केवल युद्ध का ही सहारा लेते हैं कमजोर देश
punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 04:53 AM (IST)

देश के अन्य हिस्सों की तरह पंजाब में भी बारिश ने तबाही मचाई है। इस साल बारिश बहुत ज्यादा हुई है। ज्यादातर राज्यों में फसलें बर्बाद हो गई हैं। मुंबई शहर को अगले मानसून तक पर्याप्त पानी की पूर्ति हो गई है, इसके लिए शहर के आसपास की 7 झीलों से पानी की जरूरत होती है। मुंबई की पानी की आपूर्ति करने वाली झीलें मानसून के लौटने से एक महीने पहले ही उफान पर आ गईं। आने वाले साल में शहर के निवासियों को पानी की कोई कमी नहीं होगी।
दिल्ली की गद्दी पर बैठने के बाद से ही हमारे प्रधानमंत्री ‘विकास’ को बार-बार दोहराते रहे हैं। उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों के पर्यटन से निश्चित रूप से लाभ हुआ है लेकिन हिमालयी क्षेत्र में ‘विकास’ के नकारात्मक पहलुओं को गणना में शामिल नहीं किया गया है। पहाड़ी राज्यों में आई आपदाओं का असर पंजाब सहित निचले मैदानी इलाकों पर भी पड़ा है। राज्य पहले से ही भारी कर्ज में डूबा हुआ है। फसलों के नुकसान के लिए किसानों को मुआवजा देने से कर्ज और बढ़ जाएगा। मदद के लिए मोदी सरकार से संपर्क करना होगा। ऐसे दुखद समय में, पीड़ित लोग अपनी दुर्दशा का कारण जानने के लिए रुकते नहीं हैं। वे सत्ताधारी दल पर दोष मढ़ते हैं! यह एक सर्वव्यापी घटना है।
प्रकृति के इस प्रहार को कम करने के लिए, पंजाब के लोग रविवार शाम दुबई में हुए सुपर-4 चरण के पहले मैच में पाकिस्तान पर भारतीय क्रिकेट की जीत का सहारा ले सकते हैं। यह मैच एक हफ्ते पहले हुए पिछले लीग मैच की तरह एकतरफा नहीं था। पाकिस्तानियों ने इस बार बहादुरी से खेला। उन्होंने केवल 5 विकेट खोकर 171 रन बनाए! यह बचाव के लिए एक बहुत ही अच्छा स्कोर था। लेकिन भारत की पारी की शुरूआत करने वाले पंजाब मूल के 2 बल्लेबाजों का विचार कुछ और ही था। अभिषेक शर्मा और शुभमन गिल ने पहले विकेट के लिए 105 रन जोड़े और छक्के-चौके लगाए, जिससे दर्शक दीर्घा में बैठे भारतीय दर्शक आनंदित हो गए। बेशक पाकिस्तानी, जिनकी उपस्थिति हमारे हमवतन खिलाडिय़ों के बराबर थी, खुश नहीं थे। उन्हें तब भी अच्छा नहीं लगा जब हमारी टीम ने अपने विरोधियों से हाथ मिलाने से इंकार कर दिया जो उन्हें पहले मुकाबले में उनकी बहुप्रतीक्षित जीत पर बधाई देना चाहते थे। खेल आयोजनों की शुरुआत और समापन पर हाथ मिलाना खेल शिष्टाचार का हिस्सा है। व्यक्तिगत रूप से मैं इस शिष्टाचार का पालन करने के पक्ष में हूं। लेकिन टीम को बी.सी.सी.आई. (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) द्वारा निर्देश दिया गया होगा कि वे पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद का सहारा लेने के खिलाफ हमारे देश के गुस्से को व्यक्त करने के लिए हाथ मिलाने से बचें। याद रखें कि केवल कमजोर देश ही इस कम लागत वाले युद्ध का सहारा लेते हैं क्योंकि वे पारंपरिक युद्ध में मजबूत देश का सामना नहीं कर सकते।
दुर्भाग्य से, अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को लगा कि भारतीय प्रधानमंत्री और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल मुनीर के साथ उनकी बातचीत ने ही दोनों परमाणु संपन्न पड़ोसियों को शत्रुता बढ़ाने से रोका। उन्होंने शायद यह अनुमान लगाया होगा कि यह दोस्ताना बातचीत ही उनके लिए नोबेल शांति पुरस्कार का टिकट साबित होगी। कौन जाने, अगर वह रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने में कामयाब हो जाते हैं या बेंजामिन नेतन्याहू को गाजा में निर्दोष महिलाओं और बच्चों का नरसंहार बंद करने के लिए मना लेते हैं तो उन्हें यह पुरस्कार मिल भी सकता है। दरअसल, यहीं पर एक ध्रुवीय दुनिया में उनके प्रभाव की परीक्षा होगी। ट्रम्प को अपने दोस्त से फिलिस्तीन को एक अलग राज्य के रूप में स्वीकार करवाना होगा, जैसा कि ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने किया है और इससे नोबेल पुरस्कार के लिए उनका रास्ता साफ हो जाएगा।
नवरात्रि के पावन अवसर पर उपभोक्ताओं को प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए उपहार का उत्साहपूर्वक स्वागत किया गया। मैं पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हूं। क्या व्यापारी जो मोदी के कट्टर समर्थक हैं, प्रधानमंत्री की इस उदारता का लाभ आम आदमी तक पहुंचाएंगे? पैसे के कीड़े ने हमारे उन सभी नागरिकों को काट लिया है जिनके पास जल्दी पैसा कमाने का अवसर है! प्रधानमंत्री को अपने अच्छे कार्यों के कार्यान्वयन पर कड़ी निगरानी रखने का आदेश देना चाहिए, कहीं ऐसा न हो कि उनके अपने अनुयायी उनके इस नेक विचार का पूरा श्रेय उनसे छीन लें।
मुझे पहले ही अंदाजा हो गया है कि जी.एस.टी. में कटौती कैसे लागू होने वाली है!
सार्वजनिक रूप से घोषणा की गई थी कि 22 सितंबर से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर कोई जी.एस.टी. नहीं लगेगा। मेरी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का नवीनीकरण 1 अक्तूबर को होना था। मैं आमतौर पर रिमाइंडर मिलते ही भुगतान कर देता हूं लेकिन इस साल मैंने हमारे दयालु प्रधानमंत्री के उपहार का लाभ उठाने के लिए 22 सितंबर तक भुगतान टाल दिया। 18 प्रतिशत जी.एस.टी. वाली राशि मेरे बैंक खाते में ही रहेगी! लेकिन बीमा कम्पनी ने मेरे उत्साह को स्वीकार नहीं किया। उसने फैसला सुनाया कि शून्य जी.एस.टी. केवल ‘खुदरा ग्राहकों’ या जो भी इसका मतलब हो,के लिए है। चूंकि मेरी पॉलिसी लगभग 30 साल या उससे भी पहले बैंक के माध्यम से ली गई थी , इसलिए मुझे 18 प्रतिशत जी.एस.टी. का भुगतान करना पड़ा, इस तथ्य के बावजूद कि प्रधानमंत्री का नया फॉर्मूला नवरात्रि के दिन लागू हुआ था! क्या सरकार द्वारा घोषित अन्य जी.एस.टी. रियायतों पर भी ऐसे ‘बचाव प्रावधान’ हैं? इस प्रकार के छल-कपट से बचना चाहिए,अन्यथा यह उल्टा पड़ सकता है।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)