्रीय वॉच डॉग फाइनांशियल टास्क एक्शन फोर्स (एफ.ए.टी.एफ.) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में शामिल किया। पाकिस्तान 38 बिलियन अमरीकी डालर का बड़ा घाटा झेल रहा है। 

पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है जिसके चलते वह चीन के कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है। चीन भारत के खिलाफ पाकिस्तान का उपयोग कर रहा है। 2024 तक पाकिस्तान का कुल ऋण 100 बिलियन अमरीकी डालर हो जाएगा जिससे पाकिस्तान दशकों तक अपने आपको उभार नहीं पाएगा और चीन के हाथों अपने आपको गिरवी रख देगा। यह एक सरासर संयोग है कि तबादलैब नाम के एक स्वतंत्र थिंक टैंक, जिसका शीर्षक ‘ग्लोबल पॉलिटिक्स की लागत को वहन करना’ ने हाल ही में एफ.टी.ए.एफ. के निर्णय के प्रभाव के बारे में एक चौंकाने वाली गंभीर शोध रिपोर्ट जारी की है जिसके बाद पाकिस्तान की नाजुक अर्थव्यवस्था पर ग्रे लिस्टिंग की गई। 

शोध पत्र के चौंकाने वाले खुलासे में 11 साल की ग्रे लिस्टिंग की अवधि शामिल है। पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में जून 2018 से बना हुआ है। आतंक के खिलाफ कार्रवाई न करने के कारण उस पर ब्लैकलिस्टेड होने का डर लगातार बना हुआ है। एफ.ए.टी.एफ. के एक्शन प्लान को लागू करने में पाकिस्तान की विफलता ने बुरी तरह से अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। विश्लेश्कों ने विडम्बनापूर्ण परिस्थितियों का वर्णन किया है कि निष्कर्ष ऐसे समय में सामने आए हैं जब मनी लांङ्क्षड्रग और आतंकी वित्त पोषण पर अंकुश लगाने के लिए एफ.ए.टी.एफ. की सिफारिशों का पालन करने के लिए पाकिस्तान की मंशा और इरादों के निष्पादन में कमी पाई गई थी। इस कारण इसे ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा गया। 

विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक कड़वी सच्चाई है कि पूरा विश्व सच्चाई से वाकिफ है कि पाकिस्तान खुले तौर पर आतंकियों को वित्तीय समर्थन जुटाता है। यह सब कुछ उसकी भूमि से होता है। पाकिस्तान ने ओसामा बिन लादेन को स्थायी तौर पर अपने देश में शरण दी थी। एफ.ए.टी.एफ. का पूर्ण सत्र 22 फरवरी से 25 फरवरी तक पैरिस में आयोजित किया गया।

इसमें निष्कर्ष निकला कि पाकिस्तान ने एक्शन प्लान में 27 बिंदुओं में से 21 का पूरी तरह से पालन किया है। मगर उसने देश को चेतावनी दी है कि उसे बकाया मुद्दों को पूरा करने के लिए हमेशा समय नहीं दिया जा सकता। एक्शन प्लान की सभी सीमाएं समाप्त हो गई थीं। एफ.ए.टी.एफ. ने पाकिस्तान को फरवरी 2021 तक सभी 27 ङ्क्षबदुओं को पूरा करने का आग्रह किया था। एफ.ए.टी.एफ. के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर की आशाएं उनकी प्रतिक्रिया से प्रतिलक्षित होती हैं जब वह उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान सभी आतंकियों या सभी संगठनों की जांच तथा अभियोगों में सुधार करेगा। अदालतों द्वारा दंड प्रभावी दिखाई देंगे। 

मगर वास्तविकता में विश्लेषकों का मानना है कि 26/11 मुम्बई हमलों के मास्टर माइंड और लश्कर-ए-तोयबा कमांडर जकी उर रहमान लखवी को हिरासत में लेने के बाद पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को गुमराह कर रहा है और एफ.ए.टी.एफ. को भी उलझाने का प्रयास कर रहा है। एफ.ए.टी.एफ. की सिफारिशों के गैर-अनुपालन के लिए ब्लैक लिस्टिेड होने की संभावना को कम किया गया है। 

जून 2021 में क्या होगा?
पाकिस्तान अपने मित्र राष्ट्रों जैसे चीन, तुर्की, मलेशिया इत्यादि से समर्थन हासिल कर रहा है। यदि यह देश सहमत हुए तो जून तक ग्रे लिस्ट से औपचारिक रूप से बाहर आने की पाकिस्तान की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। इस्लामाबाद से आ रही मीडिया  रिपोर्टों का कहना है कि एफ.ए.टी.एफ. बैठक से पहले पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने राजदूतों और राजनयिकों के साथ गहन लॉङ्क्षबग की है ताकि 27 ङ्क्षबदुओं वाले एक्शन प्लान को लागू करने के लिए इसके द्वारा की गई ठोस प्रगति से उन्हें अवगत करवाया जा सके। 

दूसरी बात यह है कि एफ.ए.टी.एफ. के पास वर्तमान में 39 सदस्य हैं जिसमें  यूरोपियन कमिशन तथा गल्फ कार्पोरेशन कौंसिल जैसे 2 संगठन शामिल हैं, वहीं भारत भी एफ.ए.टी.एफ. परामर्श तथा एशिया पैसिफिक ग्रुप का एक सदस्य है। ग्रे लिस्ट से बाहर होने तथा व्हाइट लिस्ट की तरफ बढऩे के लिए 39 में से पाकिस्तान को 12 वोटों की जरूरत है। पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट को भी टालना चाहता है। इस तरह इसे 3 देशों का समर्थन चाहिए और इस परिदृश्य में चीन, तुर्की और मलेशिया इसके साथ खड़े होंगे जो ग्रे लिस्ट से इसके बाहर होने को यकीनी बना सकते हैं। अंतिम रूप में चीन का पक्ष भी पाकिस्तान का संरक्षण करता है जिसका लक्ष्य भारत को और गहरे जख्म देना है और इसके साथ-साथ विश्व में एक सुपर पावर बनना है। मगर ड्रैगन के ऐसे उद्देश्य भविष्य में सफल नहीं होंगे।-के.एस. तोमर


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