ओवरथिंकिंग : ‘यह क्या हुआ, कब हुआ...’ में मत उलझें

punjabkesari.in Tuesday, Oct 15, 2024 - 06:27 AM (IST)

ओवरथिंकिंग लोगों में एक बड़ी मानसिक बीमारी के रूप में सामने आ रही है। हमारे आसपास के अनेक लोग किसी भी बात को लेकर बहुत ज्यादा सोचने लगते हैं। कुछ लोग एक ही बात सारा दिन सोचते रहते हैं। चिंताएं, परेशानियां, मानसिक तनाव हर किसी की जिंदगी में हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप किसी भी एक बात को लेकर बैठे रहें, सोचते रहें। चिंता करने की आदत ही आगे चलकर ओवरथिंकिंग में बदल जाती है। किसी भी काम को करने या फैसला लेने से पहले लोग सोचते हैं, जो सही भी है। यह इंसान का नैचुरल स्वभाव है, लेकिन जब यह स्वभाव हद से ज्यादा बढ़ जाए तो ओवरथिंकिंग कहलाती है। 

ओवरथिंकिंग के लक्षण कुछ इस प्रकार के होते हैं। अपने साथ हुए किसी खराब और शर्मिंदा करने वाले लम्हे को याद करते रहना, बार-बार सोचते रहने से नींद सही से नहीं आना, पुरानी बातों को याद करते रहना, उसमें समय बर्बाद करना, आपकी गलतियां कोई बताए तो उसे सोचते रहना, किसी ने कुछ कह दिया तो उसे दिल-दिमाग से लगाना, अपने अतीत और भविष्य के बारे में अत्यधिक सोचते रहना और अपनी चिंताओं से खुद को उबार पाने में असफल होना इत्यादि। 

ओवरथिंकिंग से बचने के लिए कुछ जापानी उपाय हैं, जिनका आधार भारतीय संस्कृति ही है। यूं भी दुनियाभर में जापान के लोगों का लाइफस्टाइल सबसे बेहतर माना जाता है। यदि आप ओवरथिंकिंग से पीछा नहीं छुड़ा पा रहे हैं तो कुछ प्रभावी जैपनीज तकनीक ओवर थिंकिंग को रोकने में मददगार हो सकती हैं। इसमें सबसे पहले है शोगानाई। शोगानाई कहता है कि जो भी चीजें आपके बस में नहीं हैं उन्हें स्वीकार करें। ऐसी बातों पर अपना समय व्यर्थ न करें जिन पर आपका कोई कंट्रोल न हो। इसकी बजाय उन चीजों पर फोकस करो जिन्हें कर आप अपनी जिंदगी में कुछ बेहतर कर सकते हो। हमेशा आगे का सोचकर चलें। यदि आपने इस तरीके को अपना लिया तो आप जिंदगी में आने वाली समस्याओं का सामना बेहतर तरीके से कर पाएंगे। दूसरी जापानी तकनीक है शिरिन योकू। इस तकनीक का मानना है कि ओवरथिंकिंग से बचने का सबसे बेहतर तरीका होगा कि आप प्रकृति की गोद में या हरियाली में समा जाएं। नदियों और पहाड़ों की खूबसूरती में खो जाएं। इससे ओवरथिंकिंग से राहत महसूस होगी। 

तीसरी तकनीक है गामन, जिसका अर्थ होता है दृढ़ता। यह तकनीक सिखाती है कि मुसीबत के समय में खुद को कमजोर न समझें। मुश्किलों का मजबूती से सामना करें, इससे जिंदगी की भारी-भरकम परेशानियां भी मामूली लगने लगेंगी। मुसीबत के बारे में ज्यादा सोचने की बजाय इससे कैसे लड़ना है, इस पर फोकस करें। यह हमें मुसीबत के आगे घुटने टेकने की बजाय उससे कैसे निपटना है, इसमें मदद करता है। हमें समझना चाहिए कि ओवर थिंकिंग एक तरह की नकारात्मक विचार प्रक्रिया है। ज्यादा सोचने से कभी भी समाधान नहीं होता। इसलिए कोई भी बात जिससे आपको गुस्सा या दुख पहुंचता हो, उस पर तुंरत रिएक्ट करने से बचने की कोशिश करें। ऐसे में आपको तुरंत घर से बाहर निकलना चाहिए या तुरंत किसी दूसरे काम में अपना दिमाग लगाना चाहिए। हमेशा कुछ नई चीजों को सीखें और जब भी ऐसा हो उन्हीं चीजों को करने की कोशिश करें। कई बार हम अपने भविष्य को लेकर अधिक चिंतित होते हैं, ऐसे में अपने दिमाग की सोच की दिशा बदलते हुए अपने जीवन की उपलब्धियों पर ध्यान लगाएं और अच्छे पलों को याद करें। 

अक्सर हमसे जब कोई गलती हो जाती है, तब हम उस बारे में ज्यादा सोचने लगते हैं। उन बातों को बार-बार याद करते हैं। ऐसा करने से आपके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ेगा, ऐसे में आपको इन चीजों को भूलकर आगे बढऩा चाहिए और दूसरों को माफ करने के लिए खुद सभी चीजों को आसान बनाना होगा। अंत में राजेश खन्ना, शर्मिला टैगोर अभिनीत बॉलीवुड कृति ‘अमर प्रेम’ से कुछ चुनिंदा शब्द जो शायद ओवरथिंकिंग के नियंत्रण को लेकर कहे गए थे ‘यह क्या हुआ, कब हुआ, क्यों हुआ, कैसे हुआ, यह न सोचो!’-डा. वरिन्द्र भाटिया


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