टकराव वाले मुद्दों से किनारा करती विपक्षी एकता

punjabkesari.in Wednesday, Sep 06, 2023 - 05:53 AM (IST)

मुंबई में विपक्षी गठबंधन ‘I.N.D.I.A.’ की 2 दिवसीय बैठक के निष्कर्षों पर भाजपा के कटाक्ष और सवाल समझे जा सकते हैं, पर वहां जो कुछ हुआ, वह अपेक्षित ही था। समान विचार वाले दलों में गठबंधन की राजनीति के दिन तो कब के हवा हो चुके, अब तो महज सत्ता प्राप्ति के सांझा उद्देश्य से ही गठबंधन बनते हैं, चाहे वह एन.डी.ए. हो या फिर ‘I.N.D.I.A.’। 

हां, मुंबई बैठक में ‘I.N.D.I.A.’ का लोगो जारी न हो पाना निराशाजनक है, पर बिना संयोजक ही सही, समन्वय समिति की घोषणा एक जरूरी कदम के रूप में सामने आई है। जाहिर है, परस्पर दलगत हितों के टकराव के मद्देनजर ‘I.N.D.I.A.’ के घटक दल फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रहे हैं। संयोजक को चुनावी चेहरे के रूप में देखा-दिखाया जा सकता है, इसलिए उसकी घोषणा के साथ ही खींचतान बढ़ भी सकती है। आखिर 4 राज्यों में अपनी और 3 राज्यों में गठबंधन सरकार वाली कांग्रेस विपक्ष का सबसे बड़ा दल है, तो मात्र एक लोकसभा सांसद वाली आप की भी 2 राज्यों में सरकार है। उधर नीतीश कुमार इस विपक्षी एकता के सूत्रधार रहे हैं, तो 42 लोकसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बेहद जुझारू नेता हैं। 

फिर नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 18 सितम्बर से संसद का 5 दिवसीय विशेष सत्र बुलाने तथा ‘एक देश, एक चुनाव’ के मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में समिति की घोषणा से समय पूर्व लोकसभा चुनाव की आशंका भी गहराई है। इसलिए भी विपक्ष की कोशिश होगी कि टकराव वाले मुद्दों से किनारा करते हुए अपने गठबंधन को चुनाव के लिए तैयार किया जाए। यह देखते हुए कि भाजपा की सबसे बड़ी चुनावी ताकत नरेंद्र मोदी का नाम और चेहरा ही है, ‘I.N.D.I.A.’ को भी सामूहिक नेतृत्व की आड़ से निकल कर कोई चेहरा आगे करना ही पड़ेगा, पर उससे पहले सीटों का बंटवारा बड़ा मुद्दा है, जिस पर सब कुछ निर्भर करेगा और इसे टाला भी नहीं जा सकता। 

इसलिए मुंबई बैठक में प्रचार अभियान और सोशल मीडिया संबंधी समितियां गठित करते हुए ‘I.N.D.I.A.’ ने जल्दी ही सीट शेयरिंग फॉर्मूला खोजने की बात भी कही है, पर यह कर पाना कहने जितना आसान नहीं होगा। आखिर कई राज्यों में कांग्रेस और क्षेत्रीय दल चुनावों में परस्पर टकराते ही रहे हैं। अच्छी बात यह है कि विपक्षी दलों के बड़े नेताओं को इस जटिलता का अहसास है और कहा जा रहा है कि अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए वे त्याग करने को तैयार हैं। इसके बावजूद मुंबई बैठक में पारित प्रस्ताव में बड़ी सावधानी से कहा गया है कि जहां तक संभव होगा, हम अगला चुनाव मिल कर लड़ेंगे। 

‘जहां तक संभव होगा’ की अपनी -अपनी तरह से व्याख्या की जा सकती है लेकिन संकेत हैं कि टी.एम.सी.-लैफ्ट के बीच तल्ख टकराव वाले पश्चिम बंगाल तथा कांग्रेस-लैफ्ट के बीच ही सत्ता संघर्ष वाले केरल में ‘I.N.D.I.A.’ के घटक दलों में परस्पर चुनावी मुकाबला देखने को मिल सकता है। केरल में भाजपा का कोई प्रभाव नहीं है, इसलिए कांग्रेस या लैफ्ट में से जो भी जीते, ‘I.N.D.I.A.’ की ही जीत होगी, लेकिन पश्चिम बंगाल में विपक्षी गठबंधन को इससे नुक्सान हो सकता है। कांग्रेस और ‘आप’ नेतृत्व अभी तक परस्पर समझदारी का संकेत दे रहे हैं, पर दिल्ली और पंजाब में उनके बीच भी सीट बंटवारा आसान नहीं होगा। लोकसभा चुनाव में ज्यादा टकराव न भी हो, पर विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग बहुत बड़ी चुनौती साबित होगी। कहीं ‘एक देश, एक चुनाव’ की सोच ‘I.N.D.I.A.’ में ऐसे टकराव को बढ़ावा देने की मंशा से भी तो प्रेरित नहीं? जब राजनीति चुनाव और सत्ता तक ही सिमट गई है तो हार-जीत के लिए कोई भी दल-नेता कोई भी दांवपेंच आजमाने में संकोच नहीं करता। 

नियमित सत्रों में अपनी घटती उत्पादकता के लिए आलोचना की पात्र बनने वाली संसद विशेष सत्र में क्या विशेष करेगी, समय ही बताएगा लेकिन ऐसे घटनाक्रम का संकेत साफ है कि लोकसभा चुनाव जब भी हों, राजनीतिक मोर्चाबंदी तेज होगी और दलों-नेताओं के बीच जुबानी जंग लगातार तल्ख। एक संकेत और साफ है कि अगला लोकसभा चुनाव पिछले 2 लोकसभा चुनावों से अलग होगा। पहली बार विपक्ष में यह विश्वास जगता दिख रहा है कि एकजुट हो कर वह नरेंद्र मोदी सरकार और भाजपा को हरा सकता है, तो अचानक एन.डी.ए. की सक्रियता से भाजपा की चुनावी चिंताएं भी पहली बार ही उजागर हो रही हैं। लोकतंत्र संख्या का खेल भी है। इसीलिए 26 दलों वाले ‘I.N.D.I.A.’ पर मनोवैज्ञानिक बढ़त के लिए एन.डी.ए. ने 38 दलों का कुनबा इकट्ठा किया, पर मुंबई बैठक में ‘I.N.D.I.A.’ का कुनबा भी 28 तक पहुंच गया। यह सक्रियता और सेंधमारी चुनाव के बाद भी चल सकती है। 

यदि लोकसभा चुनाव समय पर ही हुए तो उनसे पहले इसी साल 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनमें से तीन- राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा। इन राज्यों के चुनाव परिणामों का असर दोनों गठबंधनों की मोर्चाबंदी पर ही नहीं, बल्कि ‘I.N.D.I.A.’ के आंतरिक समीकरणों पर भी पड़ेगा।-राज कुमार सिंह
 


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